*सभी साथियों को नमस्कार*
वर्तमान में देखा जा सकता है कि प्रदेश में सभी शिक्षा मित्र 2 धड़ों में बंटे दिखाई दे रहे हैं
1.टेट पास शिक्षा मित्र
2.नॉन टेट शिक्षा मित्र
अब देखने लायक बात ये है कि ये दोनों ही धड़े एक दूसरे पर जमकर आरोप प्रत्यारोप कर रहे हैं पर एक बात हर आम शिक्षा मित्र को समझनी चाहिए कि दोनों एक दूसरे के पूरक हैं
*मजेदार बात ये है कि जो शिक्षा मित्र टेट पास नही वो टेट पास के खिलाफ जहर तो पूरा उगलेंगे पर अंदरखाने टेट की पूरी दमखम से तैयारी भी कर रहे हैं ।ऐसे लोगों से केवल एक बात पूछना चाहता हूँ कि कल को अगर उन्होंने टेट पास कर लिया तो क्या वो उससे मिलने वाले लाभों को छोड़ देंग*े जैसी की वो अभी उन लोगों से उम्मीद करते हैं कि टेट पास करें। इसी के साथ *टेट पास लोगों से भी कहना चाहूंगा कि आप टेट पास हैं तो अपने आप को विषेश न समझे और अगर वास्तव में आप योग्य हैं तो अपनी योग्यताओं का समुचित उपयोग अन्य साथियों को आगे बढ़ाने में लगाएं।*
वैसे अगर देखा जाए तो इन सब चीजों के जिम्मेदार हमारे अगुआकार ही हैं *अग्रिम पंक्ति के 70% नेता टेट पास हैं और जो नही है वो कर भी लेंगे । में ऐसे लोगों से पूछना चाहूंगा कि जिस प्रकार आज वो टेट पास को अछूत साबित करने में लगे रहते हैं तो क्या वो आगामी भर्ती में प्रतिभाग नही करेंगे* और अगर करेंगे तो फिर अन्य लोगों को गुमराह क्यों किया जा रहा है❓
*25 जुलाई को उच्चतम न्यायालय से हारने के बाद हमारे सामने 2 ही रास्ते थे पहला ये की समस्त लढाई sc के आदेश और सरकार की मंशा के विरोध में लड़ी जाए या दूसरा रास्ता ये की आगे की लड़ाई sc के आदेश और सरकार की मंशा का सम्मान करते हुए लड़ी जाए। अब चूंकि इसमे पहला रास्ता हम लखनऊ और दिल्ली धरना लगाकर अपना चुके है और दोनों ही कार्यक्रम बेतुकी मांगों और अगुआकारों की तानाशाही की भेंट चढ़ चुके हैं जिसमे हमे हासिल तो कुछ नही हुआ पर सरकार और समाज के नजरों में हम मजाक जरूर बन गए हैं।*
पहले रास्ते पर अमल करने के बाद हमारे सामने दूसरे रास्ते पर अमल करने के अलावा कोई चारा नही बचा है यानी sc के फैसले और राज्य सरकार की मंशा का सम्मान करते हुए अपनी आगामी रणनीति तय करना।
में अपने सभी साथियों से करबद्ध निवेदन करता हूँ की वर्तमान की परिस्थितियों को देखते हुए सर्वप्रथम तो टेट की परीक्षा में उत्तीर्ण हों और आगामी भर्ती में शामिल हों और भगवान न करे कि अगर ये संख्या कम भी होती है तो जायज मांगे मानकर और सरकार से सामंजस्य बनाकर पहले तो विभाग में अपना स्थान सुनिश्चित करें अपेक्षाकृत नेताओं की बातों में आकर हठधर्मिता दिखाने के। क्योंकि अगर स्थान रहेगा तो लढाई भी आगे चलती रहेगी।
मेरी इस पोस्ट पर अभी कुछ नेता या उनके चमचे भौंकने जरूर आएंगे तो बस उनसे केवल एक सवाल ते जरूर पूछना चाहूंगा कि *लखनऊ और दिल्ली का धरना खत्म क्यों किया गया और आगे क्या गारंटी है कि इसकी पुनरावृत्ति नही होगी और हमारी मेहनत पैसा और समय पिछले बार की तरह जाया नही होंगे।*
अभय कुमार सिंह देवरिया
