अंतर्जनपदीय स्थानांतरण न होने से निराश हुए बेसिक के शिक्षक

 मितौली खीरी। परिषदीय विद्यालयों में कार्यरत शिक्षको के अंतर्जनपदीय स्थानांतरण की प्रक्रिया पूरी न होने से जनपद के शिक्षको में घोर निराशा व्याप्त है। शिक्षको के अंतर्जनपदीय स्थानांतरण की प्रक्रिया कोर्ट कचहरी की

भेंट चढ़ती दिख रही। मंगलवार को माननीय उच्च न्यायालय से प्रक्रिया पूरी करने की अनुमति न मिलने से शिक्षको को गहरा झटका लगा है। उच्च न्यायालय ने प्रक्रिया में अनुमति देने सम्बन्धी सरकार की पुनर्विचार याचिका में अब 3 दिसम्बर की डेट लगा दी है।



विदित हो कि विगत वर्ष 2 दिसम्बर 2019 से गतिमान परिषदीय शिक्षको की अंतर्जनपदीय स्थानांतरण प्रक्रिया चल रही है। इसके लिए जनपद के शिक्षको ने सुधेश पाण्डेय, अनुराग मिश्र एवं कमल दीक्षित के साथ जी तोड़ मेहनत करके आवेदन की न्यूनतम सीमा पाँच वर्ष के तीन वर्ष करवाया, यही नही पति पत्नी सरकारी सेवा,
असाध्य रोगियों एवं विकलांगो के लिए भारांक की व्यवस्था कराए जाने को लेकर भी सार्थक प्रयास किये किंतु लॉक डाउन लग जाने के बाद प्रक्रिया पर रोक लगा दी गयी। अनलॉक होने के बाद पुनः शिक्षको ने ट्विटर एवं ज्ञापन के माध्यम से सरकार से प्रक्रिया बहाल करने की मांग शुरू की । अंततः मुख्यमंत्री की अनुमति के उपरांत प्रक्रिया प्रारम्भ की गई और सूची निकलने से कुछ दिन पूर्व ही उच्च न्यायालय ने मध्य सत्र में स्थानांतरण ओर रोक लगा दी। अब सरकार ने कोविड काल मे बच्चो के विद्यालय न आने की स्थिति में स्थानांतरण की अनुमति हेतु पुनर्विचार याचिका दाखिल करके स्थानांतरण की अनुमति मांगी है। *शिक्षक सुधेश पाण्डेय का कहना है कि - "हम सरकार से मांग करते हैं कि कोर्ट में उचित एवं प्रभावी पैरवी करके अंतर्जनपदीय स्थानांतरण की प्रक्रिया को तत्काल पूर्ण करे, 1 साल से यह प्रक्रिया गतिमान होने की स्थिति में शिक्षकों का स्थायित्व प्रभावित हो रहा है।