मेरठ (जगेंद्र उज्ज्वल) । बिना नियुक्ति के ही 35 साल से कोषागार में नौकरी करने वाले मुख्य रोकड़िया (मुख्य खजांची) सुशील कुमार को निदेशक कोषागार एवं पेंशन नील रतन कुमार ने बर्खास्त कर दिया है। मुजफ्फरनगर जिले में उन्होंने 12 सितंबर वर्ष 1989 को फर्जी तरीके से सहायक रोकड़िया पद पर नौकरी हासिल कर ली थी। मेरठ कोषागार के मुख्य कोषाधिकारी ने उन्हें आदेश तामील करा दिया है।
दरअसल, मुजफ्फरनगर के रामपुरम निवासी जय प्रकाश और डिप्टी कैशियर शिवकुमार वर्मा ने वर्ष 2021 में सुशील कुमार की नियम विरुद्ध बिना नियुक्ति के ही नौकरी करने की शिकायत मुख्यमंत्री एवं शासन में की थी। इसके बाद सितंबर- 2022 में मुजफ्फरनगर के तत्कालीन
जिलाधिकारी चंद्रभूषण सिंह ने जांच कराई। जांच के बाद सुशील कुमार को निष्कासित करने के लिए निदेशक कोषागार लखनऊ को पत्र लिखा गया था। शिकायतकर्ता का आरोप था कि मुजफ्फरनगर कोषागार में 12 सितंबर 1989 को उनकी नियुक्ति नियम विरुद्ध हुई। वहीं, रोकड़िया के पद पर सुशील कुमार की नियुक्ति के समय ना तो तत्कालीन डीएम से मंजूरी ली गई और न ही कोई विज्ञापन निकलवाया गया। न ही किसी सक्षम अधिकारी ने सुशील कुमार का नियुक्ति पत्र निर्गत किया। शासन के ओदश पर प्रकरण की जांच मेरठ के अपर निदेशक कोषागार अतुल कुमार सिंह ने भी की। जांच में आरोपी सुशील कुमार के पास कोई नियुक्ति पत्र नहीं मिला और शिकायत सही पाई गई।