*आज याचिका की नहीं हो सकी सुनवाई..*
*अगली डेट 15 जनवरी 2018 मिली...*
मित्रों जैसा कि आप जानते हैं कि आज हमारी याचिका की सुनवाई माननीय हाईकोर्ट में कोर्ट नंबर 18 में
आइटम नंबर 8 पर होनी थी। लंच से पहले फ्रेश केस ज्यादा होने के कारण नंबर नहीं आ पाया था।
तथा 2:00 बजे लंच के बाद बेंच पुनः बैठी और उसके बाद भी कुछ बचे हुए फ्रेश केस सुने गए। जिस कारण हमारी याचिका की सुनवाई का नंबर नहीं आ पाया। *पर हमारे अधिवक्तागण के रिक्वेस्ट करने पर बेंच ने अगली डेट निर्धारित कर दी गई। जो कि अब हमारी याचिका संख्या 51856/2017 की सुनवाई आगामी 15 जनवरी 2018 को होगी।*
मित्रों आप लोग परेशान व हताश न हों, क्योंकि यह एक न्यायिक प्रक्रिया है। और जो तथ्य हमने अपनी याचिका में रखे हैं उनका जवाब सरकार को हलफनामे के रूप में कोर्ट में दाखिल करना है। लेकिन हमारे तथ्यों का जवाब सरकार को ढूंढने में मशक्कत करना पड़ रही है। क्योंकि हमारे तत्थ्यों को सरकार नकार ही नहीं सकती। इसलिये हमें पूर्ण विश्वास है कि हम इस याचिका के माध्यम से सफलता की सीढ़ियों पर चढ़ेंगे और हम सब को सफलता प्राप्त होगी।
इसी के साथ पुनः अपने पदाधिकारियों को निर्देशित किया जाता है कि न्यायालय की पैरवी के लिए निर्धारित संघर्ष शुल्क की व्यवस्था आवश्यक रूप से शीघ्र अति शीघ्र करें। जिससे संगठन समस्त शिक्षामित्रों के मान-सम्मान को सुरक्षित रखने का संकल्प पूरा कर सके।
इसी के साथ......
जय शिक्षक.......
जय शिक्षा मित्र.......
आपका,
जितेंद्र शाही,
विश्वनाथ सिंह कुशवाहा,
लेखक,
सय्यद जावेद मियाँ,
प्रांतीय प्रवक्ता,
आदर्श समायोजित शिक्षक/शिक्षा मित्र वेलफेयर एसोसिएशन, उत्तर प्रदेश।
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*अगली डेट 15 जनवरी 2018 मिली...*
मित्रों जैसा कि आप जानते हैं कि आज हमारी याचिका की सुनवाई माननीय हाईकोर्ट में कोर्ट नंबर 18 में
आइटम नंबर 8 पर होनी थी। लंच से पहले फ्रेश केस ज्यादा होने के कारण नंबर नहीं आ पाया था।
तथा 2:00 बजे लंच के बाद बेंच पुनः बैठी और उसके बाद भी कुछ बचे हुए फ्रेश केस सुने गए। जिस कारण हमारी याचिका की सुनवाई का नंबर नहीं आ पाया। *पर हमारे अधिवक्तागण के रिक्वेस्ट करने पर बेंच ने अगली डेट निर्धारित कर दी गई। जो कि अब हमारी याचिका संख्या 51856/2017 की सुनवाई आगामी 15 जनवरी 2018 को होगी।*
मित्रों आप लोग परेशान व हताश न हों, क्योंकि यह एक न्यायिक प्रक्रिया है। और जो तथ्य हमने अपनी याचिका में रखे हैं उनका जवाब सरकार को हलफनामे के रूप में कोर्ट में दाखिल करना है। लेकिन हमारे तथ्यों का जवाब सरकार को ढूंढने में मशक्कत करना पड़ रही है। क्योंकि हमारे तत्थ्यों को सरकार नकार ही नहीं सकती। इसलिये हमें पूर्ण विश्वास है कि हम इस याचिका के माध्यम से सफलता की सीढ़ियों पर चढ़ेंगे और हम सब को सफलता प्राप्त होगी।
इसी के साथ पुनः अपने पदाधिकारियों को निर्देशित किया जाता है कि न्यायालय की पैरवी के लिए निर्धारित संघर्ष शुल्क की व्यवस्था आवश्यक रूप से शीघ्र अति शीघ्र करें। जिससे संगठन समस्त शिक्षामित्रों के मान-सम्मान को सुरक्षित रखने का संकल्प पूरा कर सके।
इसी के साथ......
जय शिक्षक.......
जय शिक्षा मित्र.......
आपका,
जितेंद्र शाही,
विश्वनाथ सिंह कुशवाहा,
लेखक,
सय्यद जावेद मियाँ,
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