69000 सहायक अध्यापक की भर्ती में बीएड अहर्ता की वैधानिकता के मद्देनजर सीनियर एडवोकेट उपेंद्र नाथ मिश्रा जी का आर्गुमेंट शुरू हुआ। *बीएड अहर्ता के विरुद्ध डी-लिंक याचिका 14548* के आज 90% सबमिशन कम्प्लीट हो गए हैं। साथियों आज कोर्ट को उन सभी बारीकियों से अवगत कराया जा चुका है, जिन्हें टीम ने दिन रात तलाशा था। आप सभी के समक्ष बिल्कुल अनसुने और अनकहे साक्ष्य प्रस्तुत हो रहे हैं.....
*1:- राजपत्र और राज्य के बनाये रूल में घोर विषमता....28 जून 2018 को जारी भारत के राजपत्र में प्राइमरी शिक्षकों की अहर्ता में बीएड अहर्ता के अभ्यर्थियों को नियुक्ति के बाद 6 माह की ट्रेनिंग का प्रोसीजर है किन्तु राज्य के सर्विस रूल में पहले 6 माह का प्रशिक्षण और बाद में नियुक्ति का प्रोसीजर है।*
*2:- 1972 पैरेंट एक्ट की बाध्यता....राज्य के राज्यपाल आर्टिकल 309 की शक्तियों का प्रयोग करके किसी भी नियमावली को बनाते हैं या उसमे संशोधन करते हैं...लेकिन किसी भी अधिनियम की मूलभावना को डिस्टर्ब कर नियमावली नही संशोधित की जा सकती सरकार के 1972 पैरेंट एक्ट में ही साफ तौर से अंकित है कोई भी नियमावली भूतलक्षी नही बनायी जाएगी...बल्कि जो नियमावली बनेगी...वह गजट होने के दिनाँक से ही प्रभावी होगा। (1972 पैरेंट एक्ट रूल 7)*
*3:- 69000 सहायक अध्यापक की भर्ती में सरकार ने 28 जून का जिक्र तो किया किन्तु...ट्रेनी टीचर, अपेंडिक्स 1, रूल 8(2)a का जिक्र ही नही किया। जो आउटसाइडर यानी बीएड की वैधता पर सवाल खड़ा करता है।*
*4:- सिंगल जज ने पैरा 154 में साफ तौर पर ऑन रिकॉर्ड ये कहा था की 69000 एक सहायक अधयापक की भर्ती है इसलिए बीएड कैंडिडेट्स इज अनवारेंटेड फिर सरकार ने उस जजमेंट के प्रभाव को कम करने के लिए बैकडेट में जाकर संशोधन किया।*
*5:- रेट्रोस्पेक्टिव अमेंडमेंट 1972 के अनुसार बिल्कुल गलत है 1972 कहता है आप प्रोस्पेक्टिव करिये रेट्रोस्पेक्टिव नही और राज्य सरकार की सभी नियमवलियाँ 1972 पैरेंट एक्ट के अंतर्गत है जिसे ओवरराइड नही किया जा सकता।*
*6:- रेट्रोस्पेक्टिव अमेंडमेंट पर कोर्ट को केस लॉ उपलब्ध करा दिए गए हैं...जिनका सबमिशन लगभग पूर्ण हो चुका है।*
आप सभी को अवगत कराना है 14548/2019 में सीनियर एडवोकेट डॉ0 एलपी मिश्रा साहब भी अपनी पिटीशन पर चर्चा करते हुए नजर आएंगे...टीम वो सब कुछ करने के प्रयास में है जो 14548/19 और उससे प्रभावित लोगों के हित में है...हम लाभ की प्रत्येक कड़ी को मजबूत करते हुए आगे बढ़ रहे हैं।
*आकाश पटेल-राजबसु यादव-मंजुल मयंक-सभी साथी*
*बीएड विरोधी टीम लखनऊ हाईकोर्ट*
*1:- राजपत्र और राज्य के बनाये रूल में घोर विषमता....28 जून 2018 को जारी भारत के राजपत्र में प्राइमरी शिक्षकों की अहर्ता में बीएड अहर्ता के अभ्यर्थियों को नियुक्ति के बाद 6 माह की ट्रेनिंग का प्रोसीजर है किन्तु राज्य के सर्विस रूल में पहले 6 माह का प्रशिक्षण और बाद में नियुक्ति का प्रोसीजर है।*
*2:- 1972 पैरेंट एक्ट की बाध्यता....राज्य के राज्यपाल आर्टिकल 309 की शक्तियों का प्रयोग करके किसी भी नियमावली को बनाते हैं या उसमे संशोधन करते हैं...लेकिन किसी भी अधिनियम की मूलभावना को डिस्टर्ब कर नियमावली नही संशोधित की जा सकती सरकार के 1972 पैरेंट एक्ट में ही साफ तौर से अंकित है कोई भी नियमावली भूतलक्षी नही बनायी जाएगी...बल्कि जो नियमावली बनेगी...वह गजट होने के दिनाँक से ही प्रभावी होगा। (1972 पैरेंट एक्ट रूल 7)*
*3:- 69000 सहायक अध्यापक की भर्ती में सरकार ने 28 जून का जिक्र तो किया किन्तु...ट्रेनी टीचर, अपेंडिक्स 1, रूल 8(2)a का जिक्र ही नही किया। जो आउटसाइडर यानी बीएड की वैधता पर सवाल खड़ा करता है।*
*4:- सिंगल जज ने पैरा 154 में साफ तौर पर ऑन रिकॉर्ड ये कहा था की 69000 एक सहायक अधयापक की भर्ती है इसलिए बीएड कैंडिडेट्स इज अनवारेंटेड फिर सरकार ने उस जजमेंट के प्रभाव को कम करने के लिए बैकडेट में जाकर संशोधन किया।*
*5:- रेट्रोस्पेक्टिव अमेंडमेंट 1972 के अनुसार बिल्कुल गलत है 1972 कहता है आप प्रोस्पेक्टिव करिये रेट्रोस्पेक्टिव नही और राज्य सरकार की सभी नियमवलियाँ 1972 पैरेंट एक्ट के अंतर्गत है जिसे ओवरराइड नही किया जा सकता।*
*6:- रेट्रोस्पेक्टिव अमेंडमेंट पर कोर्ट को केस लॉ उपलब्ध करा दिए गए हैं...जिनका सबमिशन लगभग पूर्ण हो चुका है।*
आप सभी को अवगत कराना है 14548/2019 में सीनियर एडवोकेट डॉ0 एलपी मिश्रा साहब भी अपनी पिटीशन पर चर्चा करते हुए नजर आएंगे...टीम वो सब कुछ करने के प्रयास में है जो 14548/19 और उससे प्रभावित लोगों के हित में है...हम लाभ की प्रत्येक कड़ी को मजबूत करते हुए आगे बढ़ रहे हैं।
*आकाश पटेल-राजबसु यादव-मंजुल मयंक-सभी साथी*
*बीएड विरोधी टीम लखनऊ हाईकोर्ट*