उत्तर प्रदेशीय जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ के प्रदेश संगठन ने बेसिक शिक्षा परिषद के समक्ष अवकाश सूची को लेकर ऐतराज दर्ज कराया है।
शासन द्वारा आगामी वर्ष के लिए सार्वजनिक एवं निर्बन्धित अवकाश की सूची जारी होने के बाद सक्रिय हुए संगठन ने परिषद के सचिव के समक्ष तर्क दिया है कि जब राष्ट्रीय पर्वों और महापुरुषों की जयंतियों में विद्यालय खोले जाते हैं तो उन्हे परिषद द्वारा जारी अवकाश सूची में शामिल क्यों किया जाता है। संघ ने कहा कि इस पर गंभीरता से विचार किया जाए तथा इन दिवसों को सूची में शामिल न किया जाए।
पूर्व माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश संगठन ने बेसिक शिक्षा परिषद को भेजे पत्र में कहा है कि स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस और गांधी जयंती के अलावा अन्य महापुरुषों की जयंतियों में परिषदीय स्कूल खोलकर इन्हे धूमधाम से मनाया जाता है। शासन ने भी कुछ महापुरूषों की जयंतियों में घोषित होने वाले अवकाशों को समाप्त कर विद्यालयों में उल्लास पूर्वक मनाने के निर्देश दिए हैं। शासन के निर्देश पर बेसिक शिक्षा परिषद ने भी स्कूलों में महापुरुषों के जन्म दिवसों को उत्साहपूर्वक मनाने के निर्देश जारी किए हैं। अब पेंच यहीं फंसता नजर आ रहा है।
संगठन का मानना है कि जब राष्ट्रीय त्योहारों व महापुरुषों की जयंतियों में परिषदीय स्कूल खोले जाते हैं और समारोहों का आयोजन धूमधाम से किया जाता है तो फिर इन दिवसों को अवकाश में क्यों शामिल किया गया है। इन विशेष दिवसों को शामिल करने से अवकाश के दिनों की संख्या तो बढ़ी हुई दिखती है लेकिन वास्तविक में ऐसा नहीं होता है। संगठन ने मांग की है कि विशेष दिवसों को अवकाश सूची से बाहर किया जाए।
परिषद के सदस्य भी हों आमंत्रित: संगठन ने मांग की है कि अवकाश तालिका बनाते समय परिषद के सदस्यों को भी आमंत्रित किया जाना चाहिए। जयंतियों को अवकाश सूची में स्थान देने की बजाए अलग से निर्देश दिए जाएं।
शासन द्वारा आगामी वर्ष के लिए सार्वजनिक एवं निर्बन्धित अवकाश की सूची जारी होने के बाद सक्रिय हुए संगठन ने परिषद के सचिव के समक्ष तर्क दिया है कि जब राष्ट्रीय पर्वों और महापुरुषों की जयंतियों में विद्यालय खोले जाते हैं तो उन्हे परिषद द्वारा जारी अवकाश सूची में शामिल क्यों किया जाता है। संघ ने कहा कि इस पर गंभीरता से विचार किया जाए तथा इन दिवसों को सूची में शामिल न किया जाए।
पूर्व माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश संगठन ने बेसिक शिक्षा परिषद को भेजे पत्र में कहा है कि स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस और गांधी जयंती के अलावा अन्य महापुरुषों की जयंतियों में परिषदीय स्कूल खोलकर इन्हे धूमधाम से मनाया जाता है। शासन ने भी कुछ महापुरूषों की जयंतियों में घोषित होने वाले अवकाशों को समाप्त कर विद्यालयों में उल्लास पूर्वक मनाने के निर्देश दिए हैं। शासन के निर्देश पर बेसिक शिक्षा परिषद ने भी स्कूलों में महापुरुषों के जन्म दिवसों को उत्साहपूर्वक मनाने के निर्देश जारी किए हैं। अब पेंच यहीं फंसता नजर आ रहा है।
संगठन का मानना है कि जब राष्ट्रीय त्योहारों व महापुरुषों की जयंतियों में परिषदीय स्कूल खोले जाते हैं और समारोहों का आयोजन धूमधाम से किया जाता है तो फिर इन दिवसों को अवकाश में क्यों शामिल किया गया है। इन विशेष दिवसों को शामिल करने से अवकाश के दिनों की संख्या तो बढ़ी हुई दिखती है लेकिन वास्तविक में ऐसा नहीं होता है। संगठन ने मांग की है कि विशेष दिवसों को अवकाश सूची से बाहर किया जाए।
परिषद के सदस्य भी हों आमंत्रित: संगठन ने मांग की है कि अवकाश तालिका बनाते समय परिषद के सदस्यों को भी आमंत्रित किया जाना चाहिए। जयंतियों को अवकाश सूची में स्थान देने की बजाए अलग से निर्देश दिए जाएं।