योगी सरकार की पहली छमाही में सूबे की शिक्षा व्यवस्था प्रयोगों के दौर से गुजरती दिखी। चाहे परिषदीय स्कूलों के बच्चों को होमगार्ड सरीखी छवि से निजात दिलाने के लिए उन्हें नये रंग की यूनिफॉर्म मुहैया कराने का
फैसला रहा हो या अशासकीय सहायताप्राप्त माध्यमिक विद्यालयों और महाविद्यालयों में शिक्षकों की भर्ती के लिए जिम्मेदार संस्थाओं को भंग कर उनका विलय करने का निर्णय, शिक्षा क्षेत्र में योगी सरकार की प्रयोगधर्मिता साफ झलकी।
सत्ता संभालने के तुरंत बाद ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने परिषदीय स्कूलों के बच्चों को नये रंग की यूनिफार्म उपलब्ध कराने का फरमान सुनाया। यूनिफॉर्म के साथ बच्चों को जूता-मोजा, स्कूल बैग और स्वेटर मुहैया कराने के लिए भी कवायद जारी है। सरकार की इन सौगातों से प्राथमिक शिक्षा की बदहाल तस्वीर कितनी निखरेगी, यह तो वक्त बताएगा। यह जरूर हुआ है कि परिषदीय स्कूलों के छात्र नामांकन में वर्षों से आ रही गिरावट इस साल थमती नजर आयी। योगी सरकार यह श्रेय भी ले सकती है कि उसने भ्रष्ट छवि के जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों को साइडलाइन किया। कई तो निलंबित भी हुए। यह बात और है कि हाल के महीनों में बेसिक शिक्षा विभाग के अफसरों की ऊर्जा समायोजन रद होने से भड़के शिक्षामित्रों का मसला हल करने में खर्च हो रही है। यह मामला सरकार के लिए नई चुनौती बनकर उभरा है जिससे निपटने के लिए सरकार नये नुस्खे आजमा रही है। 1योगी सरकार ने शिक्षकों के चयन की दिशा में भी नये प्रयोग किये। माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड और उच्चतर शिक्षा सेवा चयन आयोग का विलय कर नया शिक्षक चयन आयोग बनाने की योगी सरकार की पहल कितना कारगर होगी, यह भविष्य के गर्भ में है। शिक्षकों की कमी से जूझते राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में एलटी ग्रेड शिक्षकों की भर्ती के लिए सरकार ने जहां राज्य स्तरीय प्रवेश परीक्षा कराने का फैसला किया, वहीं शिक्षकों की तात्कालिक आवश्यकता को देखते हुए परिषदीय स्कूलों के शिक्षकों को माध्यमिक विद्यालयों में प्रतिनियुक्ति पर लेने का भी दांव चला। शनिवार को स्कूलों में नौ बैग डे की उप मुख्यमंत्री डॉ.दिनेश शर्मा की घोषणा सिर्फ सुर्खियां बनकर रह गई। इन प्रयोगों के बीच निजी स्कूलों की मनमानी फीस वसूली पर नियंत्रण के लिए नियमावली बनाने और बेसिक व माध्यमिक शिक्षकों की सेवा संबंधी शिकायतों के निस्तारण के लिए राज्य शैक्षिक अधिकरण के गठन की रफ्तार कुछ सुस्त पड़ गई है। 1उच्च शिक्षा के क्षेत्र में सुधार के दृष्टिगत राज्यपाल की पहल पर राज्य उच्च शिक्षा अधिनियम में संशोधन की दिशा में कदम बढ़ाये गए हैं, लेकिन इस रास्ते पर अभी लंबा फासला तय करना है। गुरुजन के अकाल का सामना करती उच्च शिक्षा का यह घाव अभी भरा नहीं है। विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की कमी को फौरी तौर पर दूर करने के लिए सरकार उनमें रिटायर्ड शिक्षकों को मानदेय पर नियुक्त करने पर विचार कर रही है।राजीव दीक्षित1गी सरकार की पहली छमाही में सूबे की शिक्षा व्यवस्था प्रयोगों के दौर से गुजरती दिखी। चाहे परिषदीय स्कूलों के बच्चों को होमगार्ड सरीखी छवि से निजात दिलाने के लिए उन्हें नये रंग की यूनिफॉर्म मुहैया कराने का फैसला रहा हो या अशासकीय सहायताप्राप्त माध्यमिक विद्यालयों और महाविद्यालयों में शिक्षकों की भर्ती के लिए जिम्मेदार संस्थाओं को भंग कर उनका विलय करने का निर्णय, शिक्षा क्षेत्र में योगी सरकार की प्रयोगधर्मिता साफ झलकी। 