अब सिर्फ एमए करके भी पढ़ा सकेंगे डिग्री कॉलेज में
नेशनल काउंसिल फार टीचर एजूकेशन (एनसीटीई) ने टीचिंग से संबधित तमाम पाठ्यक्रमों के शिक्षकों की नियुक्ति की अर्हता में बड़ा बदलाव किया है। यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (यूजीसी) की नियमावली को दरकिनार करते हुए एनसीटीई ने एमए एजूकेशन, एमएड और एपीएड वालों को भी पढ़ाने की छूट दे दी है।
इसमें नेशनल एलिजिबिलिटी टेस्ट (नेट) की अनिवार्यता नहीं रखी गई है। प्रिंसिपल के लिए पीएचडी और टीचर्स ट्रेनिंग स्कूल में पढ़ाने का अनुभव मांगा गया है लेकिन इनमें नेट अनिवार्यता नहीं है।
एनसीटीई ने टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज में पढ़ाने का अनुभव भी कम कर दिया है। अब 5 या 8 साल पढ़ाने का अनुभव रखने वाले भी प्रिंसिपल या विभागाध्यक्ष बन सकेंगे।
नए शैक्षिक सत्र से लागू होंगे नियम
एनसीटीई ने इतना जरूर कहा है कि नेट, जूनियर रिसर्च फेलो (जेआरएफ) और असिस्टेंट प्रोफेसर की अर्हता वालों को शिक्षकों की नियुक्ति में वरीयता दी जाएगी लेकिन यूजीसी के नियमों को सख्ती से लागू नहीं किया गया है।
ये बदलाव शैक्षिक सत्र 2015-16 से होंगे। इसकी शुरुआत जुलाई 2015 से हो रही है। शिक्षकों की नियुक्ति की अर्हता में जो भी बदलाव हुए हैं, उसका ब्यौरा छत्रपति शाहूजी महाराज यूनिवर्सिटी प्रशासन को मिल गया है।
रजिस्ट्रार सैय्यद वकार हुसैन ने कहा है कि इस बार नई नियमावली से ही शिक्षकों की नियुक्ति होगी।
ये हैं टीचिंग कोर्स, उसके शिक्षकों की नियुक्ति की अर्हता
डीईसीई
नेशनल टीचर ट्रेनिंग को अब डिप्लोमा इन अर्ली चाइल्ड हुड एजूकेशन (डीईसीई) कर दिया गया है। दो साल के कोर्स की पढ़ाई चार सेमेस्टर में होगी।
इसके शिक्षकों की नियुक्ति की अर्हता सामान्य रखी गई है। 50 फीसदी मार्क्स के साथ किसी सब्जेक्ट से परास्नातक व्यक्ति शिक्षक बन सकता है।
पहले 50-50 सीटों की दो यूनिट की मान्यता मिलेगी। इसके लिए 10 शिक्षकों की नियुक्ति जरूरी है। शिक्षकों की नियुक्ति में पांच साल पढ़ाने का अनुभव आवश्यक किया गया है।
एमपीएड वालों के लिए...
मास्टर आफ फिजिकल एजूकेशन (एमपीएड) की पढ़ाई दो साल और चार सेमेस्टर में कराई जाएगी। पहले एक यूनिट यानी 40 सीटों की मान्यता मिलेगी।
इसके लिए प्रिंसिपल या विभागाध्यक्ष सहित छह पूर्ण कालिक और तीन अंशकालिक शिक्षकों की नियुक्ति जरूरी है। प्रिंसिपल के दावेदार का शारीरिक शिक्षा सब्जेक्ट में पीएचडी का होना जरूरी है।
आठ साल का टीचिंग अनुभव भी चाहिए। सामान्य शिक्षकों की अर्हता 55 फीसदी मार्क्स के साथ एमपीएड या एपीई है। एनसीटीई ने नेट की अनिवार्यता से छूट दी है। यूजीसी की तरह अनुभव भी 15 साल साल नहीं रखा है।
बीएड टीचर के लिए ये हैं नियम
बैचलर आफ एजूकेशन (बीएड) की पढ़ाई दो साल और चार सेमेस्टर की हो गई है। पहली बार बीएड की 50-50 सीटों की दो यूनिट की मान्यता मिलेगी।
इसके लिए प्रिंसिपल या विभागाध्यक्ष सहित 16 शिक्षकों की नियुक्ति जरूरी है। प्रिंसिपल या विभागाध्यक्ष के लिए टीचिंग स्कूल में 8 साल पढ़ाने का अनुभव जरूरी है।
एनसीटीई ने पीएचडी के लिए एजूकेशन सब्जेक्ट की अनिवार्यता खत्म कर दी है। अब किसी भी सब्जेक्ट से पीएचडी करने वाले बीएड कॉलेज के प्रिंसिपल या विभागाध्यक्ष बन सकते हैं।
55 फीसदी मार्क्स पाने वाले एमएड डिग्रीधारक भी शिक्षक बन सकते हैं। वहीं, यूजीसी ने जो व्यवस्था की थी, उसके मुताबिक 15 साल पढ़ाने का अनुभव जरूरी था।
