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फर्जी शिक्षकों की कुंडली तैयार कर रहा बेसिक शिक्षा विभाग

देवरिया। पिछले नौ वर्षों में हुई भर्ती में चयनित अभ्यर्थियों के प्रमाण पत्रों के सत्यापन में पचास से अधिक शिक्षक जांच टीम के निशाने पर आ गए हैं।
पहले चरण की पड़ताल के बाद दस्तावेजों में गड़बड़ी की आशंका पर टीम अब उनका विस्तृत रिकॉर्ड खंगाल रही है। निशाने पर आए ज्यादातर शिक्षकों की डिग्रियां राजस्थान, हरियाणा, आंध्र प्रदेश सहित अन्य प्रांतों की हैं।  
प्रदेश के विभिन्न जिलों में फर्जी प्रमाण पत्रों के सहारे नौकरी हासिल करने वाले लोगों के खिलाफ जांच चल रही है। पहले मथुरा, एटा में बड़े पैमाने पर भर्ती में फर्जीवाड़े का पर्दाफाश हुआ और फिर हाल में ही सिद्धार्थनगर जिले में कई शिक्षकों के फर्जी दस्तावेजों के सहारे नौकरी हासिल करने का पर्दाफाश हुआ है। इसमें डेढ़ दर्जन से अधिक शिक्षक देवरिया जनपद के निवासी हैं। फर्जी शिक्षकों के मामले में देवरिया जनपद शुरू से ही शासन की रडार पर है। विभागीय सूत्रों की मानें तो बीते वर्षों में जिले के अधिकारियों व कर्मचारियों की मिलीभगत से जाली दस्तावेजों के आधार पर सैकड़ों लोगों ने नौकरी हासिल की है। कई ब्लाकों में उनकी तैनाती भी है। जनपद में भी ऐसे वर्ष 2010 से अब तक हुई शिक्षक भर्ती के अंतर्गत रखे गए शिक्षकों के प्रमाण पत्रों की पुन: जांच कराई जा रही है। ऐसे शिक्षकों के प्रमाण पत्रों की जांच गंभीरता से की जा रही है, जिन्होंने देश के अन्य प्रांतों से बीएड, बीटीसी, स्नातक, परास्नातक सहित अन्य डिग्री डिप्लोमा कोर्स किए हैं। उधर, डीएम की ओर गठित त्रिस्तरीय जांच समिति ने भी जांच प्रक्रिया को तेज किया है और कई शिक्षकों के प्रमाण पत्रों को चिह्नित भी किया है। नई पहल से जाली दस्तावेजों के सहारे नौकरी कर रहे शिक्षकों की बेचैनी बढ़ गई है।

चिह्नित 10 शिक्षकों पर नहीं हुई कार्रवाई
करीब चार वर्ष पूर्व जिले में कार्यरत 10 शिक्षकों के प्रमाण पत्रों में गड़बड़ी का मामला सामने आया था। शिकायत के बाद तत्कालीन बीएसए और फिर एडी बेसिक ने उनके मूल दस्तावेज तलब किए तो शिक्षक टालमटोल करने लगे। उन्हें नोटिस जारी किया गया, समाचार पत्रों में भी गजट कराते हुए बर्खास्तगी की कार्रवाई शुरू की गई, लेकिन मजबूत राजनीतिक पहुंच के कारण मामला ठंडे बस्ते में चला गया है। अब फिर से फर्जी शिक्षकों की जांच शुरू होने से संबंधित शिक्षक राजनीतिक पैरवी में जुट गए हैं।

तरकुलवा में आया था मामला
वर्ष 2010 से पूर्व हुई भर्तियों में भी काफी धांधली हुई है। विभागीय सूत्रों की मानें तो करीब दो माह पूर्व तरकुलवा ब्लाक में प्रोन्नत वेतनमान के लिए चयनित शिक्षकों के दस्तावेजों की खोजबीन शुरू हुई तो कई शिक्षकों के नियुक्ति पत्र में खामियां सामने आईं। नियुक्ति पत्र पर दर्ज पत्रांक व पत्र अभिलेख संख्या दूसरे दस्तावेजों में अलग था। मिलान के बाद तत्कालीन बीईओ ने मामले की विस्तृत जांच शुरू की तो संबंधित शिक्षकों ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर उनका ही तबादला करा दिया।

गैर प्रांतों से डिग्री-डिप्लोमा हासिल करने वाले शिक्षकों के प्रमाण पत्रों की जांच गंभीरता से की जा रही है। कुछ प्रमाण पत्रों को चिह्नित भी किया गया है। जांच समिति की ओर से मांगी गई सारी रिपोर्ट दे दी गई है। जांच समिति इसे शासन को सौंपेगी। जिनके भी प्रमाण पत्र फर्जी पाए जाएंगे, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। -माधवजी तिवारी, बीएसए।

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