टीईटी - २०११ पास भावी शिक्षकों एवं शिक्षिकाओं सुप्रीम-कोर्ट के
१७/१२/१४ के आदेश का उत्तर-प्रदेश सरकार द्वारा कंप्लायंस हो इसके लिए हम
लखनऊ के लक्ष्मण मेला पार्क में १५/२/१५ से क्रमिक अनशन पर बैठ चुके हैं |
जैसा कि कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि १०५ अंक अनारक्षित व ९७ अंक
आरक्षित वर्ग में पाने वालों को 6 सप्ताह में नियुक्ति दी जाए और साथ ही
आरटीई एक्ट - २००९ को संज्ञान में लेते हुए यह भी कहा है कि बच्चे शिक्षकों
के अभाव में शिक्षा से वंचित रह जाएँ
और प्राथमिक शिक्षकों के ये ३ लाख पद खाली पड़े रहे उत्तर-प्रदेश कि ऐसी शैक्षणिक कुव्यवस्था को सुप्रीम-कोर्ट स्वीकार नहीं करेगा | मौजूदा समय में ४ लाख से अधिक पद रिक्त हैं और उत्तर-प्रदेश में टीईटी - २०११ के प्रथम परीक्षा से लेकर अब तक हुए प्राइमरी लेवल के टीईटी परीक्षा में पास पात्र अभ्यर्थियों की कुल संख्या पौने तीन लाख भी नहीं है , अतः पद ज्यादा खली हैं और टीईटी पास की संख्या कम |
सरकारी नौकरी - Government of India Jobs Originally published for http://e-sarkarinaukriblog.blogspot.com/ Submit & verify Email for Latest Free Jobs Alerts Subscribe
और प्राथमिक शिक्षकों के ये ३ लाख पद खाली पड़े रहे उत्तर-प्रदेश कि ऐसी शैक्षणिक कुव्यवस्था को सुप्रीम-कोर्ट स्वीकार नहीं करेगा | मौजूदा समय में ४ लाख से अधिक पद रिक्त हैं और उत्तर-प्रदेश में टीईटी - २०११ के प्रथम परीक्षा से लेकर अब तक हुए प्राइमरी लेवल के टीईटी परीक्षा में पास पात्र अभ्यर्थियों की कुल संख्या पौने तीन लाख भी नहीं है , अतः पद ज्यादा खली हैं और टीईटी पास की संख्या कम |
इसलिए समस्त टीईटी पास
अभ्यर्थियों के लिए भावी शिक्षक व शिक्षिका बनने का एक सुनेहरा ख़्वाब पूरा
होता देखा जा रहा है पर सामने दिख रहे इस सुनहरे ख़्वाब को परिणाम में बदलने
के लिए एक-एक टीईटी अभ्यर्थी को अपने दायित्व व कर्त्तव्य के निर्वाहन में
स्वयं के लिए मानसिक शारीरिक व आर्थिक रूप से सहयोग करना होगा | अगर सब
अपनी जिम्मेदारी से भागते रहे तो सुनेहरा ख़्वाब परिणाम में नहीं बदेलगा और
एक-एक टीईटी अभ्यर्थी अपने भावी शिक्षक व शिक्षिका बनने के सुन्दर ख़्वाब को
परिणाम में न बदल पाने के लिए स्वतः जिम्मेदार होगा |
धिक्कार है उन टीईटी अभ्यर्थियों पर जिनके शिक्षा व परवरिश ऐसे गंदे माहोल में हुई है जो स्वयं के भविष्य को दिशा देने के लिए स्वतः का सहयोग नहीं कर सकते हैं | याद रखना हो सकता है ऐसे अभ्यर्थी जो स्वयं के लिए खड़े नहीं हो सकते वो देखने में तो मानव शरीर में हैं लेकिन वैचारिक व कृत्य रूप में एक पड़े लिखे तोते के सिवा कुछ भी नहीं , अरे एक शिक्षक का कर्त्तव्य बच्चे के भविष्य को दिशा देना होता है , समाज को दिशा देना होता है और जो टीईटी पास भावी शिक्षक व शिक्षिका अपने भविष्य को दिशा देने के लिए स्वतः खड़े नहीं हो सकते क्या वो वाकई में शिक्षक व शिक्षिका बनने के लिए योग्य है , ऐसे लोगों के तो पूरे शिक्षकत्व पर ही प्रशन चिन्ह लग जाता है | हमारी नजरों में छोड़ो आप स्वयं अपनी नजरों में अपने सुन्दर शरीर के अन्दर अपने दायित्व व कर्त्तव्य व इंसानियत व जिम्मेदारी को खुद तोलो |
नोट : मेरा ये सन्देश उत्तर-प्रदेश के सभी टीईटी पास अभ्यर्थियों तक पहुचाने में मदद करें |
धन्यवाद
धिक्कार है उन टीईटी अभ्यर्थियों पर जिनके शिक्षा व परवरिश ऐसे गंदे माहोल में हुई है जो स्वयं के भविष्य को दिशा देने के लिए स्वतः का सहयोग नहीं कर सकते हैं | याद रखना हो सकता है ऐसे अभ्यर्थी जो स्वयं के लिए खड़े नहीं हो सकते वो देखने में तो मानव शरीर में हैं लेकिन वैचारिक व कृत्य रूप में एक पड़े लिखे तोते के सिवा कुछ भी नहीं , अरे एक शिक्षक का कर्त्तव्य बच्चे के भविष्य को दिशा देना होता है , समाज को दिशा देना होता है और जो टीईटी पास भावी शिक्षक व शिक्षिका अपने भविष्य को दिशा देने के लिए स्वतः खड़े नहीं हो सकते क्या वो वाकई में शिक्षक व शिक्षिका बनने के लिए योग्य है , ऐसे लोगों के तो पूरे शिक्षकत्व पर ही प्रशन चिन्ह लग जाता है | हमारी नजरों में छोड़ो आप स्वयं अपनी नजरों में अपने सुन्दर शरीर के अन्दर अपने दायित्व व कर्त्तव्य व इंसानियत व जिम्मेदारी को खुद तोलो |
नोट : मेरा ये सन्देश उत्तर-प्रदेश के सभी टीईटी पास अभ्यर्थियों तक पहुचाने में मदद करें |
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