इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि बेसिक शिक्षा विभाग में कार्यरत अध्यापकों के दोबारा अंतर्जनपदीय स्थानांतरण पर कोई रोक नहीं है। यदि विभाग ने याची के अंतर्जनपदीय स्थानांतरण की मांग मंजूर की है तो उसका स्थानांतरण रोका नहीं जा सकता है। इस निर्देश के साथ कोर्ट ने बेसिक शिक्षा सचिव प्रयागराज के 24 जनवरी 2022 और 18 फरवरी 2022 के आदेशों को रद्द कर दिया है। कोर्ट ने 13 सितंबर 2022 को बीएसए गोरखपुर द्वारा याची को स्थानांतरित जिले में रिलीव न करने के आदेश को भी रद्द कर दिया है। साथ ही निर्देश दिया है कि याची को उसके स्थानांतरित जिले बाराबंकी में ज्वाइन कराया जाए।
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यह आदेश न्यायमूर्ति राजीव सिंह ने गोरखपुर में कार्यरत सहायक अध्यापिका अनुराधा की याचिका पर दिया है।
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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि बेसिक शिक्षा विभाग में कार्यरत अध्यापकों के दोबारा अंतर्जनपदीय स्थानांतरण पर कोई रोक नहीं है। यदि विभाग ने याची के अंतर्जनपदीय स्थानांतरण की मांग मंजूर की है तो उसका स्थानांतरण रोका नहीं जा सकता है। इस निर्देश के साथ कोर्ट ने बेसिक शिक्षा सचिव प्रयागराज के 24 जनवरी 2022 और 18 फरवरी 2022 के आदेशों को रद्द कर दिया है। कोर्ट ने 13 सितंबर 2022 को बीएसए गोरखपुर द्वारा याची को स्थानांतरित जिले में रिलीव न करने के आदेश को भी रद्द कर दिया है। साथ ही निर्देश दिया है कि याची को उसके स्थानांतरित जिले बाराबंकी में ज्वाइन कराया जाए।
यह आदेश न्यायमूर्ति राजीव सिंह ने गोरखपुर में कार्यरत सहायक अध्यापिका अनुराधा की याचिका पर अधिवक्ता नवीन कुमार शर्मा को सुनकर दिया है। अधिवक्ता नवीन कुमार शर्मा का कहना था कि याची 2005 में संत कबीर नगर में सहायक अध्यापिका के पद पर नियुक्त हुई थी। बाद में वह उच्च प्राथमिक विद्यालय में सहायक अध्यापिका के पद पर प्रोन्नत हुई। याची की मांग पर उसका अंतर्जनपदीय स्थानांतरण संत कबीर नगर से गोरखपुर कर दिया गया। याची के पति यूपी पुलिस के टेलीकॉम विभाग में कार्यरत हैं। वह लीवर की गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं। लखनऊ स्थित एसजीपीजीआई में उनका इलाज चल रहा है। इस कारण याची ने अपना स्थानांतरण लखनऊ या लखनऊ के नजदीक किसी जिले में करने की मांग की थी।
विभाग ने उसकी मांग को स्वीकार करते हुए उसका स्थानांतरण बाराबंकी के लिए कर दिया लेकिन बीएसए गोरखपुर ने उसे रिलीव करने से इनकार कर दिया। इस पर उसने याचिका दाखिल की। हाईकोर्ट ने बीएसए के आदेश को रद्द करते हुए उन्हें अपने निर्णय पर पुनर्विचार के लिए कहा। दूसरी बार बीएसए ने उन्हें रिलीव कर दिया लेकिन बीएसए बाराबंकी ने ज्वाइन नहीं कराया। इस पर याची ने अवमानना याचिका दाखिल की। इस दौरान बीएसए बाराबंकी ने सचिव को पत्र लिखकर याची को ज्वाइन कराने के संबंध में निर्देश मांगे। सचिव ने याची को ज्वाइन कराने से इनकार कर दिया। उधर, बीएसए गोरखपुर ने भी उसे रिलीव करने का आदेश वापस ले लिया। अधिवक्ता शर्मा का तर्क था कि एक बार जब याची का स्थानांतरण कर दिया गया तो फिर उसे ज्वाइन कराने से इनकार नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने कहा कि इस तथ्य में कोई विवाद नहीं है कि अध्यापक दोबारा अंतर्जनपदीय स्थानांतरण की मांग कर सकता है। याची ने जब दोबारा स्थानांतरण की मांग की, उस समय विभागीय अधिकारियों के पास उसके सभी रिकॉर्ड थे।