आप जब यह खबर पढ़ रहे होंगे, उसके ठीक एक माह बाद सहायक अध्यापक भर्ती की लिखित परीक्षा होगी। यह परीक्षा अनूठी है, क्योंकि इम्तिहान और आवेदन शुरू होने के पहले ही परीक्षा का परिणाम तय है, वजह शासन ने इसमें कोई उत्तीर्ण प्रतिशत तय नहीं किया है
इसलिए रिजल्ट में कोई फेल-पास नहीं होगा, बल्कि भर्ती की घोषित सीटों पर जिनका चयन होगा, वे पास कहे जाएंगे और जो चयनित नहीं होंगे वह सब फेल हो जाएंगे। यानी 69 हजार अभ्यर्थी पास होंगे, बाकी को फेल होना ही है।
बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक स्कूलों में प्रदेश सरकार एक तरह से मेरिट पर ही सहायक अध्यापकों का चयन करने जा रही है। पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के समय में भी भर्तियां मेरिट पर ही हुई थी, दोनों अंतर सिर्फ इतना है कि सपा शासन में एकेडमिक मेरिट पर नियुक्तियां मिलीं, जबकि योगी सरकार लिखित परीक्षा की मेरिट पर नियुक्तियां देगी। इसलिए 22 जनवरी को घोषित होने वाले परीक्षा के परिणाम के बाद किसी तरह की हलचल नहीं होगी। सभी अभ्यर्थी हासिल होने वाले अंकों पर ही गौर करेंगे। इसके बाद वे घोषित होने वाले कटऑफ पर नजर गड़ाएंगे, क्योंकि कटऑफ में आने वालों को ही शिक्षक बनने का मौका मिलेगा। भर्ती के शासनादेश में भी स्पष्ट रूप से लिखा है कि यह परीक्षा मात्र इन पदों की भर्ती के लिए ही मान्य है। पिछली 68500 शिक्षक भर्ती में उत्तीर्ण प्रतिशत की वजह से सिर्फ 41556 अभ्यर्थी ही सफल हो पाए थे, इसलिए सीटें भरने के लिए चयन का फामरूला बदला गया है।
इसलिए रिजल्ट में कोई फेल-पास नहीं होगा, बल्कि भर्ती की घोषित सीटों पर जिनका चयन होगा, वे पास कहे जाएंगे और जो चयनित नहीं होंगे वह सब फेल हो जाएंगे। यानी 69 हजार अभ्यर्थी पास होंगे, बाकी को फेल होना ही है।
बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक स्कूलों में प्रदेश सरकार एक तरह से मेरिट पर ही सहायक अध्यापकों का चयन करने जा रही है। पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के समय में भी भर्तियां मेरिट पर ही हुई थी, दोनों अंतर सिर्फ इतना है कि सपा शासन में एकेडमिक मेरिट पर नियुक्तियां मिलीं, जबकि योगी सरकार लिखित परीक्षा की मेरिट पर नियुक्तियां देगी। इसलिए 22 जनवरी को घोषित होने वाले परीक्षा के परिणाम के बाद किसी तरह की हलचल नहीं होगी। सभी अभ्यर्थी हासिल होने वाले अंकों पर ही गौर करेंगे। इसके बाद वे घोषित होने वाले कटऑफ पर नजर गड़ाएंगे, क्योंकि कटऑफ में आने वालों को ही शिक्षक बनने का मौका मिलेगा। भर्ती के शासनादेश में भी स्पष्ट रूप से लिखा है कि यह परीक्षा मात्र इन पदों की भर्ती के लिए ही मान्य है। पिछली 68500 शिक्षक भर्ती में उत्तीर्ण प्रतिशत की वजह से सिर्फ 41556 अभ्यर्थी ही सफल हो पाए थे, इसलिए सीटें भरने के लिए चयन का फामरूला बदला गया है।