श्री राम जेठ मलानी द्वारा और श्री शांति भूषण जी की बहस :-
दोनों अधिवक्ताओं ने अधिकांश समय शासनादेशों को पढ़ने मे लगाया और निम्न तर्क दिये
1- बहस की शुरुवात सीपीसी ऑर्डर -1 रूल 8 पर बहस करते हुए कहा गया की समायोजन रद्द करने से पहले हाइ कोर्ट द्वारा कोई नोटिस नही दिया गया कोई पेपर पब्लिकेशन नही हुआ । ऐसा करना नेचुरल जस्टिस के विपरीत है ।
दोनों अधिवक्ताओं ने अधिकांश समय शासनादेशों को पढ़ने मे लगाया और निम्न तर्क दिये
1- बहस की शुरुवात सीपीसी ऑर्डर -1 रूल 8 पर बहस करते हुए कहा गया की समायोजन रद्द करने से पहले हाइ कोर्ट द्वारा कोई नोटिस नही दिया गया कोई पेपर पब्लिकेशन नही हुआ । ऐसा करना नेचुरल जस्टिस के विपरीत है ।