उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग की भर्तियों की जांच में सीबीआइ एक और एफआइआर
जल्द ही दर्ज कराने की तैयारी में है। पीसीएस 2015 की जांच नतीजे की ओर
है, वहीं अब जांच टीम को एपीएस यानि अपर निजी सचिव 2010 की भर्ती में भी
अहम भ्रष्टाचार के सुबूत मिले हैं। इस भर्ती की सारी कड़ियां जांच अफसर
जोड़ने में जुटे हैं। इसमें आयोग के रिकॉर्ड भी गड़बड़ी की बड़ी गवाही दे
रहे हैं।
आयोग की पांच साल की भर्तियां खंगाल रही सीबीआइ ने लखनऊ में प्राथमिक सूचना
रपट दर्ज कराने के बाद इलाहाबाद मुख्यालय में कदम रखा था। तीन माह की गहन
जांच के बाद पांच मई को दिल्ली मुख्यालय पर पहली एफआइआर दर्ज कराई गई। उस
एफआइआर में भले ही कोई नामजद नहीं है लेकिन, पूरा प्रकरण पीसीएस 2015 का
है।
जांच टीम की मानें तो इस मामले में निष्कर्ष भी जल्द ही सामने होंगे। इसी
बीच टीम को एपीएस 2010 भर्ती की अहम गड़बड़ियां मिली हैं। सूत्रों की मानें
तो भर्ती के टाइप टेस्ट में चार से पांच गलतियों को करने की छूट
अभ्यर्थियों को मिली है, लेकिन कई ऐसे अभ्यर्थियों को चयनित किया गया
जिन्होंने 25 से 30 गलतियां की हैं। वह सब रिकॉर्ड में है। इस भर्ती के
खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल हुई। 1कोर्ट ने 18 लोगों को
बर्खास्त करने का आदेश दिया। आयोग ने उनमें से नौ लोगों को बर्खास्त किया
है, बाकी को सही बताकर ज्वाइन कराया गया है। ऐसे ही कंप्यूटर का टिपल ‘सी’
प्रमाणपत्र आयोग ने तय तारीख के बाद स्वीकार किया है। बल्कि इस प्रक्रिया
को भी सही करार दिया जा रहा है। 1तमाम ऐसे भी अभ्यर्थी भी सामने आए हैं,
जिन्होंने हलफनामा दिया है कि उन्हें भर्ती के टाइप टेस्ट की सूचना नहीं दी
गई। वहीं, आयोग का दावा है कि उसने अभ्यर्थियों के रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर
पर सूचना भेजी है। सीबीआइ टीम ने इस मामले के रिकॉर्ड खंगाले तो कई अहम
दस्तावेज हाथ लगे हैं, जो खुद गवाही दे रहे हैं कि इन स्तरों पर अनदेखी की
गई है। जांच टीम इस भर्ती में गड़बड़ी करने वालों को भी चिह्न्ति किया है।
इसी मामले व कुछ अन्य भर्तियों को लेकर जल्द ही दूसरी एफआइआर दर्ज होगी।
अफसरों का कहना है कि वह अभी गिरफ्तारी करने की जल्दबाजी में नहीं है,
बल्कि अहम मामलों को जांचने के बाद ही इस दिशा में आगे बढ़ा जाएगा।’
पिछले महीने ही दिल्ली मुख्यालय पर दर्ज हुई थी पहली एफआइआर
आयोग की अपर निजी सचिव भर्ती में भ्रष्टाचार के मिले सुबूत
