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पद समाप्त होने के बावजूद एनपीआरसी बने हैं शिक्षक

जागरण संवाददाता, हापुड़: बेसिक शिक्षा विभाग ने न्याय पंचायत समन्वयक का पद चार साल पहले समाप्त कर दिया था, लेकिन जनपद में शिक्षक अब भी एनपीआरसी बने हुए हैं। जिले में 75 शिक्षक स्कूल न जाकर एनपीआरसी का काम कर रहे हैं। ये शिक्षक यदा कदा ही अपने विद्यालय में जाते हैं। इनमें से कुछ ने तो अपना व्यवसाय भी संचालित किया हुआ है।
बेसिक शिक्षा के सुधार के लिए केंद्र और राज्य सरकार सर्वशिक्षा अभियान चला रही है। इसके तहत करीब दर्जन भर योजनाएं संचालित की जा रही हैं। केंद्र सरकार हर साल बेसिक शिक्षा के लिए करोड़ों रूपये दे रही है, लेकिन उसके पास धन खर्च करने और योजनाओं का संचालन करने के लिए टीम नहीं है। यही वजह थी कि विभाग से ही शिक्षकों को प्रतिनियुक्ति पर रख लिया गया था। इन्हें न्याय पंचायत समन्वयक बनाया गया था, ताकि वे परिषद की आने वाली योजनाओं की देखभाल कर सकें और उन्हें पूरा करा सके।। समय पूरा होने पर विभाग ने एनपीआरसी का पद वर्ष 2011 में समाप्त कर दिया। जिसके बाद एनपीआरसी बने शिक्षकों को स्कूलों में भेजने का आदेश दिया, लेकिन शिक्षक इस पद से आसानी से हटने को तैयार नहीं हैं। वह क्षेत्र में खंड शिक्षाधिकारी का प्रतिनिधि बनकर घूमते हैं। विभाग से पद समाप्त किए जाने के बाद बीईओ ने अपने स्तर से उन्हें एनपीआरसी नियुक्त कर रखा है, जो शिक्षकों का शोषण भी करते हैं। जूनियर होने के बाद भी सीनियर शिक्षकों पर रौब गांठते हैं। समय-समय पर इसका विरोध भी होता रहा है। इनमें से अधिकांश शिक्षक ऐसे हैं जो कभी कभी अपने विद्यालय जाते हैं। वेतन लेने के साथ साथ इन्होंने अपना व्यवसाय चालू किया हुआ है। यानि स्कूल का वेतन भी और व्यापार से कमाई भी एक साथ की जा रही है।
-अब एनपीआरसी का पद समाप्त हो चुका है। जिले में जो भी एनपीआरसी थे, उन्हें पहले ही विद्यालय जाने का आदेश दिया जा चुका है। इसके बावजूद अगर कोई शिक्षक इस पद पर होने का दावा करता है तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

-देवेंद्र गुप्ता, बीएसए, हापुड़
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