पीपीएफ सरकार के संरक्षण वाला फंड है इसलिए इसे सबसे सुरक्षित निवेशों में से एक माना जाता है. इस पर आपको रिटर्न मिलना सुनिश्चित है. सरकार ब्याज दर को हर तिमाही में रिवाइज करती है. फिलहाल पीपीएफ पर 7.1 फीसदी का रिटर्न है.
नई दिल्ली. पब्लिक प्रोविडेंट फंड (पीपीएफ) पूरी तरह डैट फंड है. इसलिए इसमें रिटर्न लगभग सुनिश्चित रहता है. यह सबसे सुरक्षित निवेश उपायों में से एक है. पीपीएफ पर वर्तमान में आपको 7.10 फीसदी की ब्याज दर से रिटर्न मिलता है. एक पीपीएफ खाता सुरक्षा, टेक्स सेविंग लाभ और रिटर्न का बेहतरीन गठजोड़ है.
आपको बता दें कि पीपीएफ के रिटर्न से होने वाली आय कर मुक्त होती है. पीपीएफ में निवेश को पूरी तरह से सरकार का सरंक्षण भी प्राप्त हैं. मिंट में प्रकाशित एक लेख के अनुसार, इसके 7 फीचर्स हैं लोगों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं. आइए देखते हैं क्या हैं वह फीचर्स.
पीपीएफ टेन्योर
इसकी मैच्योरिटी 15 साल में पूरी होती है. इसे आप 5 साल के ब्लॉक में बढ़ा सकते हैं.
सुनिश्चित रिटर्न
इस स्कीम में आपके निवेश पर आपको एक सुनिश्चित रिटर्न मिलता है. हालांकि, यह कोई फिक्स रिटर्न नहीं होता. इसके ब्याज दर को सरकार हर तिमाही में रिवाइज करती है. फिलहाल यह 7.1 फीसदी है. अगर 7 फीसदी के नियमित रिटर्न को मानकर भी गणना की जाए को निवेशक रिटायरमेंट तक 1 करोड़ रुपये जमा कर सकता है.
सस्ता लोन
पीपीएफ खाते से आपको आपातकालीन स्थिति में सस्ता लोन भी मिलता है. पीपीएफ लोन नियमों के अनुसार, खाता खोलने के 3-6 साल के बीच आप अकाउंट पर लोन ले सकते हैं. पीपीएफ लोन की ब्याज दर केवल 1 फीसदी होती है.
आशिंक निकासी
पीपीएफ खाते खोले जाने के बाद छठे वित्तीय वर्ष में आप उससे निकासी कर सकते हैं. हालांकि, आप खाते से केवल 50 फीसदी रकम ही निकाल सकते हैं. बाकी रकम आपके खाते में ही रहेगी.
पीपीएफ खाते में कब करें निवेश
क्लियर के संस्थापक अर्चित गुप्ता कहते हैं कि आपको पीपीएफ खाते में महीने की पहली से 5वीं तारीख तक निवेश कर देना चाहिए. 5 तारीख से पहले किए निवेश को पूरे महीने का ब्याज मिलता है.
टैक्स लाभ
इस स्कीम से आपको टैक्स बचत में मदद मिलती है. आप हर साल पीपीएफ में 1.5 लाख तक के निवेश पर सेक्शन 80 सी के तहत टैक्स बचा सकते हैं.
प्रीमैच्योर क्लोजर
पीपीएफ खाता 15 साल बाद मैच्योर होता है. लेकिन आप पांच साल के बाद कभी भी इसे प्रीमैच्योरिली बंद कर सकते हैं. इसे निवेशक या उसके परिवार के किसी सदस्य को जानलेवा बीमारी की सूरत में पहले बंद किया जा सकता है. इसके अलावा खाताधारक या उसके आश्रितों की उच्च शिक्षा के लिए भी इसे बीच में बंद किया जा सकता है.