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सिद्धार्थनगर में अंतः-जनपदीय शिक्षक स्थानांतरण प्रक्रिया शुरू, आवेदन की अंतिम तिथि तय

 सिद्धार्थनगर जनपद के परिषदीय प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों के लिए एक अहम खबर सामने आई है। शैक्षिक सत्र 2025-26 को ध्यान में रखते हुए अंतः-जनपदीय (Intra-District) शिक्षक स्थानांतरण/समायोजन प्रक्रिया आधिकारिक रूप से शुरू कर दी गई है। इस प्रक्रिया का उद्देश्य जनपद के विद्यालयों में शिक्षकों की संतुलित तैनाती सुनिश्चित करना है।

बीएसए ने जारी किए निर्देश

बेसिक शिक्षा अधिकारी द्वारा सभी खंड शिक्षा अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि वे अपने-अपने क्षेत्र के विद्यालयों में अतिरिक्त और कम शिक्षकों वाले स्कूलों की सूची तैयार करें। यह पूरी प्रक्रिया शासन और बेसिक शिक्षा निदेशालय के दिशा-निर्देशों के अनुसार संचालित की जा रही है।

इन स्कूलों पर रहेगा विशेष फोकस

अंतः-जनपदीय स्थानांतरण प्रक्रिया के अंतर्गत:

  • जहाँ आवश्यकता से अधिक शिक्षक कार्यरत हैं, उन विद्यालयों की पहचान

  • जहाँ छात्र संख्या के अनुपात में शिक्षक कम हैं, ऐसे विद्यालयों का चयन

  • शिक्षकों का समायोजन पूरी तरह पारदर्शी प्रक्रिया से किया जाएगा

इससे जनपद के दूरदराज और जरूरतमंद विद्यालयों को भी पर्याप्त शिक्षक उपलब्ध हो सकेंगे।

आवेदन प्रक्रिया और अंतिम तिथि

जो शिक्षक अंतः-जनपदीय स्थानांतरण या समायोजन कराना चाहते हैं, उन्हें निर्धारित प्रारूप में आवेदन करना होगा। आवेदन संबंधित खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय में जमा किया जाएगा।
👉 आवेदन की अंतिम तिथि 29 दिसंबर 2025 निर्धारित की गई है।

समय सीमा के बाद प्राप्त आवेदनों पर विचार नहीं किया जाएगा, इसलिए शिक्षकों को समय रहते आवेदन करने की सलाह दी गई है।

स्थानांतरण का मुख्य उद्देश्य

इस पूरी प्रक्रिया का प्रमुख लक्ष्य है:

  • विद्यालयों में शिक्षक-छात्र अनुपात को संतुलित करना

  • शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार

  • सभी ब्लॉकों में समान शैक्षिक संसाधन उपलब्ध कराना

  • शैक्षिक सत्र की शुरुआत से पहले व्यवस्था को सुव्यवस्थित करना

शिक्षकों के लिए जरूरी सलाह

  • आवेदन से पहले अपने विद्यालय की स्थिति की जानकारी अवश्य लें

  • सभी आवश्यक दस्तावेज सही और पूर्ण रूप से संलग्न करें

  • अंतिम तिथि का विशेष ध्यान रखें

निष्कर्ष

सिद्धार्थनगर में शुरू की गई अंतः-जनपदीय शिक्षक स्थानांतरण प्रक्रिया शिक्षकों और विद्यार्थियों—दोनों के हित में एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे न केवल विद्यालयों में संतुलन बनेगा, बल्कि शिक्षा व्यवस्था भी अधिक प्रभावी होगी।

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