● भर्ती प्रक्रिया में जालसाजी, राजकीय धन के आपराधिक दुरुपयोग का आरोप
करोड़ों रुपये की अनियमितता में भी फंसे
यूनिवर्सिटी प्रशासन के अधिकारियों पर करोड़ों के हेरफेर का भी आरोप है। प्रसार योजना, आयोजन, सुदृढीकरण, प्रशिक्षण समेत अन्य कार्यक्रम के नाम पर कई करोड़ रुपये इधर से उधर किए गए। 32 लाख, 69 लाख 40 हजार, एक करोड़ 70 लाख, एक करोड़ दो लाख, चार लाख 84 हजार, दस लाख, दो लाख 68 हजार आदि के भुगतान में फर्जीवाड़ा पकड़ा गया है। ऐसे में पांच करोड़ 56 लाख रुपये का जिक्र एफआईआर में है जो अनियमित रूप से खातों में भेजे गए।
प्रयागराज, वरिष्ठ संवाददाता। शुआट्स के कुलपति आरबी लाल, अन्य पदों पर बैठे उनके परिवारवाले और यूनिवर्सिटी प्रशासन के कई अधिकारी गंभीर मामलों में फंसे हैं। जांच में साफ हुआ कि 1984 से 2017 तक यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर, असिस्टेंट प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर के पदों पर नियुक्ति निर्धारित भर्ती प्रक्रिया, मानकों के विपरीत की गई। एफआईआर में कहा गया है कि ऐसे 69 पदों पर भर्ती गलत तरीके से हुई। इन नियुक्तियों में अनिवार्य योग्यता का पालन नहीं किया गया। पदों का विज्ञापन दो प्रख्यात समाचार पत्रों में न करने, अवधि का मापदंड न पूरा करने, साक्षात्कार हेतु बुलावा पत्र और चयन के बाद नियुक्ति पत्र प्रसारित न करने, सरकारी पे रोल पर रिक्त पदों को भरने के निमित सीधी भर्ती के विज्ञापन के सापेक्ष डायरेक्टर रिक्रूटमेंट अपनाने का हेरफेर किया गया। इसे राजकीय धन का आपराधिक दुरुपयोग माना गया। भर्ती में कूटरचित दस्तावेजों का प्रयोग पाया गया। इसके अलावा वेतन और भत्तों को देने में अनियमितता बरती गई।