1सत्ता संभालने के तुरंत बाद ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने परिषदीय स्कूलों के बच्चों को नये रंग की यूनिफार्म उपलब्ध कराने का फरमान सुनाया। यूनिफॉर्म के साथ बच्चों को जूता-मोजा, स्कूल बैग और स्वेटर मुहैया कराने के लिए भी कवायद जारी है। सरकार की इन सौगातों से प्राथमिक शिक्षा की बदहाल तस्वीर कितनी निखरेगी, यह तो वक्त बताएगा। यह जरूर हुआ है कि परिषदीय स्कूलों के छात्र नामांकन में वर्षों से आ रही गिरावट इस साल थमती नजर आयी। योगी सरकार यह श्रेय भी ले सकती है कि उसने भ्रष्ट छवि के जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों को साइडलाइन किया। कई तो निलंबित भी हुए। यह बात और है कि हाल के महीनों में बेसिक शिक्षा विभाग के अफसरों की ऊर्जा समायोजन रद होने से भड़के शिक्षामित्रों का मसला हल करने में खर्च हो रही है। यह मामला सरकार के लिए नई चुनौती बनकर उभरा है जिससे निपटने के लिए सरकार नये नुस्खे आजमा रही है। 1योगी सरकार ने शिक्षकों के चयन की दिशा में भी नये प्रयोग किये। माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड और उच्चतर शिक्षा सेवा चयन आयोग का विलय कर नया शिक्षक चयन आयोग बनाने की योगी सरकार की पहल कितना कारगर होगी, यह भविष्य के गर्भ में है। शिक्षकों की कमी से जूझते राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में एलटी ग्रेड शिक्षकों की भर्ती के लिए सरकार ने जहां राज्य स्तरीय प्रवेश परीक्षा कराने का फैसला किया, वहीं शिक्षकों की तात्कालिक आवश्यकता को देखते हुए परिषदीय स्कूलों के शिक्षकों को माध्यमिक विद्यालयों में प्रतिनियुक्ति पर लेने का भी दांव चला। शनिवार को स्कूलों में नौ बैग डे की उप मुख्यमंत्री डॉ.दिनेश शर्मा की घोषणा सिर्फ सुर्खियां बनकर रह गई। इन प्रयोगों के बीच निजी स्कूलों की मनमानी फीस वसूली पर नियंत्रण के लिए नियमावली बनाने और बेसिक व माध्यमिक शिक्षकों की सेवा संबंधी शिकायतों के निस्तारण के लिए राज्य शैक्षिक अधिकरण के गठन की रफ्तार कुछ सुस्त पड़ गई है। 1उच्च शिक्षा के क्षेत्र में सुधार के दृष्टिगत राज्यपाल की पहल पर राज्य उच्च शिक्षा अधिनियम में संशोधन की दिशा में कदम बढ़ाये गए हैं, लेकिन इस रास्ते पर अभी लंबा फासला तय करना है। गुरुजन के अकाल का सामना करती उच्च शिक्षा का यह घाव अभी भरा नहीं है। विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की कमी को फौरी तौर पर दूर करने के लिए सरकार उनमें रिटायर्ड शिक्षकों को मानदेय पर नियुक्त करने पर विचार कर रही है।
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फैसला रहा हो या अशासकीय सहायताप्राप्त माध्यमिक विद्यालयों और महाविद्यालयों में शिक्षकों की भर्ती के लिए जिम्मेदार संस्थाओं को भंग कर उनका विलय करने का निर्णय, शिक्षा क्षेत्र में योगी सरकार की प्रयोगधर्मिता साफ झलकी।
सत्ता संभालने के तुरंत बाद ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने परिषदीय स्कूलों के बच्चों को नये रंग की यूनिफार्म उपलब्ध कराने का फरमान सुनाया। यूनिफॉर्म के साथ बच्चों को जूता-मोजा, स्कूल बैग और स्वेटर मुहैया कराने के लिए भी कवायद जारी है। सरकार की इन सौगातों से प्राथमिक शिक्षा की बदहाल तस्वीर कितनी निखरेगी, यह तो वक्त बताएगा। यह जरूर हुआ है कि परिषदीय स्कूलों के छात्र नामांकन में वर्षों से आ रही गिरावट इस साल थमती नजर आयी। योगी सरकार यह श्रेय भी ले सकती है कि उसने भ्रष्ट छवि के जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों को साइडलाइन किया। कई तो निलंबित भी हुए। यह बात और है कि हाल के महीनों में बेसिक शिक्षा विभाग के अफसरों की ऊर्जा समायोजन रद होने से भड़के शिक्षामित्रों का मसला हल करने में खर्च हो रही है। यह मामला सरकार के लिए नई चुनौती बनकर उभरा है जिससे निपटने के लिए सरकार नये नुस्खे आजमा रही है। 1योगी सरकार ने शिक्षकों के चयन की दिशा में भी नये प्रयोग किये। माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड और उच्चतर शिक्षा सेवा चयन आयोग का विलय कर नया शिक्षक चयन आयोग बनाने की योगी सरकार की पहल कितना कारगर होगी, यह भविष्य के गर्भ में है। शिक्षकों की कमी से जूझते राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में एलटी ग्रेड शिक्षकों की भर्ती के लिए सरकार ने जहां राज्य स्तरीय प्रवेश परीक्षा कराने का फैसला किया, वहीं शिक्षकों की तात्कालिक आवश्यकता को देखते हुए परिषदीय स्कूलों के शिक्षकों को माध्यमिक विद्यालयों में प्रतिनियुक्ति पर लेने का भी दांव चला। शनिवार को स्कूलों में नौ बैग डे की उप मुख्यमंत्री डॉ.