Ticker

6/recent/ticker-posts

Ad Code

अनुकंपा नियुक्ति : विवाह की सूचना न देना तथ्य छिपाना नहीं

 इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गलत जानकारी देने के आधार पर विवाहिता पुत्री की सेवा समाप्ति का आदेश निरस्त करने के फैसले पर हस्तक्षेप से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि जिस समय याची ने आश्रित कोटे में

नियुक्ति की अर्जी दी थी, उस समय वह अविवाहित थी। नियुक्ति में देरी के कारण बाद में शादी कर ली तो यह नहीं कह सकते कि याची ने विवाहिता पुत्री होने का तथ्य छिपाया है। कोर्ट ने विवाहिता पुत्री को भी मृतक आश्रित परिवार में शामिल करने का फैसला किया है। उसे नियुक्ति पाने का अधिकार है।



यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति राजेश बिंदल एवं न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने सहारनपुर की पूजा सिंह के पक्ष में एकल पीठ के फैसले के खिलाफ राज्य सरकार की विशेष अपील को खारिज करते हुए दिया है।

विपक्षी की तरफ से अधिवक्ता ओम प्रकाश सिंह ने बहस की। याची के पिता स्वास्थ्य विभाग में श्रम निरीक्षक थे। सेवाकाल में उनकी मृत्यु हो गई। याची उस समय नाबालिग थी। बालिग होने पर उसने आश्रित कोटे में नियुक्ति की अर्जी दी। नियुक्ति प्रक्रिया पूरी करने में छह साल बीत गए। इस दौरान याची की शादी हो गई। बाद में उसकी उप श्रमायुक्त पद पर नियुक्ति की गई।15 साल की सेवा के बाद यह कहते हुए उसकी नियुक्ति निरस्त कर दी गई कि याची ने विवाहिता पुत्री होने का तथ्य छिपाकर नियुक्ति प्राप्त की है।कोर्ट ने कहा कि जब याची ने अर्जी दी थी तब वह विवाहिता नहीं थी। नियुक्ति देने के समय तक विवाहित हो चुकी थी। यह नहीं कह सकते कि याची ने तथ्य छिपाया है।

Post a Comment

0 Comments

latest updates

latest updates

Random Posts