प्रदेश के हजारों अशासकीय सहायताप्राप्त माध्यमिक कॉलेजों में प्रधानाचार्य लंबे समय से नहीं हैं। वहां अस्थायी व्यवस्था के तहत वरिष्ठ शिक्षक की तदर्थ नियुक्ति करके कार्य चलाया जा रहा है।
प्रधानाचार्य व प्रधानाध्यापक पद पर तदर्थ रूप से तैनात 2155 शिक्षकों को अब विनियमितीकरण करने की तैयारी है। वजह माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड उप्र से संस्था प्रधान का चयन नहीं हो पा रहा है। शिक्षा निदेशक माध्यमिक ने इस आशय का प्रस्ताव भेजा है, अब शासन से जल्द आदेश आने का इंतजार है।
उप्र माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड अधिनियम 1982 की धारा 18 में संस्था प्रधान चयन की व्यवस्था दी गई है। प्रधानाचार्य के पद पर प्रवक्ता श्रेणी और प्रधानाध्यापक पद की रिक्ति होने पर प्रशिक्षित स्नातक श्रेणी के ज्येष्ठतम अध्यापक की पदोन्नति करके पद तदर्थ आधार पर भरा जाता है। प्रदेश में 2013 के बाद से संस्था प्रधान के पदों को विज्ञापित ही नहीं किया गया है। इतना ही नहीं 2013 में जिन पदों का विज्ञापन निकला, उनका साक्षात्कार अब तक नहीं हुआ है। सहायताप्राप्त माध्यमिक कालेजों में तदर्थ संस्था प्रधान के रूप में कार्य करने वालों की सूची लंबी है।
प्रशासनिक व शिक्षण कार्य प्रभावित : कालेजों के जिन वरिष्ठ शिक्षकों को तदर्थ रूप से पदोन्नत किया गया था, उससे न तो वे सही से प्रशासनिक कार्य कर पा रहे और न ही शिक्षक की भूमिका निभा पा रहे हैं, जबकि राजकोष से उनके पद का भुगतान करने से अतिरिक्त व्ययभार भी बढ़ रहा है।
कालेजों में शिक्षक के पद होंगे रिक्त : माध्यमिक शिक्षा निदेशक विनय कुमार पांडेय ने शासन को भेजे प्रस्ताव में कहा है कि तदर्थ प्रधानाचार्य व प्रधानाध्यापकों को विनियमित कर दिया जाए तो अतिरिक्त व्ययभार खत्म होगा। वहीं, शिक्षकों का मूल पद रिक्त हो जाएगा। जिस पर चयन बोर्ड नियमित नियुक्ति कर सकेगा।
प्रधानाचार्य व प्रधानाध्यापक पद पर तदर्थ रूप से तैनात 2155 शिक्षकों को अब विनियमितीकरण करने की तैयारी है। वजह माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड उप्र से संस्था प्रधान का चयन नहीं हो पा रहा है। शिक्षा निदेशक माध्यमिक ने इस आशय का प्रस्ताव भेजा है, अब शासन से जल्द आदेश आने का इंतजार है।
उप्र माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड अधिनियम 1982 की धारा 18 में संस्था प्रधान चयन की व्यवस्था दी गई है। प्रधानाचार्य के पद पर प्रवक्ता श्रेणी और प्रधानाध्यापक पद की रिक्ति होने पर प्रशिक्षित स्नातक श्रेणी के ज्येष्ठतम अध्यापक की पदोन्नति करके पद तदर्थ आधार पर भरा जाता है। प्रदेश में 2013 के बाद से संस्था प्रधान के पदों को विज्ञापित ही नहीं किया गया है। इतना ही नहीं 2013 में जिन पदों का विज्ञापन निकला, उनका साक्षात्कार अब तक नहीं हुआ है। सहायताप्राप्त माध्यमिक कालेजों में तदर्थ संस्था प्रधान के रूप में कार्य करने वालों की सूची लंबी है।
प्रशासनिक व शिक्षण कार्य प्रभावित : कालेजों के जिन वरिष्ठ शिक्षकों को तदर्थ रूप से पदोन्नत किया गया था, उससे न तो वे सही से प्रशासनिक कार्य कर पा रहे और न ही शिक्षक की भूमिका निभा पा रहे हैं, जबकि राजकोष से उनके पद का भुगतान करने से अतिरिक्त व्ययभार भी बढ़ रहा है।
कालेजों में शिक्षक के पद होंगे रिक्त : माध्यमिक शिक्षा निदेशक विनय कुमार पांडेय ने शासन को भेजे प्रस्ताव में कहा है कि तदर्थ प्रधानाचार्य व प्रधानाध्यापकों को विनियमित कर दिया जाए तो अतिरिक्त व्ययभार खत्म होगा। वहीं, शिक्षकों का मूल पद रिक्त हो जाएगा। जिस पर चयन बोर्ड नियमित नियुक्ति कर सकेगा।