भर्ती घोटाले मामले में एसएलपी पर शीर्ष कोर्ट से भी आयोग को नहीं मिली राहत, सीबीआइ जांच रुकवाने में आयोग का दूसरा कदम भी पड़ा कमजोर

इलाहाबाद: पांच साल के दौरान हुई भर्तियों की सीबीआइ जांच रुकवाने के लिए उप्र लोकसेवा आयोग को शीर्ष कोर्ट से भी राहत नहीं मिली है। आयोग की एसएलपी पर शुक्रवार को शीर्ष कोर्ट ने सिर्फ इतनी राहत दी है कि
सीबीआइ, आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों को अपने सामने तलब करने का कठोर निर्णय नहीं लेगी जबकि याची, सीबीआइ के प्रश्नों का और संदर्भित पत्रजातों को अपने कार्यालय में उपलब्ध कराने में सहयोग करेंगे। इस मामले में सीबीआइ को नोटिस निर्गत की गई है। भर्तियों की सीबीआइ जांच के खिलाफ आयोग को इलाहाबाद हाईकोर्ट से पहले ही निराश होना पड़ा है, जिसमें हाईकोर्ट ने भर्तियों की सीबीआइ जांच पर रोक लगाने से इन्कार करते हुए आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों को जांच में सहयोग का निर्देश दिया था। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि सीबीआइ आयोग के अध्यक्ष और सदस्य से पूछताछ नहीं करेगी। हाईकोर्ट के इस आदेश के खिलाफ आयोग ने 12 अप्रैल को शीर्ष कोर्ट में एसएलपी दाखिल की। इसमें भारत सरकार के कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग मंत्रलय, उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव, सीबीआइ और प्रदेश के पूर्व सचिव राहुल भटनागर को पार्टी बनाया। शुक्रवार को शीर्ष कोर्ट के न्यायमूर्ति एसए बोबडे और न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव की खंडपीठ ने आयोग की एसएलपी पर सीबीआइ को नोटिस जारी की। कोर्ट ने जांच पर रोक लगाने से इन्कार कर दिया और कहा कि सीबीआइ आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों को अपने समक्ष उपस्थित होने का कठोर निर्णय नहीं लेगी। आयोग के अध्यक्ष व सदस्य सीबीआइ के प्रश्नों और संबंधित मुद्दे पर जो भी अभिलेख मांगे जाएं उसे उपलब्ध कराने में सहयोग करेंगे।

UPTET news