केंद्र सरकार के कर्मियों और पेंशनरों को होली से पहले महंगाई भत्ता एवं महंगाई राहत का तोहफा मिल सकता है। मौजूदा परिस्थितियों में अगर चार फीसदी डीए बढ़ता है, तो केंद्र सरकार के 47 लाख केंद्रीय कर्मियों और 63 लाख पेंशनरों का डीए/डीआर 38 फीसदी से बढ़कर 41 फीसदी हो जाएगा। कर्मचारी संगठनों के पदाधिकारियों का कहना है कि इस बार सरकार, डीए व डीआर की बढ़ी हुई दरों की घोषणा करने में देरी नहीं करेगी। वजह, कई कारणों से सरकार दबाव में है। अभी तक केंद्र ने कोरोनाकाल के दौरान फ्रीज किए गए डीए का 18 माह का एरियर नहीं दिया है। साथ ही, पुरानी पेंशन लागू कराने के लिए केंद्रीय कर्मचारी संगठनों ने आंदोलन शुरू किया है। ऐसे में केंद्र सरकार समय रहते ‘डीए’ की दरों में इजाफा कर सकती है।
डीए की दर में हुआ था चार फीसदी का इजाफा
इससे पहले गत वर्ष सितंबर में केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में डीए की दर बढ़ाने के फैसले पर मुहर लगी थी। तब 34 फीसदी की दर से महंगाई भत्ता मिल रहा था। डीए/डीआर में चार फीसदी का इजाफा होने से वह दर बढ़कर 38 फीसदी हो गई थी। केंद्र सरकार द्वारा, महंगाई भत्ता एवं महंगाई राहत में हर वर्ष पहली जनवरी और पहली जुलाई से बढ़ोतरी करने का नियम है। अब कई वर्षों से ये भत्ते जारी होने में कुछ माह की देरी होने लगी है। गत वर्ष जुलाई से डीए में जो बढ़ोतरी होनी थी, उसकी घोषणा सितंबर के अंत में की गई थी। तब ऑल इंडिया कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स फॉर इंडस्ट्रियल वर्कर्स का डाटा, महंगाई भत्ते और महंगाई राहत में लगभग पांच फीसदी तक की बढ़ोतरी की संभावना जता रहा था।
कृषि श्रमिकों के सामान्य सूचकांक में हुई बढ़ोतरी
अखिल भारतीय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में कृषि श्रमिकों का सामान्य सूचकांक अक्तूबर 2022 में 1159 और नवंबर में 1167 रहा था। इसी तरह ग्रामीण श्रमिकों के मामले में यह सूचकांक अक्तूबर 2022 में 1170 था। नवंबर में यह सूचकांक 1178 हो गया था। इस सूचकांक का असर थोक मूल्य सूचकांक पर भी पड़ता है। हालांकि सरकारी आंकड़ों में बताया गया है कि सितंबर 2022 में 39.66 फीसदी के मुकाबले अक्तूबर में सब्जियों की कीमतें घटकर 17.61 फीसदी रह गई। अनाज की कीमतें अक्तूबर में बढ़कर 12.03 फीसदी हो गई थी। सितंबर में यह प्रतिशत 11.91 था। उक्त अवधि में धान 5.79 फीसदी से बढ़कर 6.63 फीसदी हो गया। गेहूं 16.09 फीसदी से बढ़कर 16.25 प्रतिशत हो गया। अंडे, मांस और मछली की बिक्री में भी 3.63 फीसदी से बढ़कर 3.97 फीसदी का उछाल आया था।
18 माह के एरियर को लेकर कुछ नहीं कहा गया
सितंबर में जब डीए की घोषणा हुई तो कोरोनाकाल के दौरान फ्रीज किए गए डीए/डीआर का 18 माह का एरियर दिए जाने को लेकर केंद्र सरकार की ओर से कोई घोषणा नहीं की गई। हालांकि वह एरियर जारी कराने को लेकर केंद्रीय कर्मियों ने सरकार पर भारी दबाव बनाया था। स्टाफ साइड की राष्ट्रीय परिषद के सचिव शिव गोपाल मिश्रा ने 18 अगस्त 2022 को कैबिनेट सेक्रेटरी एवं नेशनल काउंसिल ‘जेसीएम’ के चेयरमैन को पत्र लिखा था। उसमें एक जनवरी 2020 से एक जुलाई 2020 और एक जनवरी 2021 से प्रभावी महंगाई भत्ते/महंगाई राहत का एरियर जारी करने की मांग की गई थी। मिश्रा ने एरियर की राशि जारी करने के लिए केंद्र सरकार को यह विकल्प भी दिया था कि वह इसके लिए कोई मैकेनिज्म तैयार करना चाहती है, तो उसके लिए कर्मचारी, सरकार का सहयोग करेंगे। कैबिनेट सचिव को लिखे अपने पत्र में जेसीएम सेक्रेटरी ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा फरवरी 2021 में दिए गए एक फैसले का हवाला दिया है। इस फैसले में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था, आर्थिक संकट के कारण कर्मचारियों के वेतन या पेंशन को अस्थायी रूप से रोका जा सकता है। स्थिति में सुधार होने पर इसे कर्मचारियों को वापस देना होगा। ये कर्मियों का वैद्य अधिकार है। इनका भुगतान कानून के मुताबिक होना चाहिए
कोरोनाकाल में सरकार ने बचाए थे 40000 करोड़ रुपये
केंद्र सरकार ने 2020 के शुरू में यह घोषणा कर दी थी कि सरकारी कर्मियों को डीए/डीआर व दूसरे भत्ते नहीं मिलेंगे। जेसीएम के सदस्य सी श्रीकुमार के मुताबिक, केंद्र सरकार ने तब कोविड-19 की आड़ लेकर सरकारी कर्मियों और पेंशनरों के डीए/डीआर पर रोक लगा दी थी। केंद्र सरकार ने उस वक्त कर्मियों के 11 फीसदी डीए का भुगतान रोक कर लगभग 40000 करोड़ रुपये बचा लिए थे। जब वह रोक हटी, तो केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा था, 28 फीसदी के हिसाब से महंगाई भत्ता मिलेगा। उस वक्त उन्होंने एरियर को लेकर कोई बात नहीं कही। केंद्रीय मंत्री की घोषणा का अर्थ यह था कि बढ़े हुए डीए की दर एक जुलाई 2021 से 28 फीसदी मान ली जाए। इसके अनुसार जून 2021 और जुलाई 2021 के बीच डीए में एकाएक 11 फीसदी वृद्धि हो गई, जबकि डेढ़ साल की अवधि में डीए की दरों में कोई वृद्धि दर्ज नहीं की गई। एक जनवरी 2020 से लेकर एक जुलाई 2021 तक डीए/डीआर फ्रीज कर दिया गया था।