कल अमिताभ अग्निहोत्री जी की शिक्षामित्रों के मामले में महाबहस के बाद सरकार चाहे तो तत्काल यह कर सकती हैः-
1. जो शिक्षामित्र जहाँ था वहाँ सेवा करता रहे सुविधाएँ व वेतन पूर्व की भाँति मिलती रहें , बस पद नाम शिक्षामित्र ही रहे ।
2. तत्काल टी.ई.टी ( स्पेसल ) करवे जैसे पिछली सरकार ने मोअल्लिम का कराया था ।
3. पुनः भर्ती निकाले और शिक्षामित्रों प्रथम वरीयता देकर समायोजित करे ।
साथ ही शिक्षामित्रों 2001 से सभी सेवाकालों को इन सेवाकालों से जोड़े ।और
इनके वरिष्ठताक्रम को बनाये रखे
4:- जलीकट्टू, पंजाबजल विवाद, शाहबानो की तरह कानून बना सकती है ।
5:- अब सवाल आता है सरकार शिक्षामित्रों के लिए ऐसा क्यों करे तो इसका जवाब
है इसलिए करे कि शिक्षामित्रों नें अपनी पूरी जवानी बेसिक शिक्षा को
सवांरने में ही लगा दिया अब कोई विकल्प नहीं बचता है यह शिक्षामित्रों का
अधिकार है । और सरकारों का नैतिक कर्तव्य ।
सरकार के लिए ऐसा करना कुछ कठिन नहीं है , इससे सुप्रिम कोर्ट की पवित्रता
भी बनी रहेगी और शिक्षामित्रों का जीवन भी सुरक्षित हो जाएगा ।
यह तभी संभव है जब सरकार की मंसा साफ हो जोकि है ही नहीं ।
शिक्षामित्र कोई भी अयोग्य नहीं है , सब स्नातक व बी.टी. सी. योग्यताधारी है इसमें कुछ संसय नहीं है और 17 वर्षों का अनुभव भी है ।
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- 2004 में शिक्षामित्रों की नियुक्तियों हेतु जारी विज्ञप्ति: इसी विज्ञप्ति के आधार पर हुआ था शिक्षामित्रों की का चयन
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