Ticker

6/recent/ticker-posts

Ad Code

नियमितीकरण पर जल्द होगा फैसला : सरकार

 अपर महाधिवक्ता अजीत सिंह ने सरकार का पक्ष रखा। बताया कि बाहर किए गए शिक्षकों के नियमितीकरण और समायोजन पर सरकार जल्द फैसला लेगी। मौजूदा मामले दो प्रकार के हैं, एक वर्ष 2000 से पहले नियमितीकरण से संबंधित है, जिसे धारा 33-बी, सी, एफ, जी के प्रावधानों के तहत निपटाया जाना है।

वहीं, जहां तक वर्ष 2000 के बाद की नियुक्तियों का सवाल है, उसे संजय सिंह (सुप्रा) के मामले में दिए गए निर्णय के अनुसार निपटाया जाना है। इसके द्वारा 2000 के बाद नियुक्त तदर्थ शिक्षकों को निश्चित मानदेय के साथ 11 माह के लिए समायोजित किया जाएगा। इस संबंध में शिक्षा विभाग ने परिपत्र भी जारी किया है। वेतन भुगतान का मामला भी विचाराधीन है।




यह है मामला 
प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि  शिक्षकों के नियमतीकरण और वेतन भुगतान पर शिक्षा विभाग के अधिकारी सरकार को गुमराह कर रहे हैं। सही तथ्यों को छिपाकर सरकार से तरह-तरह के । भ्रामक परिपत्र जारी करवा रहे हैं। लिहाजा, मामला 48 घंटे के भीतर सीएम के समक्ष पेश कर दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। मामले में अगली सुनवाई 20 सितंबर को होगी

यह आदेश न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल की एकल पीठ ने जालौन के याची विनोद कुमार श्रीवास्तव की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है। मामला माध्यमिक विद्यालय में तैनात उन एक हजार

तदर्थ शिक्षकों से जुड़ा है, जिन्हें नवंबर 2023 में बर्खास्त कर दिया गया था। उसके बाद तमाम अदालती आदेशों के बावजूद उनके समायोजन को लेकर कई परिपत्र जारी किए गए।

उन परिपत्र के आलोक में 1993 से 2000 के बीच नियुक्त शिक्षकों को 2000 के बाद नियुक्त शिक्षकों के समान समायोजन की कोशिश की जा रही है। इसके खिलाफ 2000 से पहले नियुक्त हुए शिक्षकों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। याची की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आरके ओझा ने दलील दी कि विशेष सचिव, उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से शिक्षा निदेशक (माध्यमिक) को संबोधित परिपत्र आठ जुलाई 2024 को जारी परिपत्र का हवाला दिया।

Post a Comment

0 Comments

latest updates

latest updates

Random Posts