जौनपुरः उत्तर प्रदेश में जौनपुर जिले के तीन प्राथमिक
विद्यालयों में फर्जी डिग्री के सहारे सहायक अध्यापक के रुप कार्यरत तीन
शिक्षको को बर्खास्त किया गया है।
बेसिक शिक्षा अधिकारी डॉ. राजेंद्र सिंह
ने बुधवार को यहां बताया कि दो शिक्षकों ने आगरा से बीएड का फर्जी अंकपत्र
लगाकर तथा तीसरे शिक्षक ने शासनादेश के विपरीत मृतक आश्रित कोटे से सहायक
अध्यापक के रुप में नौकरी प्राप्त कर ली थी। पिछले दो वर्षो से इस प्रकरण
की उच्च स्तरीय जांच चल रही थी।
उन्होंने बताया कि सुइथाकला ब्लाक के प्राथमिक विद्यालय कादीपुर में तैनात
शिक्षक कुलदीप वर्मा तथा मुंगराबादशाहपुर ब्लाक के प्राथमिक विद्यालय
गोधुवां में तैनात संतोष कुमार शर्मा ने फर्जी बीएड डिग्री के आधार पर
सहायक अध्यापक की नौकरी पाने में सफल हो गये। जबकि हैदरगंज के प्राथमिक
विद्यालय हैदरगंज में अदुल बारी खां ने शासनादेश के विपरीत 31 दिसंबर 2009
को सहायक अध्यापक के रुप में मृतक आश्रित के तौर पर नौकरी प्राप्त कर ली
थी। सिंह ने बताया कि जांच में दोनों की डिग्री फर्जी पायी गयी, जबकि तीसरा
फर्जी रूप से मृतक आश्रित के तौर पर नौकरी कर रहा था। तीनों शिक्षको को
बर्खास्त कर दिया गया है।
गौरतलब है कि डॉ. भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय, आगरा के बीएड सत्र
2004-05 में कुछ छात्रों का अधिक परीक्षा परिणाम अंकित कर फर्जी अंक
तालिकाएं वितरित की गयी थी। इस फर्जी बीएड डिग्री के आधार पर जौनपुर में भी
कुछ युवक युवतियां सहायक अध्यापक की नौकरी पाने में सफल हो गये। अपर पुलिस
महानिदेशक एसआईटी (विशेष अनुसंधान दल) ने पिछले दो वर्षों से की गयी जांच
पड़ताल के बाद अपने पत्र में फर्जी अंक तालिकाओं के आधार पर उत्तीर्ण ऐसे
ही दो छात्रों की सूची जौनपुर बीएसए डॉ. राजेंद्र सिंह को भेजी, जिन्होंने
फर्जी बीएड डिग्री का सहारा लेकर सहायक अध्यापक की नौकरी हासिल कर ली थी।
ऐसा ही फर्जीवाड़ा नगर क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय हैदरगंज में तैनात
शिक्षक अब्दुल बारी खां ने शासनादेश के विपरीत 31 दिसंबर 2009 को सहायक
अध्यापक के रुप में मृतक आश्रित के तौर पर नौकरी प्राप्त कर ली थी। अब्दुल
बारी खां की मां तथा पिता अब्दुल जब्बार बेसिक शिक्षा विभाग में सहायक
अध्यापक के रुप में नियुक्त थे। इस संबंध में बीएसए डॉ. राजेंद्र सिंह ने
बताया कि शासनादेश चार सितंबर 2000 जारी नियमावली है कि किसी भी शिक्षक के
पति-पत्नी राज्य सरकार के किसी भी कार्यालय या निगम में तैनात हैं तो उनके
मृतक आश्रित को नौकरी नहीं दी जा सकती।
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