अंगूठा टेक न लड़ सकेंगे त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव! न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता को अनिवार्य व दो बच्चों वाला कानून लागू करने का चल रहा विचार

 लखनऊ : ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा का प्रसार और विकास कार्यों में शिक्षितों को सहभागी बनाने के लिए सरकार त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव लड़ने के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता को अनिवार्य करने पर विचार कर रही है। इस बारे में हरियाणा, राजस्थान और उड़ीसा जैसे राज्यों की पंचायत निर्वाचन प्रक्रिया का अध्ययन किया जा रहा है। उक्त राज्यों में ग्राम पंचायत सदस्य व प्रधान से लेकर क्षेत्रीय व जिला पंचायत सदस्यों का चुनाव लड़ने वालों की न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता अनिवार्य है।



पंचायतों की बदली व्यवस्थाओं में निर्वाचित प्रतिनिधियों का शिक्षित होना जरूरी है। ऐसा नहीं होने के कारण वार्षिक विकास योजना तैयार कराने व विभिन्न योजनाओं को क्रियान्वित करने में मुश्किलें आती हैं। ग्राम पंचायतों का कार्यकाल पूरा होने के चंद दिन ही शेष बचे है। 26 दिसंबर को ग्राम प्रधानों का कार्यभार सहायक विकास अधिकारियों के हवाले कर दिया जाएगा। उधर, सरकार ने पंचायत चुनाव की तैयारी तेज कर दी है। कोरोना संक्रमण के चलते पंचायत चुनाव समय पर नहीं हो पा रहे हैं।

लागू हो सकता है दो बच्चों वाला कानून
त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव प्रक्रिया में सुधार की दिशा में दो बच्चों से अधिक संतान वालों को लड़ने से रोका जा सकता है। जनसंख्या नियंत्रण के लिए सरकार इस प्रकार का फैसला ले सकती है।

दोनों विकल्पों पर हो रहा विचार: भूपेंद्र
पंचायतीराज मंत्री भूपेंद्र चौधरी का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्रों के संपूर्ण विकास व सुधार के लिए सरकार संकल्पबद्ध है। सरकार चुनाव कराने की तैयारी में जुटी है। शैक्षिक योग्यता एवं दो बच्चों वाले नियम पर भी विचार हो रहा है।

मार्च के अंत तक होंगे पंचायत चुनाव
जासं, कन्नौज : पंचायत चुनाव मार्च के अंत तक कराए जाएंगे। मंगलवार को यहां जिले के प्रभारी और पंचायतीराज मंत्री भूपेंद्र सिंह चौधरी ने बताया कि पंचायत चुनाव के प्राथमिक कार्य चल रहे हैं। परिसीमन व आरक्षण के बाद अधिसूचना जारी कर मार्च अंत तक चुनाव कराएंगे। मंत्री ने कलेक्ट्रेट परिसर में दिव्यांगों को उपकरण बांटे।