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वर्तमान में देखा जा सकता है कि प्रदेश में सभी शिक्षा मित्र 2 धड़ों में बंटे दिखाई दे रहे हैं
1.टेट पास शिक्षा मित्र
2.नॉन टेट शिक्षा मित्र
अब देखने लायक बात ये है कि ये दोनों ही धड़े एक दूसरे पर जमकर आरोप प्रत्यारोप कर रहे हैं पर एक बात हर आम शिक्षा मित्र को समझनी चाहिए कि दोनों एक दूसरे के पूरक हैं
*मजेदार बात ये है कि जो शिक्षा मित्र टेट पास नही वो टेट पास के खिलाफ जहर तो पूरा उगलेंगे पर अंदरखाने टेट की पूरी दमखम से तैयारी भी कर रहे हैं ।ऐसे लोगों से केवल एक बात पूछना चाहता हूँ कि कल को अगर उन्होंने टेट पास कर लिया तो क्या वो उससे मिलने वाले लाभों को छोड़ देंग*े जैसी की वो अभी उन लोगों से उम्मीद करते हैं कि टेट पास करें। इसी के साथ *टेट पास लोगों से भी कहना चाहूंगा कि आप टेट पास हैं तो अपने आप को विषेश न समझे और अगर वास्तव में आप योग्य हैं तो अपनी योग्यताओं का समुचित उपयोग अन्य साथियों को आगे बढ़ाने में लगाएं।*
वैसे अगर देखा जाए तो इन सब चीजों के जिम्मेदार हमारे अगुआकार ही हैं *अग्रिम पंक्ति के 70% नेता टेट पास हैं और जो नही है वो कर भी लेंगे । में ऐसे लोगों से पूछना चाहूंगा कि जिस प्रकार आज वो टेट पास को अछूत साबित करने में लगे रहते हैं तो क्या वो आगामी भर्ती में प्रतिभाग नही करेंगे* और अगर करेंगे तो फिर अन्य लोगों को गुमराह क्यों किया जा रहा है❓
*25 जुलाई को उच्चतम न्यायालय से हारने के बाद हमारे सामने 2 ही रास्ते थे पहला ये की समस्त लढाई sc के आदेश और सरकार की मंशा के विरोध में लड़ी जाए या दूसरा रास्ता ये की आगे की लड़ाई sc के आदेश और सरकार की मंशा का सम्मान करते हुए लड़ी जाए। अब चूंकि इसमे पहला रास्ता हम लखनऊ और दिल्ली धरना लगाकर अपना चुके है और दोनों ही कार्यक्रम बेतुकी मांगों और अगुआकारों की तानाशाही की भेंट चढ़ चुके हैं जिसमे हमे हासिल तो कुछ नही हुआ पर सरकार और समाज के नजरों में हम मजाक जरूर बन गए हैं।*
पहले रास्ते पर अमल करने के बाद हमारे सामने दूसरे रास्ते पर अमल करने के अलावा कोई चारा नही बचा है यानी sc के फैसले और राज्य सरकार की मंशा का सम्मान करते हुए अपनी आगामी रणनीति तय करना।
में अपने सभी साथियों से करबद्ध निवेदन करता हूँ की वर्तमान की परिस्थितियों को देखते हुए सर्वप्रथम तो टेट की परीक्षा में उत्तीर्ण हों और आगामी भर्ती में शामिल हों और भगवान न करे कि अगर ये संख्या कम भी होती है तो जायज मांगे मानकर और सरकार से सामंजस्य बनाकर पहले तो विभाग में अपना स्थान सुनिश्चित करें अपेक्षाकृत नेताओं की बातों में आकर हठधर्मिता दिखाने के। क्योंकि अगर स्थान रहेगा तो लढाई भी आगे चलती रहेगी।
मेरी इस पोस्ट पर अभी कुछ नेता या उनके चमचे भौंकने जरूर आएंगे तो बस उनसे केवल एक सवाल ते जरूर पूछना चाहूंगा कि *लखनऊ और दिल्ली का धरना खत्म क्यों किया गया और आगे क्या गारंटी है कि इसकी पुनरावृत्ति नही होगी और हमारी मेहनत पैसा और समय पिछले बार की तरह जाया नही होंगे।*
अभय कुमार सिंह देवरिया
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