सिद्धार्थनगर। फर्जी दस्तावेज के सहारे नौकरी करते हुए पकड़े गए छह शिक्षकों की बर्खास्तगी के बाद भी उन पर मुकदमा दर्ज नहीं दर्ज कराया गया। बर्खास्त होने के बाद उनके खिलाफ केस दर्ज कराने का नियम होने के बावजूद ऐसा न हो पाने से जिम्मेदारों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
बेसिक शिक्षा विभाग फर्जी शिक्षकों की नियुक्ति के मामले में सुर्खियों में रहा है। यहां फर्जी दस्तावेज के सहारे नौकरी हासिल करने वाले शिक्षकों की जड़ गहरी है। फर्जी शिक्षकों की भर्ती से जुड़े मामले का वर्ष 2017-18 में भांड़ाफोड़ हुआ तो बड़े पैमाने में शिक्षक चिह्नित किए गए। हालांकि बर्खास्तगी और मुकदमे की कार्रवाई 103 शिक्षकों पर हो चुकी है।
पकड़ में आए ये शिक्षक नई नियुक्ति वाले हैं। इसमें शिक्षा माफिया भी एसटीएफ के हत्थे चढ़ा और जेल जा चुका है। 10 दिन पूर्व में पकड़ में आए छह फर्जी शिक्षक 25 वर्ष पूर्व भर्ती हुए थे। वे लगातार नौकरी करते चले आए रहे थे। पैन कार्ड मैच होने के बाद वे पकड़े गए। 25 वर्ष पूर्व दूसरे के दस्तावेज पर नौकरी करने का खेल सामने के आने के बाद माना जा रहा है कि अगर ठीक से जांच हो तो जिले में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा का पर्दाफाश हो सकता है।
हालांकि विभागीय लापरवाही से ऐसा हो नहीं पा रहा। नया मामला इन शिक्षकों का ही है। बर्खास्त होने के बाद अब तक आरोपितों पर मुकदमा दर्ज नहीं हुआ है। जबकि फर्जीवाड़ा पकड़े जाने के बाद ही संबंधित विभाग के जिम्मेदार की तहरीर पर धोखाधड़ी का केस दर्ज होना चाहिए। इस संबंध में बीएसए देवेंद्र पांडेय ने बताया कि केस दर्ज कराने के लिए सभी बीईओ को निर्देश दिए गए हैं।