प्रयागराज। निजी स्कूलों में पढ़ रही दो बहनों में से एक की फीस माफी की मुख्यमंत्री की घोषणा अर्हता के पेच में फंसी है। शिक्षा निदेशालय के अफसरों ने पूर्व में 48 हजार छात्राओं की फीस माफी का प्रस्ताव सरकार को भेजा था। बाद में संशोधित प्रस्ताव भेजा गया कि इस योजना का लाभ उन्हीं छात्राओं को दिया जाए जिनकी पारिवारिक आय 2.5 लाख रुपये सालाना से कम हो।
हालांकि आय सीमा पर शासन स्तर से कोई निर्णय न हो सकने के कारण आधा सत्र बीतने के बावजूद जरूरतमंद बेटियों के हाथ खाली हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पिछले साल गांधी जयंती (दो अक्तूबर) पर निजी स्कूलों से अपील की थी कि दो बहनें एक साथ पढ़ रही हों तो एक की फीस माफ हो। अगर निजी स्कूल ऐसा नहीं करते हैं तो संबंधित विभाग एक छात्रा की फीस का प्रबंध करे। उसके बाद विधानसभा चुनाव के कारण कार्यवाही शुरू नहीं हो पाई। सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री घोषणा प्रकोष्ठ के प्रमुख सचिव संजय प्रसाद ने शिक्षा विभाग के अफसरों से प्रस्ताव मांगा था। अपर शिक्षा निदेशक माध्यमिक डॉ. महेन्द्र देव ने सीएम की घोषणा के अनुपालन के लिए 13 अप्रैल को पत्र जारी कर सभी संयुक्त शिक्षा निदेशकों से छात्राओं के संबंध में जानकारी मांगी थी। लेकिन 11 महीने बाद भी जरूरतमंद बेटियों को घोषणा का लाभ नहीं मिल सका है। शिक्षा निदेशालय के सूत्रों की मानें तो 2.5 लाख आय सीमा तय होने पर लाभार्थियों की संख्या कम हो सकती है।
प्रयागराज में 3182, बरेली में 284 छात्राओं को इंतजार
प्रयागराज मंडल में 3182 छात्राओं को फीस माफी का इंतजार है। इसमें सर्वाधिक 2833 छात्राएं प्रयागराज की हैं। बरेली मंडल की 284 छात्राओं की फीस माफ करने का प्रस्ताव है। बरेली से 126, पीलीभीत से 21, शाहजहांपुर से 84 और बदायूं से 23 छात्राओं का नाम भेजा गया है। वहीं अलीगढ़ में 127 बेटियों को फीस माफी का इंतजार है।
● शिक्षा निदेशालय से शासन को भेजा गया है प्रस्ताव
● सत्र आधा बीतने के बावजूद फीस माफी पर निर्णय नहीं