परिषदीय विद्यालयों के लिए 2012 में निकाली गई सहायक अध्यापक भर्ती से वंचित रह गए अभ्यर्थियों ने सरकार से शुल्क वापसी के बजाए नौकरी की मांग की है।
इन अभ्यर्थियों का कहना है कि शिक्षक की निर्धारित आयु सीमा को वे पार कर चुके हैं, ऐसे में उनके लिए नौकरी तलाशना मुश्किल है। भर्ती के लिए प्रदेश के 65 से अधिक जिलों में अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था, इसमें हर अभ्यर्थी ने 30 से 35 हजार रुपये खर्च किए थे।
उल्लेखनीय है कि बेसिक शिक्षा परिषद की ओर से 2012 में परिषदीय विद्यालयों के लिए 72825 पदों पर सहायक अध्यापक की भर्ती केलिए आवेदन मांगे गए थे। हाईकोर्ट के आदेश के बाद सरकार ने इससे पहले 2011 में सहायक अध्यापक भर्ती के लिए मांगे गए आवेदन के आधार पर भर्ती पूरी कर दी। इस कारण 2012 में आवेदन करने वाले अभ्यर्थियों को भर्ती में मौका नहीं मिल सका। इस भर्ती के लिए आवेदन करने वाले अभ्यर्थियों से जुड़ी खबर ‘सरकार ने नहीं वापस किया शिक्षक भर्ती का 290 करोड़’ अमर उजाला के 28 अक्तूबर के अंक में प्रकाशित होने के बाद अब आवेदन करने वालों ने अपनी आवाज उठानी शुरू कर दी है बड़ी संख्या में बीएड-टीईटी पास ये आवेदनकर्ता अब ओवर ऐज हो चुके हैं, इन अभ्यर्थियों ने सरकार से पुराने विज्ञापन के आधार पर नौकरी देने की मांग की है। अभ्यर्थियों भारत भूषण त्रिपाठी, अमित श्रीवास्तव एवं मनीष मिश्र कहना है कि इस संबंध में वह प्रदेश के उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा से मिलकर नौकरी की मांग करेंगे। आवेदन करने वालों का कहना है कि उन्हें नौकरी चाहिए, शुल्क का पैसा नहीं। उस समय आवेदन करने वाले अभ्यर्थियों का कहना है कि छह वर्ष बाद जब वह ओवर ऐज हो चुके हैं, ऐसे में नौकरी के लिए कहां जाएं।सचिव बेसिक शिक्षा परिषद की ओर से 30 नवंबर 2018 में शुल्क वापसी के लिए आवेदन मांगे गए थे। शुल्क वापसी डायट के माध्यम से की जानी थी, उस समय कुछ अभ्यर्थियों का शुल्क वापस करने के बाद यह प्रक्रिया बंद कर दी गई। शुल्क वापसी की प्रक्रिया कठिन होने के चलते अधिकांश अभ्यर्थी परिषद के मानक पर खरे नहीं उतर सके, इस कारण से पैसा वापस नहीं मिल सका।
इन अभ्यर्थियों का कहना है कि शिक्षक की निर्धारित आयु सीमा को वे पार कर चुके हैं, ऐसे में उनके लिए नौकरी तलाशना मुश्किल है। भर्ती के लिए प्रदेश के 65 से अधिक जिलों में अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था, इसमें हर अभ्यर्थी ने 30 से 35 हजार रुपये खर्च किए थे।