जब मैंने 2011 में टेट संघर्ष मोर्चे की स्थापना की थी तब न कोई चयनित था न कोई अचयनित था : संस्थापक टी इ टी संघर्ष मोर्चा

टेट संघर्ष मोर्चा
चयनित साथियों से अपील-: दोस्तों जब मैंने 2011 में टेट संघर्ष मोर्चे की स्थापना की थी तब न कोई चयनित था न कोई अचयनित था लाखों लोग एक नौकरी की उम्मीद में मोर्चे से जुड़ते चले गए और सब ने संगठन को
शाक्तिशाली बनाने में अपना सब कुछ लगा दिया हर व्यक्ति एक दूसरे का नाम नही जानता था पर टेट वाले है के नाम से एक अपनापन आने लगा और हर कोई जुड़ता चला गया और बेमिशाल तौर पर पुर्नबहुमत की सरकार से लड़ा एक लम्बा संघर्ष चला और जीत हांसिल की किन्तु इस जीत में बहुत कुछ पीछे छूट गया और संगठन टुकड़ो में बंट गया मोर्चा चयनित और अचयनित का हो गया जो सब के लिए नुकसानदायक रहा।
किन्तु आज परिस्थितियां बदल चुकी है टेट मेरिट जीत चुकी है और आप अपनी नौकरी पर हो पर जरा गौर से सोचिये क्या ये नौकरी सिर्फ आप की मेहनत से मिली है नही बिलकुल नही इसमें बहुत से लोगो का सहयोग रहा है तो क्या अपने भाइयो के योगदान को भूल जाना चाहिए क्या हमारा कोई फर्ज नही है।
मित्रों आज आप को ये फैसला लेना है कि पूरे जीवन आप किसके साथ नौकरी करेंगे जिन्होंने आप की नौकरी के लिए लड़ाई लड़ी उनके साथ या जो आप का भला कभी नही चाहे आपको अपना विरोधी समझा और आज भी आप का विरोध करते है चाहे स्कूल हो या कोर्ट हर जगह आप का विरोध किया।
अपने जमीर को जगाइये और अपने भाइयो का सहयोग करिये ये सिर्फ आप के अचयनित भाइयो की लड़ाई नही है ये आप की भी लड़ाई है जितना फ़ायदा अच्यनितो को उतना ही चयनित का भी तो अपना फर्ज निभाइये और अपने अचयनित भाइयो का सहयोग करिये इस लड़ाई को अचयनित और चयनित की न बना कर टेटे संघर्ष मोर्चे की बनाइये आप भले ही चयनित अचयनित में बटें हो पर आप के विरोधी आप को अलग नही समझते तो आप क्यों अलग हो।
चयनित भाइयो और बहनों अब आप अपनी लड़ाई जीत चुके हो आप खुस हो तो एक बार अपने अचयनित भाइयो के लिए भी सहयोग करिये आप अपनी खुसी में मिठाई के नाम पर ही सही 101 रु या 501 रु का सहयोग करिये ये मिठाई के पैसे सिर्फ इनका मुह नही बल्कि जीवन में मिठास ला सकते है जब ये जीत कर आप के बीच आएंगे तो आप को भी बहुत खुसी होगी।
जरा याद करिये जब आप प्राइवेट जॉब में लगे थे तो लोग आप के लिए लड़ रहे थे आपके लिए सबसे पहले जेल जाने वाला भाई सुल्तान अहमद आज भी अचयनित है हर धरने में आगे रहने वाले रामपूजन तिवारी भाई भी आज तक अचयनित है गुलजार सैफी जो दोनों पैरों से विकलांग होते हुए भी हर धरने में पहुंचे थे और आमरण अनसन तक किया था गुरपाल सिंह,दिलीप श्रीवास्तव राजेश राव जिसने मोर्चे को कोर्ट की गलियों से परिचित कराया आज भी ऐसे लोग अचयनित है हम सब चयनितों पर इनका एहसान है आज वक़्त आया है कि हम भी थोड़ी सी मदद इन्हे पहुचाये और इन्हे भी नियुक्ति दिलाये।
विस्वास मानिये ऐसे लोगो का सहयोग करके आप को बहुत सुकून मिलेगा और लाखों दुवाएँ भी मिलेंगी कर के देखिये अच्छा लगेगा।
निवेदक
विवेकानन्द
संस्थापक टी इ टी संघर्ष मोर्चा
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