लखनऊ। प्रदेश में ग्राम पंचायत अधिकारी के खाली 1,468 पदों पर भर्ती के विज्ञापन को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ में चुनौती दी गई है। पीठ ने भर्ती में ओबीसी, एससी, एसटी वर्ग को नियमानुसार आरक्षण न देने के आरोप वाली दायर याचिका पर राज्य सरकार और उप्र अधीनस्थ सेवा चयन आयोग से चार हफ्ते में जवाब मांगा है। कोर्ट ने इनसे ग्राम पंचायत अधिकारी के पदों पर कार्यरत विभिन्न श्रेणियों के कार्मिकों का ब्योरा भी दाखिल करने को कहा है।
न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी के एकल पीठ ने यह आदेश अभ्यर्थी शिवकांत की याचिका पर दिया। गत 16 मई को आयोग ने विज्ञापन जारी कर 1,468 रिक्त पदों पर भर्ती के लिए ऑनलाइन आवेदन मांगे हैं। इनमें अनुसूचित जाति के लिए 356 पद, जनजाति के सात पद और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए 117 पद आरक्षित किए गए हैं।
याची के वकील कृष्ण कन्हैया पाल का कहना था कि पदों के आरक्षण में वर्ष 1994 के आरक्षण अधिनियम का पालन नहीं किया गया है। इसके तहत ओबीसी को 27 फीसदी यानी 396 पद आरक्षित किए जाने चाहिए थे। एससी- एसटी वर्ग को भी उनके नियत आरक्षण से कम पदों का आरक्षण दिया गया, जो कानून की मंशा के खिलाफ है।