PRAYAGRAJ: छह दिन के अंतराल पर परीक्षा. दोनो ही शिक्षक भर्ती की
परीक्षा और वाहट्सएप पर वायरल प्रकरण भी एक ही जैसा. एक में जांच बैठ गई और
दूसरे को लेकर खामोशी है.
खामोशी भी कुछ ऐसी कि कोई कुछ सुनने को तैयार ही नहीं है. परीक्षार्थी सड़क से लेकर हाईकोर्ट तक लड़ाई लड़ने पर अडिग हैं. मामला प्राइमरी में सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा के पेपर आउट प्रकरण का है.
मूल पेपर और सवालों में अंतर नहीं
06 जनवरी को परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय ने सूबे के प्राइमरी स्कूलों में शिक्षकों के रिक्त 69,000 पदों पर भर्ती के लिए सहायक अध्यापक की परीक्षा का आयोजन किया था. परीक्षा सुबह 11 बजे से थी. परीक्षा में शामिल परीक्षार्थियों ने परीक्षा के तुरंत बाद हंगामा मचाना शुरु कर दिया कि परीक्षा से पहले ही पेपर वाहट्सएप पर वायरल कर दिया गया. दैनिक जागरण आई नेक्स्ट के पास परीक्षार्थियों ने परीक्षा से पूर्व की टाइमिंग का वाहट्सएप स्क्रीनशॉट भेजा. इससे स्पष्ट था कि प्रश्न पत्र स्क्रीनशॉट में कोई अंतर नहीं है.
आंसर की बनाकर किया वायरल
स्क्रीनशॉट गलत नहीं है तो सहायक अध्यापक का पेपर निश्चित रूप से परीक्षा के पहले आउट हुआ था. यही नहीं इस बात को लेकर भी हंगामा मचा कि परीक्षा से पूर्व ही चारों सीरिज की आंसर की बनाकर भी वायरल की गई. इसे लेकर परीक्षा के दिन से ही हंगामा चल रहा है. परीक्षार्थियों का कहना है कि सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी बिना किसी जांच के पूरे प्रकरण को फर्जी बताकर मामले को खत्म करना चाहते हैं. परीक्षार्थियों के विरोध को एक गुट का विरोध बताकर भी आवाज को दबाने की कोशिश की जा रही है. उनका कहना है कि चूंकि खुद यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ इस भर्ती को आगामी लोकसभा चुनाव से पहले पूरा करके सरकार की नौकरी न देने पाने वाली छवि को बदलना चाहते हैं. इसी से स्वीकृत भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया जा रहा है.
दो दिन बाद हंगामा, चौथे दिन ही जांच का आदेश
कुछ इसी तरह का मामला उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग में भी सामने आया. उशिसे आयोग ने 12 जनवरी को असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती परीक्षा का आयोजन किया था. परीक्षा के दो दिन बाद परीक्षार्थियों ने आरोप लगाया कि जौनपुर निवासी एक अभ्यर्थी ने पेपर में शामिल प्रश्नों की आंसर की परीक्षा से पूर्व वाहट्सएप पर वायरल कर दी. इसका स्क्रीनशॉट सुबह 08:21 बजे का है. इस मामले का गंभीरता से संज्ञान उशिसे आयोग ने लिया और 16 जनवरी को ही वायरल प्रकरण की जांच का आदेश जारी कर दिया. आयोग ने बाकायदा बैठक करके निर्णय लिया कि इसकी जांच अवकाश प्राप्त जनपद न्यायाधीश स्तर के न्यायिक अधिकारी से करवाई जाएगी.
खामोशी भी कुछ ऐसी कि कोई कुछ सुनने को तैयार ही नहीं है. परीक्षार्थी सड़क से लेकर हाईकोर्ट तक लड़ाई लड़ने पर अडिग हैं. मामला प्राइमरी में सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा के पेपर आउट प्रकरण का है.
मूल पेपर और सवालों में अंतर नहीं
06 जनवरी को परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय ने सूबे के प्राइमरी स्कूलों में शिक्षकों के रिक्त 69,000 पदों पर भर्ती के लिए सहायक अध्यापक की परीक्षा का आयोजन किया था. परीक्षा सुबह 11 बजे से थी. परीक्षा में शामिल परीक्षार्थियों ने परीक्षा के तुरंत बाद हंगामा मचाना शुरु कर दिया कि परीक्षा से पहले ही पेपर वाहट्सएप पर वायरल कर दिया गया. दैनिक जागरण आई नेक्स्ट के पास परीक्षार्थियों ने परीक्षा से पूर्व की टाइमिंग का वाहट्सएप स्क्रीनशॉट भेजा. इससे स्पष्ट था कि प्रश्न पत्र स्क्रीनशॉट में कोई अंतर नहीं है.
आंसर की बनाकर किया वायरल
स्क्रीनशॉट गलत नहीं है तो सहायक अध्यापक का पेपर निश्चित रूप से परीक्षा के पहले आउट हुआ था. यही नहीं इस बात को लेकर भी हंगामा मचा कि परीक्षा से पूर्व ही चारों सीरिज की आंसर की बनाकर भी वायरल की गई. इसे लेकर परीक्षा के दिन से ही हंगामा चल रहा है. परीक्षार्थियों का कहना है कि सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी बिना किसी जांच के पूरे प्रकरण को फर्जी बताकर मामले को खत्म करना चाहते हैं. परीक्षार्थियों के विरोध को एक गुट का विरोध बताकर भी आवाज को दबाने की कोशिश की जा रही है. उनका कहना है कि चूंकि खुद यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ इस भर्ती को आगामी लोकसभा चुनाव से पहले पूरा करके सरकार की नौकरी न देने पाने वाली छवि को बदलना चाहते हैं. इसी से स्वीकृत भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया जा रहा है.
दो दिन बाद हंगामा, चौथे दिन ही जांच का आदेश
कुछ इसी तरह का मामला उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग में भी सामने आया. उशिसे आयोग ने 12 जनवरी को असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती परीक्षा का आयोजन किया था. परीक्षा के दो दिन बाद परीक्षार्थियों ने आरोप लगाया कि जौनपुर निवासी एक अभ्यर्थी ने पेपर में शामिल प्रश्नों की आंसर की परीक्षा से पूर्व वाहट्सएप पर वायरल कर दी. इसका स्क्रीनशॉट सुबह 08:21 बजे का है. इस मामले का गंभीरता से संज्ञान उशिसे आयोग ने लिया और 16 जनवरी को ही वायरल प्रकरण की जांच का आदेश जारी कर दिया. आयोग ने बाकायदा बैठक करके निर्णय लिया कि इसकी जांच अवकाश प्राप्त जनपद न्यायाधीश स्तर के न्यायिक अधिकारी से करवाई जाएगी.