नेट की अनिवार्यता भी रखी गई थी। इसे अब एनसीटीई ने सुपरसीड कर दिया है।
बीटीसी के लिए ये हैं नियम
बेसिक ट्रेनिंग सर्टिफिकेट (बीटीसी) की पढ़ाई दो साल और चार सेमेस्टर में पूरी होगी। पहले 50-50 सीटों की दो यूनिट की मान्यता मिलेगी। इसके लिए प्रिंसिपल या विभागाध्यक्ष सहित 16 शिक्षकों की नियुक्ति होगी।
इनकी शैक्षिक अर्हता एमएड या एमए एजूकेशन, एमएलएड रखी गई है। इनमें 50 फीसदी मार्क्स के साथ पास होने की अनिवार्यता है।
प्रिंसिपल या विभागाध्यक्ष की शैक्षिक अर्हता भी सामान्य रखी गई है। इससे पहले यूजीसी ने पीएचडी की अनिवार्यता रखी थी, जो अब नहीं है
बीपीएड टीचिंग के लिए अर्हता
बैचलर आफ फिजिकल एजूकेशन (बीपीएड) की पढ़ाई दो साल और चार सेमेस्टर में होगी। पहले 50 सीटों की एक यूनिट की मान्यता मिलेगी।
इसके लिए प्रिंसिपल (प्रोफेसर), दो एसोसिएट प्रोफेसर और छह असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति होगी। आठ पार्ट टाइम शिक्षक रखे जाएंगे। शिक्षकों की अर्हता 55 फीसदी के साथ एमपीएड या एमपीई है।
शारीरिक शिक्षा सब्जेक्ट से पीएचडी डिग्री लेने वाले ही प्रिंसिपल बन सकते हैं। टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज में 5 साल पढ़ाने का अनुभव जरूरी है।
यूजीसी ने प्रिंसिपलके लिए 15 साल के अनुभव का नियम बनाया और नेट अनिवार्य किया था, जिसे एनसीटीई ने नहीं माना है।
नेशनल काउंसिल फार टीचर एजूकेशन (एनसीटीई) ने टीचिंग से संबधित तमाम पाठ्यक्रमों के शिक्षकों की नियुक्ति की अर्हता में बड़ा बदलाव किया है। यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (यूजीसी) की नियमावली को दरकिनार करते हुए एनसीटीई ने एमए एजूकेशन, एमएड और एपीएड वालों को भी पढ़ाने की छूट दे दी है।
इसमें नेशनल एलिजिबिलिटी टेस्ट (नेट) की अनिवार्यता नहीं रखी गई है। प्रिंसिपल के लिए पीएचडी और टीचर्स ट्रेनिंग स्कूल में पढ़ाने का अनुभव मांगा गया है लेकिन इनमें नेट अनिवार्यता नहीं है।
एनसीटीई ने टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज में पढ़ाने का अनुभव भी कम कर दिया है। अब 5 या 8 साल पढ़ाने का अनुभव रखने वाले भी प्रिंसिपल या विभागाध्यक्ष बन सकेंगे।
नए शैक्षिक सत्र से लागू होंगे नियम
एनसीटीई ने इतना जरूर कहा है कि नेट, जूनियर रिसर्च फेलो (जेआरएफ) और असिस्टेंट प्रोफेसर की अर्हता वालों को शिक्षकों की नियुक्ति में वरीयता दी जाएगी लेकिन यूजीसी के नियमों को सख्ती से लागू नहीं किया गया है।
ये बदलाव शैक्षिक सत्र 2015-16 से होंगे। इसकी शुरुआत जुलाई 2015 से हो रही है। शिक्षकों की नियुक्ति की अर्हता में जो भी बदलाव हुए हैं, उसका ब्यौरा छत्रपति शाहूजी महाराज यूनिवर्सिटी प्रशासन को मिल गया है।
रजिस्ट्रार सैय्यद वकार हुसैन ने कहा है कि इस बार नई नियमावली से ही शिक्षकों की नियुक्ति होगी।
ये हैं टीचिंग कोर्स, उसके शिक्षकों की नियुक्ति की अर्हता
डीईसीई
नेशनल टीचर ट्रेनिंग को अब डिप्लोमा इन अर्ली चाइल्ड हुड एजूकेशन (डीईसीई) कर दिया गया है। दो साल के कोर्स की पढ़ाई चार सेमेस्टर में होगी।
इसके शिक्षकों की नियुक्ति की अर्हता सामान्य रखी गई है। 50 फीसदी मार्क्स के साथ किसी सब्जेक्ट से परास्नातक व्यक्ति शिक्षक बन सकता है।
पहले 50-50 सीटों की दो यूनिट की मान्यता मिलेगी। इसके लिए 10 शिक्षकों की नियुक्ति जरूरी है। शिक्षकों की नियुक्ति में पांच साल पढ़ाने का अनुभव आवश्यक किया गया है।
एमपीएड वालों के लिए...
