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शिक्षक भर्तियों में उच्च शिक्षा निदेशालय की मनमानी से अभ्यर्थी सड़क पर, फिर कोर्ट जाएंगे चयनित

प्रयागराज : असिस्टेंट प्रोफेसर की एक भर्ती में काउंसिलिंग के दो मानक अपनाकर शासन ने तो तीन विषयों में चयनित अभ्यर्थियों के साथ बड़ा मजाक किया। उच्च शिक्षा निदेशालय ने भी कोई बदलाव न कर काउंसिलिंग लटकाए रखा, जो अब टल गई है।
विज्ञापन 46 के तहत उप्र उच्चतर शिक्षा सेवा चयन आयोग से 21 मई को पहला रिजल्ट निकलने के बाद से निदेशालय की मनमानी शुरू हुई, चयनितों को हाईकोर्ट तक जाना पड़ा था अब वही रवैया अंतिम के तीन विषयों को लेकर अपनाया जा रहा है।
उप्र उच्चतर शिक्षा सेवा चयन आयोग यानि यूपीएचईएससी से विज्ञापन 46 के तहत हुए साक्षात्कार के बाद पहला परिणाम 21 मई 2018 को शिक्षाशास्त्र का जारी हुआ। 28 मई को संस्कृत, 31 मई को अंग्रेजी और 15 जून को कला विषय का परिणाम आया। इससे पहले विज्ञापन 37 के तहत यूपीएचईएससी ने परिणाम जारी किया था, जबकि विज्ञापन 37 का आवेदन 2003 में लिया गया था। इधर मई में परीक्षा परिणाम जारी होने के बाद काउंसिलिंग कराने के लिए चयनितों को उच्चतर शिक्षा सेवा चयन आयोग के कई चक्कर लगाने पड़े। धरना प्रदर्शन भी हुआ लेकिन, निदेशालय ने संज्ञान नहीं लिया। अंतत: सात अगस्त को चयनितों ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की। सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति अमित बी स्थालकर ने निदेशालय को फटकार लगाते हुए काउंसिलिंग कराने व एक माह में नियुक्ति पत्र जारी करने का आदेश दिया। कोर्ट के सख्त रवैये को देखते हुए उच्च शिक्षा निदेशालय ने उसी दिन शाम पांच बजे काउंसिलिंग का शेड्यूल जारी कर दिया।1कोर्ट की सख्ती के बाद भी निदेशालय का रवैया नहीं बदला। अंतिम तीन विषयों रसायन, भौतिक और जंतु विज्ञान विषय का परिणाम 10 अगस्त को जारी होने के बाद से काउंसिलिंग के लिए अभ्यर्थियों को लटकाए रखा। तीन महीने से निदेशालय पहुंच रहे अभ्यर्थियों को काउंसिलिंग का आश्वासन ही देते रहे और अंतत: शासन की ओर से काउंसिलिंग का मानक बदल जाने से प्रक्रिया ही टल गई।
फिर कोर्ट जाएंगे चयनित : रसायन विज्ञान, भौतिक और जंतु विज्ञान विषय के चयनित अभ्यर्थियों ने उच्च शिक्षा निदेशालय की मनमानी से त्रस्त होकर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करने का निर्णय लिया है।

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