2004-05 के बाद सरकारी विभागों में नियुक्त सभी विभागों मै कर्मचारियों, अधिकारियों को सरकार द्वारा न्यू पेंशन स्कीम दी गई थी। जिसमें कर्मचारी के वेतन का 10% अंशदान और सरकार द्वारा 14% अंशदान दिया जाता है। जो एनएसडीएल में जमा किया जाता है। यह पूरी तरह निजी कंपनी है, जो कर्मचारी के पैसों को एलआईसी एसबीआई एवं म्युचल फंड में निवेश करती है। यह बात पुरानी पेंशन बहाली संगठन के राष्ट्रीय संयोजक जनक सिंह रावत ने कहीं।
उन्होंने बताया कि कर्मचारियों से दिए गए पैसे का रखरखाव भी कंपनी ही करती है, और कंपनी के कर्मचारियों का वेतन भी कर्मचारियों की राशि से ही वसूल करती है। जब कर्मचारी सेवानिवृत्त होता है तो 60% कर्मचारी को वापस किया जाता है। शेष बचे हुए 40% से उसको पेंशन प्लान दे दिया जाता है। जिसमें पेंशन की कोई निश्चित गारंटी नहीं होती है। उन्होंने बताया कि वर्तमान में शेयर मार्केट में एसबीआई, एल आई सी एवं म्युचल फंड में इन कंपनियों के शेयर गिरे हैं, जिससे लाखों रुपए का घाटा इन कंपनियों को हुआ है। वह घाटा इन कंपनियों का नहीं वास्तव में कर्मचारियों का घाटा हुआ है। वह एनपीएस में कर्मचारियों द्वारा जमा की जा रही राशि है। दरअसल न्यू पेंशन स्कीम कर्मचारी के साथ धोखा है,
इसको तत्काल बंद किया जाए। कर्मचारियों के पैसों को कंपनी प्राइवेट सेक्टर के किसी भी उद्योगपति को लोन के रूप में दे देती है। पहले अंबानी को 90 हजार करोड़ों का लोन दिया, क्या गारंटी है जब अदानी, अंबानी जैसे उद्योगपति वर्तमान में शेयर मार्केट में घाटे में जा चुके हैं। कर्मचारियों के जमा हुए पैसे की क्या गारंटी है। यह लोग वापस करेंगे, इस तरह से सरकार द्वारा कर्मचारियों को शेयर मार्केट के हवाले कर दिया गया है। यह न्याय संगत नहीं है। देश के 70 लाख कर्मचारियों के साथ धोखा है और अपने उद्योगपति मित्रों को फायदा पहुंचाने वाली स्कीम है। न्यू पेंशन स्कीम इसको तत्काल प्रभाव से बंद किया जाए।