मास्टर आफ फिजिकल एजूकेशन (एमपीएड) की पढ़ाई दो साल और चार सेमेस्टर में कराई जाएगी। पहले एक यूनिट यानी 40 सीटों की मान्यता मिलेगी।
इसके लिए प्रिंसिपल या विभागाध्यक्ष सहित छह पूर्ण कालिक और तीन अंशकालिक शिक्षकों की नियुक्ति जरूरी है। प्रिंसिपल के दावेदार का शारीरिक शिक्षा सब्जेक्ट में पीएचडी का होना जरूरी है।
आठ साल का टीचिंग अनुभव भी चाहिए। सामान्य शिक्षकों की अर्हता 55 फीसदी मार्क्स के साथ एमपीएड या एपीई है। एनसीटीई ने नेट की अनिवार्यता से छूट दी है। यूजीसी की तरह अनुभव भी 15 साल साल नहीं रखा है।
बीएड टीचर के लिए ये हैं नियम
बैचलर आफ एजूकेशन (बीएड) की पढ़ाई दो साल और चार सेमेस्टर की हो गई है। पहली बार बीएड की 50-50 सीटों की दो यूनिट की मान्यता मिलेगी।
इसके लिए प्रिंसिपल या विभागाध्यक्ष सहित 16 शिक्षकों की नियुक्ति जरूरी है। प्रिंसिपल या विभागाध्यक्ष के लिए टीचिंग स्कूल में 8 साल पढ़ाने का अनुभव जरूरी है।
एनसीटीई ने पीएचडी के लिए एजूकेशन सब्जेक्ट की अनिवार्यता खत्म कर दी है। अब किसी भी सब्जेक्ट से पीएचडी करने वाले बीएड कॉलेज के प्रिंसिपल या विभागाध्यक्ष बन सकते हैं।
55 फीसदी मार्क्स पाने वाले एमएड डिग्रीधारक भी शिक्षक बन सकते हैं। वहीं, यूजीसी ने जो व्यवस्था की थी, उसके मुताबिक 15 साल पढ़ाने का अनुभव जरूरी था।
नेट की अनिवार्यता भी रखी गई थी। इसे अब एनसीटीई ने सुपरसीड कर दिया है।
बीटीसी के लिए ये हैं नियम
बेसिक ट्रेनिंग सर्टिफिकेट (बीटीसी) की पढ़ाई दो साल और चार सेमेस्टर में पूरी होगी। पहले 50-50 सीटों की दो यूनिट की मान्यता मिलेगी। इसके लिए प्रिंसिपल या विभागाध्यक्ष सहित 16 शिक्षकों की नियुक्ति होगी।
इनकी शैक्षिक अर्हता एमएड या एमए एजूकेशन, एमएलएड रखी गई है। इनमें 50 फीसदी मार्क्स के साथ पास होने की अनिवार्यता है।
प्रिंसिपल या विभागाध्यक्ष की शैक्षिक अर्हता भी सामान्य रखी गई है। इससे पहले यूजीसी ने पीएचडी की अनिवार्यता रखी थी, जो अब नहीं है
बीपीएड टीचिंग के लिए अर्हता
बैचलर आफ फिजिकल एजूकेशन (बीपीएड) की पढ़ाई दो साल और चार सेमेस्टर में होगी। पहले 50 सीटों की एक यूनिट की मान्यता मिलेगी।
इसके लिए प्रिंसिपल (प्रोफेसर), दो एसोसिएट प्रोफेसर और छह असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति होगी। आठ पार्ट टाइम शिक्षक रखे जाएंगे। शिक्षकों की अर्हता 55 फीसदी के साथ एमपीएड या एमपीई है।
शारीरिक शिक्षा सब्जेक्ट से पीएचडी डिग्री लेने वाले ही प्रिंसिपल बन सकते हैं। टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज में 5 साल पढ़ाने का अनुभव जरूरी है।
यूजीसी ने प्रिंसिपलके लिए 15 साल के अनुभव का नियम बनाया और नेट अनिवार्य किया था, जिसे एनसीटीई ने नहीं माना है।
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