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शिक्षा के मंदिरों’ की हर अर्जी पर चढ़ावा!

झांसी। ‘शिक्षा के मंदिर’ की मान्यता से लेकर रोजमर्रा के कामकाज के लिए शिक्षा विभाग के संबंधित दफ्तरों में मोटा ‘चढ़ावा’ भेंट करना पड़ रहा है। यही नहीं, गुरुजनों के वेतन, पेंशन आदि हर मद में रेट तय हैं। ये पांच हजार से तीन लाख तक हैं। दफ्तरों में खुलेआम हो रही इस लूट से शिक्षक, कर्मचारी और विद्यालयों के संचालक सब त्रस्त हैं। घूस की बुनियाद पर हो रहे शिक्षण का हश्र देखने और व्यवस्था सुधारने के लिए न तो जिम्मेदार अधिकारी सजग हैं न ही जनप्रतिनिधि। सोमवार को लखनऊ से आई एंटी करप्शन टीम ने डीआईओएस कार्यालय से एक क्लर्क को रंगेहाथ दस हजार की घूस लेते गिरफ्तार किया था।
शिक्षा भवन परिसर में संयुक्त शिक्षा निदेशक कार्यालय, जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय, एडी बेसिक कार्यालय, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय, वित्त विभाग सहित अन्य दफ्तर हैं। इनमें प्राइमरी से लेकर हाईस्कूल इंटर तक की मान्यता, पेंशन, अनुकंपा पर नौकरी, अनुदानित स्कूलों में भर्ती, वेतन निर्धारण एवं उसे शुरू करने, सेवा पुस्तिका सत्यापन सहित कई अन्य कार्य होते हैं। अधिकांशत: इन कार्यों को पूरा कराने के लिए तथाकथित कर्मियों को चढ़ावा देना जरूरी रहता है। यही वजह है कि कई शिक्षक एवं कर्मचारी जिनमें सेवानिवृतों की भी अच्छी खासी संख्या रहती है। अपनी फाइल को मंजूर कराने के लिए चक्कर लगाते रहते हैं। माध्यमिक शिक्षक संघ के जिला मंत्री दिनेश प्रधान ने कहा कि भ्रष्टाचार को रोकने के लिए जरूरी है कि फाइलों का निस्तारण तीन दिन में हो, जो शासन के निर्देश भी हैं। कई ऐसी फाइलें हैं, जो लंबे समय से पड़ी हैं। संघ के जिलाध्यक्ष डॉ. सत्येंद्र सिंह ने कहा कि मामलों का निस्तारण हो रहा है कि नहीं, इसका समय - समय पर सत्यापन होना चाहिए।
ये हैं ऊपरी चढ़ावे के रेट
मान्यता के लिए एक लाख, पेंशन के लिए 20 से 30 हजार, अनुकंपा पर नौकरी के लिए 2 से 3 लाख रुपये, वेतन शुरू करने के लिए 5 से 10 हजार, अवशेषों का भुगतान करने के लिए 5 से 10 हजार रुपये, वेतन निर्धारण के लिए 5 हजार रुपये, सेवा पुस्तिका सत्यापन एवं चाइल्ड केयर लीव के लिए 5 - 5 हजार रुपये, बकाया वेतन की निकासी के लिए 5 से 10 प्रतिशत शिक्षकों व कर्मचारियों को देना पड़ता है।
अब मान्यता के लिए सारी व्यवस्था ऑन लाइन हो गई है। सारी प्रक्रिया ऑन लाइन पूरी करने के बाद ही जिला विद्यालय निरीक्षक, एसडीएम समेत तीन सदस्यों की कमेटी स्थलीय निरीक्षण करती है। इसके बाद इसकी रिपोर्ट शासन को दी जाती है। रिपोर्ट के आधार पर ही मान्यता मिलती है। विभाग स्तर पर भी इसका कड़ाई से पालन कराया जा रहा है।
कोमल यादव, जिला विद्यालय निरीक्षक
भ्रष्टाचार जड़ में है, इसे हटाना होगा। कई कर्मचारी बिना पैसे लिए काम नहीं करते हैं। शिक्षकों को इससे डरने की जरूरत नहीं है। भ्रष्टाचार समाप्त करने के लिए वे निश्चित कर लें कि कहीं पैसा नहीं देंगे।
सुरेश चंद्र त्रिपाठी, शिक्षक विधायकprimary ka master, primary ka master current news, primarykamaster, basic siksha news, basic shiksha news, upbasiceduparishad, uptet
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