नमस्कार मित्रों, उत्तर प्रदेश में चल रहे शिक्षामित्रों के सत्याग्रह आन्दोलन की वर्तमान परिस्थितियों में हमारे बहुत से साथी अपने तमाम सुझाव पेश कर रहे हैं और संगठन भी अपनी मांगों पर शासन से लगातार वार्ता कर रहा है।
परन्तु अब तक जितने भी सुझाव दिये गये या संगठन ने जो अपनी मांग मा० मुख्यमंत्री जी या अपर सचिव साहब के समक्ष रखा, उन सभी बिन्दुओं पर मन्थन करने के पश्चात जो अन्तिम और ठोस बिन्दु आया उस पर हम यहाँ चर्चा करना चाहते हैं।
सर्वप्रथम अब तक की सभी मांगों पर एक नजर डाली जाय-------
१. अध्यादेश ---- यह अत्यन्त कठिन और उबाऊ प्रक्रिया है, कुछ वैधानिक कारणों से यह असम्भव भी है।
२. टीईटी उत्तीर्णांक में छूट व भारांक ---- दो बार के वैकेन्सी में भारांक अर्थात कम से कम एक लाख शिक्षामित्र बाहर, फलतः संघर्ष जारी रहेगा।
३. आश्रम पद्धति ------ यह समायोजित शिक्षकों के साथ न्याय नहीं करेगा, फलतः संघर्ष जारी रहेगा।
४. समान काम समान वेतन ----- इससे बेसिक शिक्षा में पुनः भेदभाव की शुरुआत होगी। प्रोन्नति समेत कई अधिकारों से वंचित। फलतः संघर्ष जारी।
५. रिव्यू पीटीशन ------ इससे संविधान पीठ में जाने का अवसर मिल सकता है, जहाँ से राहत मिलने की पूरी उम्मीद।
६. आरटीई एक्ट के आर्टिकल चार में संशोधन ---- आरटीई एक्ट के आर्टिकल चार में पैराटीचर तथा मृतक आश्रित आदि को टीईटी से पूर्णतः छूट दिया गया है। इसी आर्टिकल में शिक्षामित्रों को भी जोड़ लिया जाय तत्पश्चात शिक्षामित्रों का नियमितिकरण कर दिया जाय। फलतः संघर्षों से मुक्ति मिल सकती है।
अथवा
आरटीई एक्ट के आर्टिकल चार में एक अनुभाग बनाकर शिक्षामित्रों को पैराटीचर के रुप में दर्ज करते हुए राजपत्र जारी किया जाए।
अब इन सभी बिन्दुओं को देखते हुए 28 अगस्त की बैठक में संगठन को मात्र तीन बिन्दुओं पर ही अपनी मांग रखनी चाहिए।
१. सरकार द्वारा रिव्यू पीटीशन डाली जाय।
२. आरटीई एक्ट के आर्टिकल चार में शिक्षामित्रों को शामिल किया जाय।
३. नियमितिकरण होने तक समान कार्य समान वेतन के आधार पर वेतन की राशि मानदेय के रुप में दिया जाय।
इन बिन्दुओं पर यदि शासन में सहमति बनती है तो जल्द से जल्द यह कार्य पूर्ण कराये जाने का लिखित आश्वासन लिया जाय अन्यथा 5 सितम्बर से दिल्ली के जन्तर मन्तर पर सत्याग्रह आन्दोलन को जारी किया जाय।
विधिवेत्ता अपने विचार यहाँ रख सकते हैं, टेट पास साथी निज स्वार्थ से हटकर ही राय दें। क्योंकि यहाँ बात पचीस या पचास हजार की नहीं एक लाख बहत्तर हजार की हो रही है। और जिन मित्रों को हमारे विचार समझ में आ गये हों वे सभी एक स्वर तथा एक मत में अपने अपने संगठनों के समझ यह मांग रखें, तथा इस पोस्ट को अधिक से अधिक शेयर करें। जय हिन्द जय शिक्षामित्र॥
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परन्तु अब तक जितने भी सुझाव दिये गये या संगठन ने जो अपनी मांग मा० मुख्यमंत्री जी या अपर सचिव साहब के समक्ष रखा, उन सभी बिन्दुओं पर मन्थन करने के पश्चात जो अन्तिम और ठोस बिन्दु आया उस पर हम यहाँ चर्चा करना चाहते हैं।
सर्वप्रथम अब तक की सभी मांगों पर एक नजर डाली जाय-------
१. अध्यादेश ---- यह अत्यन्त कठिन और उबाऊ प्रक्रिया है, कुछ वैधानिक कारणों से यह असम्भव भी है।
२. टीईटी उत्तीर्णांक में छूट व भारांक ---- दो बार के वैकेन्सी में भारांक अर्थात कम से कम एक लाख शिक्षामित्र बाहर, फलतः संघर्ष जारी रहेगा।
३. आश्रम पद्धति ------ यह समायोजित शिक्षकों के साथ न्याय नहीं करेगा, फलतः संघर्ष जारी रहेगा।
४. समान काम समान वेतन ----- इससे बेसिक शिक्षा में पुनः भेदभाव की शुरुआत होगी। प्रोन्नति समेत कई अधिकारों से वंचित। फलतः संघर्ष जारी।
५. रिव्यू पीटीशन ------ इससे संविधान पीठ में जाने का अवसर मिल सकता है, जहाँ से राहत मिलने की पूरी उम्मीद।
६. आरटीई एक्ट के आर्टिकल चार में संशोधन ---- आरटीई एक्ट के आर्टिकल चार में पैराटीचर तथा मृतक आश्रित आदि को टीईटी से पूर्णतः छूट दिया गया है। इसी आर्टिकल में शिक्षामित्रों को भी जोड़ लिया जाय तत्पश्चात शिक्षामित्रों का नियमितिकरण कर दिया जाय। फलतः संघर्षों से मुक्ति मिल सकती है।
अथवा
आरटीई एक्ट के आर्टिकल चार में एक अनुभाग बनाकर शिक्षामित्रों को पैराटीचर के रुप में दर्ज करते हुए राजपत्र जारी किया जाए।
अब इन सभी बिन्दुओं को देखते हुए 28 अगस्त की बैठक में संगठन को मात्र तीन बिन्दुओं पर ही अपनी मांग रखनी चाहिए।
१. सरकार द्वारा रिव्यू पीटीशन डाली जाय।
२. आरटीई एक्ट के आर्टिकल चार में शिक्षामित्रों को शामिल किया जाय।
३. नियमितिकरण होने तक समान कार्य समान वेतन के आधार पर वेतन की राशि मानदेय के रुप में दिया जाय।
इन बिन्दुओं पर यदि शासन में सहमति बनती है तो जल्द से जल्द यह कार्य पूर्ण कराये जाने का लिखित आश्वासन लिया जाय अन्यथा 5 सितम्बर से दिल्ली के जन्तर मन्तर पर सत्याग्रह आन्दोलन को जारी किया जाय।
विधिवेत्ता अपने विचार यहाँ रख सकते हैं, टेट पास साथी निज स्वार्थ से हटकर ही राय दें। क्योंकि यहाँ बात पचीस या पचास हजार की नहीं एक लाख बहत्तर हजार की हो रही है। और जिन मित्रों को हमारे विचार समझ में आ गये हों वे सभी एक स्वर तथा एक मत में अपने अपने संगठनों के समझ यह मांग रखें, तथा इस पोस्ट को अधिक से अधिक शेयर करें। जय हिन्द जय शिक्षामित्र॥
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