शून्य जनपद के संदर्भ में
◼️ गोण्डा BSA को पार्टी बनाते हुए एक याचिका दाख़िल हुई
जिसमें ना शासनादेश चैलेंज किया गया और ना ही सरकुलर को चुनौती दी गयी, कोई
वक़ील विरोध के लिए उपलब्ध नही था इसलिए अप्रत्याशित रूप से एकतरफ़ा आदेश
भी हो गया। आदेश में कहा गया कि शून्य जनपद वाले अभ्यर्थीयों को बिना
न्यायालय की अनुमति प्राप्त किए नियुक्ति पत्र निर्गत ना किए जाएँ।
◼️ आपके लिए यह बात जानना भी अत्यंत महत्वपूर्ण है कि काफ़ी
समय से ज़िला वरीयता प्रकरण पर कई मुक़दमे लम्बित हैं और वर्तमान में मुख्य
न्यायाधीश महोदय की बेंच में ऐसे सभी मुक़दमों की सुनवाई भी चल रही है
जिसमें 12460 भर्ती को बचाने के लिए टीम की ओर से एल॰पी॰ मिश्रा साहब एंगेज
है। इस मुक़दमे में शून्य जनपद के चयनितों के सन्दर्भ में हमारी टीम का
स्टैंड एकदम स्पष्ट है, हम प्रथम वरीयता जनपद चुनने का अधिकार देने वाले
सरकुलर को बचाने के लिए काम कर रहे हैं।
◼️ गोण्डा वाला प्रकरण इतना बड़ा नही है जितना उसे बनाया गया
है, यह मुद्दा सिर्फ़ एक सुनवाई में हल हो सकता है और इसीलिए हमारी टीम की
ओर से कल शाम को इस मुद्दे पर एल॰पी॰ मिश्रा साहब को एंगेज भी किया गया था
लेकिन उसके कुछ समय बाद ही कुछ लोगों द्वारा यह कहा गया कि हमारी टीम के
अधिकतर सदस्य शून्य जनपद से नही हैं इसलिए हमको इस मुक़दमे में आगे नही आना
चाहिए, इसके अतिरिक्त तरह-तरह की अफ़वाहें इन लोगों द्वारा उड़ायी गयीं
जिससे यह स्पष्ट हो गया कि इस गतिरोध और भ्रम की स्थिति में एल॰पी॰ मिश्रा
साहब की फ़ीस जमा नही हो पायेगी।
◼️ उपरोक्त परिस्थिति में यदि आधी-अधूरी फ़ीस जमा हो भी जाती
तब बिना पूरी फ़ीस के एल॰पी॰ मिश्रा सर आपका केस नही लेते और ऐसे में हम उस
आधी फ़ीस को लेकर कहाँ घूमते ? ऐसे में यह शून्य जनपद के अभ्यर्थीयों के
साथ एक धोखे जैसा कार्य होता। इसलिए टीम द्वारा ना चाहते हुए भी उसी समय इस
केस में आगे ना रहने का निर्णय लिया गया।
◼️ अब भी अधिकतर चयनित यही भावना रखते हैं कि हमारी टीम को इस
केस में आगे रहना चाहिए, हम आज पहली बार ऐसे रास्ते पर खड़े हैं जहाँ हम
चाहकर भी कार्य नही कर पा रहे हैं..
◼️ कल सी॰जे॰ साहब के यहाँ ज़िला वरीयता का मुकदमा सुनवाई
हेतु लगा है, हम इस सुनवाई में भी शून्य जनपद का बचाव करेंगे तथा सुनवाई के
पश्चात गोण्डा प्रकरण के अतिशीघ्र निस्तारण की दिशा में निर्णय लेंगे।
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