इलाहाबाद : इलाहाबाद हाईकोर्ट के बेसिक शिक्षा परिषद के वकीलों को हुए गलत भुगतान की परिषद के सचिव व बेसिक शिक्षा विभाग के सचिव से व्यक्तिगत वसूली आदेश को सुप्रीम कोर्ट ने रद कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अभी हाईकोर्ट नियुक्ति की वैधता की सुनवाई कर रहा है।
यह आदेश न्यायमूर्ति अरुण मिश्र तथा न्यायमूर्ति अमिताब राय की खंडपीठ ने उप्र बेसिक शिक्षा परिषद इलाहाबाद के सचिव संजय सिन्हा की विशेष अनुमति याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है। अधिवक्ता घनश्याम मौर्या ने बेसिक शिक्षा परिषद के पैनल अधिवक्ताओं की मनमानी नियुक्ति की वैधता को चुनौती दी और आरोप लगाया कि बिना विधिक प्रावधान किये कुछ वकीलों की अधिक फीस दी जा रही है। साथ ही पैनल गठन की गाइड लाइन की अनदेखी की गई है।1न्यायमूर्ति अरुण टंडन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने रिकार्ड तलब किया जिससे बिना प्रावधान के वकीलों को अधिक फीस देने का रहस्योद्घाटन हुआ जिस पर कोर्ट ने गलत भुगतान के लिए दोनों अधिकारियों के वेतन से जांच कर वसूली का अंतरिम आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि याचिका निर्णीत होने से पहले नुकसान की वसूली आदेश उचित नहीं है।
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यह आदेश न्यायमूर्ति अरुण मिश्र तथा न्यायमूर्ति अमिताब राय की खंडपीठ ने उप्र बेसिक शिक्षा परिषद इलाहाबाद के सचिव संजय सिन्हा की विशेष अनुमति याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है। अधिवक्ता घनश्याम मौर्या ने बेसिक शिक्षा परिषद के पैनल अधिवक्ताओं की मनमानी नियुक्ति की वैधता को चुनौती दी और आरोप लगाया कि बिना विधिक प्रावधान किये कुछ वकीलों की अधिक फीस दी जा रही है। साथ ही पैनल गठन की गाइड लाइन की अनदेखी की गई है।1न्यायमूर्ति अरुण टंडन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने रिकार्ड तलब किया जिससे बिना प्रावधान के वकीलों को अधिक फीस देने का रहस्योद्घाटन हुआ जिस पर कोर्ट ने गलत भुगतान के लिए दोनों अधिकारियों के वेतन से जांच कर वसूली का अंतरिम आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि याचिका निर्णीत होने से पहले नुकसान की वसूली आदेश उचित नहीं है।
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