झाँसी : नए साल में परिषदीय विद्यालयों के शिक्षकों पर शिकंजा कसने की तैयारी शुरू हो गई है। विभाग द्वारा विद्यालयों को टेबलेट देने की घोषणा अब मूर्त रूप लेने जा रही है। प्रायोगिक तौर पर राजधानी लखनऊ के चुनिन्दा विद्यालयों में 31 दिसम्बर से 15 दिनों तक टेबलेट का परीक्षण किया जाएगा। परीक्षण सफल रहा तो नए साल पर प्रदेश के अन्य जनपदों में भी टेबलेट वितरित किया जाएगा।
परिषदीय विद्यालयों के कार्यो को डिजिटल करने एवं शिक्षकों पर ऩजर रखने के लिए विभाग ने पहले स्मार्ट फोन को हथियार बनाने की रणनीति तैयार की थी। प्रेरणा पोर्टल पर सभी सूचनाएं उपलब्ध कराने एवं सेल्फि के माध्यम से शिक्षकों की उपस्थिति की सुगबुगाहट हुई तो शिक्षकों ने कड़ा विरोध शुरू कर दिया। शिक्षकों के मुखर विरोध से बेसिक शिक्षा विभाग बैकफुट पर आ गया। शिक्षकों का तर्क था कि सभी शिक्षकों के पास स्मार्ट फोन नहीं है और न ही वे इण्टरनेट का उपयोग करते है। इसके बाद विभाग ने समस्त विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों को टेबलेट देने की महत्वाकांक्षी योजना पर अमल शुरू किया। कोरोना काल में टेबलेट के लिए टेण्डर आमन्त्रित किए गए थे, किन्तु कोरोना वायरस के कारण उत्पन्न स्थिति में अधिकांश कम्पनि ने टेण्डर ही नहीं डाले। इसके बाद दोबारा टेण्डर निकाले गए। इस बार कई कम्पनि ने टेबलेट की आपूर्ति करने में रुचि दिखाई। महानिदेशक (स्कूल शिक्षा) विजय किरण आनन्द द्वारा जारी पत्र में कहा गया है कि 3 कम्पनि द्वारा लखनऊ के 15 परिषदीय विद्यालयों में 31 दिसम्बर से टेबलेट का डेमो/परीक्षण प्रारम्भ किया जा रहा है। यह परीक्षण 16 जनवरी 2021 तक होगा। गौरतलब है कि परिषदीय विद्यालयों के शिक्षकों के बारे में सबसे बड़ी शिकायत यही है कि वे समय से विद्यालयों में उपस्थित नहीं होते है। अधिकारियों के निरीक्षण में भी कई बार शिक्षक बिना किसी सूचना के विद्यालय से गायब मिलते है। सूत्रों का कहना है कि टेबलेट आने से शिक्षक विद्यालयों में समय से एवं नियमित उपस्थित रहेगे। विभाग द्वारा ऑपरेशन कायाकल्प के माध्यम से परिषदीय विद्यालयों में अवस्थापना सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए भी अभियान चलाया जा रहा है, जिससे परिषदीय विद्यालयों की सूरत निखर रही है।