दिनेश शर्मा की घोषणा सिर्फ सुर्खियां बनकर रह गई। इन प्रयोगों के बीच निजी स्कूलों की मनमानी फीस वसूली पर नियंत्रण के लिए नियमावली बनाने और बेसिक व माध्यमिक शिक्षकों की सेवा संबंधी शिकायतों के निस्तारण के लिए राज्य शैक्षिक अधिकरण के गठन की रफ्तार कुछ सुस्त पड़ गई है। 1उच्च शिक्षा के क्षेत्र में सुधार के दृष्टिगत राज्यपाल की पहल पर राज्य उच्च शिक्षा अधिनियम में संशोधन की दिशा में कदम बढ़ाये गए हैं, लेकिन इस रास्ते पर अभी लंबा फासला तय करना है। गुरुजन के अकाल का सामना करती उच्च शिक्षा का यह घाव अभी भरा नहीं है। विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की कमी को फौरी तौर पर दूर करने के लिए सरकार उनमें रिटायर्ड शिक्षकों को मानदेय पर नियुक्त करने पर विचार कर रही है।राजीव दीक्षित1गी सरकार की पहली छमाही में सूबे की शिक्षा व्यवस्था प्रयोगों के दौर से गुजरती दिखी। चाहे परिषदीय स्कूलों के बच्चों को होमगार्ड सरीखी छवि से निजात दिलाने के लिए उन्हें नये रंग की यूनिफॉर्म मुहैया कराने का फैसला रहा हो या अशासकीय सहायताप्राप्त माध्यमिक विद्यालयों और महाविद्यालयों में शिक्षकों की भर्ती के लिए जिम्मेदार संस्थाओं को भंग कर उनका विलय करने का निर्णय, शिक्षा क्षेत्र में योगी सरकार की प्रयोगधर्मिता साफ झलकी। 1सत्ता संभालने के तुरंत बाद ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने परिषदीय स्कूलों के बच्चों को नये रंग की यूनिफार्म उपलब्ध कराने का फरमान सुनाया। यूनिफॉर्म के साथ बच्चों को जूता-मोजा, स्कूल बैग और स्वेटर मुहैया कराने के लिए भी कवायद जारी है। सरकार की इन सौगातों से प्राथमिक शिक्षा की बदहाल तस्वीर कितनी निखरेगी, यह तो वक्त बताएगा। यह जरूर हुआ है कि परिषदीय स्कूलों के छात्र नामांकन में वर्षों से आ रही गिरावट इस साल थमती नजर आयी। योगी सरकार यह श्रेय भी ले सकती है कि उसने भ्रष्ट छवि के जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों को साइडलाइन किया। कई तो निलंबित भी हुए। यह बात और है कि हाल के महीनों में बेसिक शिक्षा विभाग के अफसरों की ऊर्जा समायोजन रद होने से भड़के शिक्षामित्रों का मसला हल करने में खर्च हो रही है। यह मामला सरकार के लिए नई चुनौती बनकर उभरा है जिससे निपटने के लिए सरकार नये नुस्खे आजमा रही है। 1योगी सरकार ने शिक्षकों के चयन की दिशा में भी नये प्रयोग किये। माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड और उच्चतर शिक्षा सेवा चयन आयोग का विलय कर नया शिक्षक चयन आयोग बनाने की योगी सरकार की पहल कितना कारगर होगी, यह भविष्य के गर्भ में है। शिक्षकों की कमी से जूझते राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में एलटी ग्रेड शिक्षकों की भर्ती के लिए सरकार ने जहां राज्य स्तरीय प्रवेश परीक्षा कराने का फैसला किया, वहीं शिक्षकों की तात्कालिक आवश्यकता को देखते हुए परिषदीय स्कूलों के शिक्षकों को माध्यमिक विद्यालयों में प्रतिनियुक्ति पर लेने का भी दांव चला। शनिवार को स्कूलों में नौ बैग डे की उप मुख्यमंत्री डॉ.दिनेश शर्मा की घोषणा सिर्फ सुर्खियां बनकर रह गई। इन प्रयोगों के बीच निजी स्कूलों की मनमानी फीस वसूली पर नियंत्रण के लिए नियमावली बनाने और बेसिक व माध्यमिक शिक्षकों की सेवा संबंधी शिकायतों के निस्तारण के लिए राज्य शैक्षिक अधिकरण के गठन की रफ्तार कुछ सुस्त पड़ गई है। 1उच्च शिक्षा के क्षेत्र में सुधार के दृष्टिगत राज्यपाल की पहल पर राज्य उच्च शिक्षा अधिनियम में संशोधन की दिशा में कदम बढ़ाये गए हैं, लेकिन इस रास्ते पर अभी लंबा फासला तय करना है। गुरुजन के अकाल का सामना करती उच्च शिक्षा का यह घाव अभी भरा नहीं है। विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की कमी को फौरी तौर पर दूर करने के लिए सरकार उनमें रिटायर्ड शिक्षकों को मानदेय पर नियुक्त करने पर विचार कर रही है।
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