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पहले शिक्षकों को ज्यादा पेंशन दी, फिर लेखाधिकारी ने की गुपचुप कटौती: ऑडिट में हुआ खुलासा

लखनऊ : अमरोहा के जिला लेखाधिकारी कार्यालय की लापरवाही से सेवानिवृत्त अध्यापकों को 2012 में पेंशन में तीन करोड़ रुपये ज्यादा बांट दिए गए। 2014 में ऑडिट में इसका खुलासा हुआ तो अफसरों ने बिना बताए ज्यादा दी गई धनराशि की पेंशन से कटौती शुरू कर दी। सेवानिवृत्त अध्यापकों ने जब कटौती के बारे में पूछा तो उन्हें गुमराह किया गया। सही जानकारी न मिलने पर एक अध्यापक ने आरटीआई का सहारा लिया, तब मामले का खुलासा हुआ। लेखाधिकारी ने स्वीकार किया कि ज्यादा दी गई पेंशन से अब तक 2.29 करोड़ रुपये की वसूली की जा चुकी है।

सहायक अध्यापक पद से सेवानिवृत्त करन सिंह ने अमरोहा के जिला वित्त एवं लेखाधिकारी कार्यालय से अप्रैल 2015 में आरटीआई के जरिए सूचना मांगी कि उनकी पेंशन से क्यों और किसके आदेश से कटौती हो रही है। जिला कार्यालय से सूचना न मिलने पर उन्होंने राज्य सूचना आयोग में अपील दाखिल की। इस पर आयोग ने जिला वित्त एवं लेखाधिकारी को नोटिस जारी कर 30 दिन में सूचना देने के आदेश दिए। आयुक्त हाफिज उस्मान ने बताया कि कई बार आयोग से समय लेने के बाद 27 नवंबर 2017 को जिला वित्त एवं लेखाधिकारी कार्यालय के जनसूचना अधिकारी शैलेंद्र सिंह आयोग में उपस्थित हुए।

उन्होंने बताया कि अमरोहा में नवंबर 2012 तक सेवानिवृत्त अध्यापकों को पेंशन लेखाधिकारी के जरिए दी जाती थी जबकि दिसंबर 2012 से पेंशन ट्रेजरी से मिलने लगी। 2014 में जब ट्रेजरी का आडिट हुआ तो एजी ने जारी धनराशि पर आपत्ति लगाई। उन्होंने कहा कि 1993 से 1997 के बीच रिटायर हुए 292 अध्यापकों को छठे वेतनमान के हिसाब से पेंशन दी गई है, जबकि शासनादेश के मुताबिक बेसिक शिक्षा विभाग में यह लागू नहीं था। इस आपत्ति का निस्तारण करते हुए जिन्हें ज्यादा पेंशन दी गई थी, उनसे वसूली शुरू कर दी गई है। 2014 से 2017 तक 2.29 करोड़ रुपये की वसूली कर ली गई है। बाकी वसूली 2018 से 2020 तक की जानी है।

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