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बीएड की फर्जी अंकतालिका लगाकर नौकरी करने वाले 43 फर्जी शिक्षकों ने छोड़ा जिला

बदायूं। बीएड की फर्जी अंकतालिका लगाकर नौकरी करने वाले 43 शिक्षकों ने खुद को कानूनी शिकंजे से बचाने को यहां से दूसरे जिलों में तबादला करा लिया है। बीएसए पीसी यादव ने गैर जनपद तबादले पर जाने वाले फर्जी शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई के लिए संबंधित जिले के अफसरों को पत्र लिखा है।
उधर 45 फर्जी शिक्षक अब भी जिले में ही कार्यरत हैं, जिन पर कानूनी शिकंजा कसने के लिए विभाग ने तैयारी तेज कर दी है।

यहां बता दें कि डॉ. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा से वर्ष 2004-05 में बीएड की फर्जी अंक तालिका के जरिए प्रदेश में साढ़े चार हजार से ज्यादा लोगों ने शिक्षक की नौकरी हथिया ली। शिकायत के बाद मामले का खुलासा हुआ तो शिक्षा विभाग में खलबली मच गई। एसआईटी ने फर्जी शिक्षकों की सीडी प्रदेश के सभी बीएसए को उपलब्ध कराई। तब जांच शुरू हुई। महकमे के अधिकारियों ने कई दिनों की जांच पड़ताल के बाद पाया कि जिले में 88 ऐसे फर्जी शिक्षक तैनात रहे। मगर यह भी सामने आया कि इनमें कुछ ने अंतर जनपदीय स्थानांतरण नीति के तहत गैर जिलों को तबादला करा लिया। सो विभाग ऐसे शिक्षकों की जांच में जुटा था।
शनिवार को बीएसए पीसी यादव ने बताया कि सभी ब्लाक के खंड शिक्षाधिकारियों से प्राप्त रिपोर्ट के आधार पर यह साफ हुआ है कि जिले से 43 फर्जी शिक्षकों ने गैर जनपदों को तबादला करा लिया है। बाकी 45 शिक्षक बदायूं में ही कार्यरत हैं। बीएसए ने बताया कि गैर जनपदों को तबादले पर गए फर्जी शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई को संबंधित जिलों के बीएसए को उनकी ओर से पत्र लिखा जा रहा है। वहीं पर उनके खिलाफ कार्रवाई होगी। बोले-बाकी जिले में कार्यरत शिक्षकों के को सोमवार के लिए नोटिस जारी किया जाएगा। उनका जबाव मिलने के बाद आगे की विभागीय कार्रवाई होगी।
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फर्जी शिक्षक भी हो गए हैं गायब
बदायूं। विभागीय सूत्रों की बात को यदि सच माना जाए तो जब से फर्जी शिक्षकों के मामले का खुलासा हुआ है तब से बहुत से ऐसे शिक्षक अपने विद्यालय से गायब हो गए हैं। हालांकि ऐसे शिक्षकों ने छुट्टी पर होने की बात कही है।
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...कैसे निकल गया था वेतन
बदायूं। फर्जी शिक्षकों को कैसे वेतन मिलने लगा था इस बात को लेकर भी जानकार लोगों में तरह-तरह की चर्चाएं हैं। उनका कहना है कि किसी भी शिक्षक की नियुक्ति के बाद उसके अभिलेखों का संबंधित बोर्ड और विश्वविद्यालय से सत्यापन होता है। बिना सत्यापन के ही उनका वेतन निकाल दिया गया। या फिर फर्जी शिक्षकों ने भी खुद सत्यापन कराकर उसकी रिपोर्ट दे दी थी। पता हो विभाग अपने स्तर से ही अभिलेखों का सत्यापन कराता है। बाकायदा नियुक्ति होने वाले शिक्षक के अभिलेखों के सत्यापन का पत्रांक नंबर रहता है। सवाल उठ रहा है तो क्या पत्रांक नंबर उन शिक्षकों को दे दिया गया था।
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