इलाहाबाद : शिक्षा बोर्ड, पाठ्यक्रम और शिक्षकों का पद समान होने के बाद
चयन की अलग-अलग अर्हता पर पूर्णविराम लगाने की तैयारी है। पिछले महीने
माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड के निर्णय पर महकमे के अफसर ही आमने-सामने आ
गए थे।
उप्र लोकसेवा आयोग ने उन्हीं विषयों की परीक्षा कराई जिनके पद चयन
बोर्ड ने 1998 के शासनादेश के आधार पर खत्म कर दिया है। इसमें शिक्षक बनने
के दावेदार परेशान हुए तो शासन ने तीन अफसरों की कमेटी गठित करके शिक्षक
चयन का फासला खत्म करने को सुझाव मांगे हैं। 1प्रदेश में यूपी बोर्ड के
राजकीय व अशासकीय माध्यमिक कालेजों में एलटी ग्रेड यानी प्रशिक्षित स्नातक
शिक्षक चयन में कुछ विषयों की अर्हताएं अलग-अलग हैं। अशासकीय कालेजों की
स्नातक शिक्षक व प्रवक्ता भर्ती 2016 व राजकीय कालेजों की एलटी ग्रेड
शिक्षक भर्ती 2018 में करीब 20 हजार पदों पर चयन को लेकर असमंजस बना। इसका
हल निकालने को शिक्षा विभाग के तीन बड़े अफसरों यूपी बोर्ड की सचिव नीना
श्रीवास्तव, अपर निदेशक माध्यमिक शिक्षा मंजू शर्मा और संयुक्त शिक्षा
निदेशक माध्यमिक इलाहाबाद माया निरंजन की कमेटी गठित किया है। तीनों अफसर
भर्तियों में आ रहे अर्हता व अन्य विवादों का एक साथ बैठकर समाधान खोजेंगे।
यह भी प्रयास होगा कि यूपी बोर्ड से ही संचालित माध्यमिक कालेजों में
शिक्षक चयन की विषय के हिसाब से अर्हता समान रहे, ताकि एक ही पद की वर्षो
से तैयारी कर रहे युवाओं को आवेदन करने के लिए परेशान न होना पड़े। शासन ने
एक माह में कमेटी से सुझाव मांगे हैं, इसके बाद हर कालेज में अर्हता समान
होने की उम्मीद है।
इस तरह से फंस रहा चयन
राजकीय माध्यमिक कालेजों में 10768 एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती की लिखित
परीक्षा उप्र लोकसेवा आयोग यानी यूपी पीएससी ने कराई। आवेदन शुरू होते ही
हंिदूी, कंप्यूटर, कला जैसे विषयों की अर्हता को लेकर प्रदर्शन हुआ। हल न
निकलने पर हाईकोर्ट में याचिकाएं हुईं और कोर्ट के आदेश पर आवेदन हुए। 12
जुलाई को अशासकीय कालेजों में 2016 के 9294 शिक्षक भर्ती विज्ञापन के आठ
विषयों के पद माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड ने इस आधार पर निरस्त कर दिए
कि ये विषय नहीं हैं। 2016 की लिखित परीक्षा भी स्थगित हो गई है। यूपी
पीएससी एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती की लिखित परीक्षा 29 जुलाई को करा चुका है
उसमें जीव विज्ञान व संगीत विषय शामिल हैं, जिनके पद चयन बोर्ड निरस्त कर
चुका है। एक बोर्ड के दो कालेजों की दो भर्तियों को लेकर यह नौबत इसलिए आयी
कि उनकी अर्हता अलग-अलग संस्था तय करती हैं।
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