चलना ही है हमको, चाहे जो भी हो,
है डगर कठिन मंजिल की, हर कदम पे है मुश्किल सी,
पर हिम्मत तुम न हारो,ये पुकार सुनो इस दिल की।
साथ नहीं हो कोई फिर भी आगे तुम बढ़ो।
मिल जाएगी मंजिल एक दिन चलते ही रहो।
चलना ही है हमको….
कांटों पर चलने वाला, गर दुःख को सह जाएगा,
मंजिल उसको ही मिलेगी, आनंद वही पाएगा।
पाना है आनंद तो, दुःख थोड़ा तुम सहो।
मिल जाएगी मंजिल एक दिन चलते ही रहो।
चलना ही है हमको, चाहे जो भी हो,
मिल जाएगी मंजिल एक दिन चलते ही रहो।।
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अविनाश कुमार श्रीवास्तव(स०अ०)
प्रा०वि०इटौरा, बांसगांव
गोरखपुर