कोर्ट ने प्रदेश सरकार से मांगा जवाब, जारी रहेगी नियुक्ति प्रक्रिया : पुलिस भर्ती परीक्षा

हाईकोर्ट के फैसले के अधीन होगी सिपाहियों की भर्ती
कोर्ट ने प्रदेश सरकार से मांगा जवाब, जारी रहेगी नियुक्ति प्रक्रिया
इलाहाबाद। पुलिस में करीब 41 हजार सिपाहियों की भर्ती का मामला अब हाईकोर्ट के निर्णय पर निर्भर करेगा। भर्ती प्रक्रिया में धांधली की गंभीर शिकायतों को लेकर दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए बृहस्पतिवार को न्यायमूर्ति बीके बिड़ला ने प्रदेश सरकार से एक सप्ताह में जवाब तलब किया है।

कोर्ट ने चयन प्रक्रिया पर रोक नहीं लगाई लेकिन यह साफ किया कि कोई भी चयन इस याचिका के अंतिम निर्णय पर निर्भर करेगा। याचिका पर अगली सुनवाई छह अप्रैल को होनी है।

पवन उपाध्याय सहित 52 अभ्यर्थियों की ओर याचिका दाखिल करने वाले वकील विजय गौतम के मुताबिक सिपाहियों की भर्ती में स्थापित नियम-कानून को पूरी तरह से दरकिनार किया गया है। आरक्षण नियमों की अनदेखी की गई। कटऑफ मेरिट से कम अंक पाने वाले अभ्यर्थियों को मेडिकल के लिए बुलाया गया है। याचिका में ऐसी कई अभ्यर्थियों के नाम और रिजल्ट लगाए गए हैं जिनके अंक कटऑफ मेरिट से कम हैं। दरोगा भर्ती की तरह यहां भी नियम विरुद्ध तरीके से लिखित परीक्षा में व्हाइटनर और ब्लेड के इस्तेमाल का आरोप है। करीब 5000 अभ्यर्थियों ने व्हाइटनर का प्रयोग किया और उनको चयनित भी कर लिया गया। गौतम का कहना है कि कुल 41 हजार में से 34 हजार चयनित अभ्यर्थी सिर्फ इटावा, मैनपुरी और एटा के हैं। चयन में मात्र जाति विशेष के लोगों को वरीयता दी गई है। सरकार के वकील पीयूष शुक्ला ने दलील दी कि चयन प्रक्रिया पारदर्शी है याचीगण कोई ऐसा साक्ष्य नहीं दे सके हैं जिससे चयन प्रक्रिया पर रोक लगाने का आधार बनता हो। कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद कहा कि सरकार इन आरोपों पर अपना जवाब एक सप्ताह के भीतर दे।
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