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यूपी में भर्तियाँ सीबीआइ जांच के 10 माह बाद भी रही बेनतीजा, UPPSC की बड़ी भर्तियों में हुई गड़बड़ी के राज भी हो रहे दफन

प्रयागराज : उप्र लोकसेवा आयोग (यूपीपीएससी) के जरिये पांच साल में हुई सभी भर्तियों की सीबीआइ जांच 10 माह बाद भी किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकी है। 586 भर्तियों की जांच के लिए 31 जनवरी 2018 को टीम यूपीपीएससी पहुंची थी।
राज्य सरकार और परीक्षाओं में गड़बड़ी के चलते चयन से वंचित अभ्यर्थियों की उम्मीदों को जो रोशनी मिली थी, वह मद्धिम पड़ गई है। जांच टीम के प्रभारी, एसपी राजीव रंजन की प्रतिनियुक्ति समाप्त होने के बाद से अब तक सीबीआइ ने कोई दूसरा नेतृत्व भी तय नहीं किया है।
सीबीआइ ने 2017, नवंबर में जांच के प्रति सक्रियता दिखाई थी और 31 जनवरी, 2018 को में प्रवेश करने के बाद अभ्यर्थियों के साथ दोस्ताना अंदाज पेश किया था। टीम प्रभारी राजीव रंजन को इसका फायदा भी मिला और अभ्यर्थियों ने ही उन्हें यूपीपीएससी की ओर से हुई बड़ी भर्तियों में ऐसे-ऐसे साक्ष्य दे दिए जिससे गड़बड़ी करने वालों का फंसना तय हो गया था। पीसीएस 2015 में सबसे अधिक गड़बड़ी और लोअर सबॉर्डिनेट 2013, आरओ-एआरओ 2014 आदि परीक्षाओं में भी व्यापक रूप से गड़बड़ी के ढेरों शिकायती पत्र मिले। सीबीआइ ने इन्हीं पत्रों और साक्ष्यों के आधार पर यूपीपीएससी को खूब खंगाला और रिकार्ड जब्त किए। इससे अभ्यर्थियों ही नहीं, राज्य सरकार की मंशा भी जल्द ही फलीभूत होते दिखी। जब जांच किसी नतीजे पर नहीं पहुंची तो इसमें लोगों को सियासी दबाव या अन्य अड़चन आने की आशंका हुई और मई माह के बाद जांच ठप हो जाने व करीब डेढ़ महीने पहले एसपी राजीव रंजन की प्रतिनियुक्ति समाप्त होने की खबर ने होश उड़ा दिए।

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