फैसला सुप्रीम कोर्ट और तर्क-ए-शिक्षामित्र.. . एक बार फिर से सुप्रीम
कोर्ट के अंग्रेजी में लिखे फैसले को हिंदी में समझने में गलती कर रहे है
शिक्षामित्र । और साथ ही सरकर के आला मंत्री भी इसे सराहनीय कहने से नही डर
रहे है, कमाल की बात तो यह है कि अच्छे अच्छे अखबार के संपादक भी बस
शिक्षामित्रो के द्वारा किये गए हिंदी अनुवाद और उनके चेहरों के भावो को
देखकर ही खबर छाप देते है।
फैसले में कही नही लिखा है कि शिक्षामित्रो पर हाइकोर्ट का फैसला सही नही था। नही यह लिखा है कि ये सब पुन: बहाल हो गए है । और ना ही यह भाव व्यक्त है कि किसी भी प्रकार से इनका वेतन जारी हो सकता है। वैसे तो अभी कानूनी राय ली जा रही है लेकिन उसमे इतनी भी मुश्किल भाषा का प्रयोग नही हुआ जो कोई ना समझ सके । साफ़ साफ़ लिखा है कि सभी याचियों को उचित माध्यम से सूचित कर उनकी याचिकाये भी मंगा ली जाय क्योंकि उसके बाद कोई भी याचिका स्वीकार नही होगी और 24 फरवरी को इस केस (शिक्षामित्र केस) को भी मुख्य केस( पाठक केस) के साथ ही सुना जायेगा । तब तक इस सम्बन्ध में हाई कोर्ट का फैसला यथावत रहेगा उस पर कोई भी स्थगन नही दिया जा रहा है ।। बस शिक्षामित्र बन्धु अंतिम कुछ लाइन में लिखे भाव को गलत समझ कर हाई कोर्ट की वृहद पीठ को मुर्ख साबित करने में सफल हो रहे है । स्थगन आदेश ( stay ) समायोजन रद्द के फैसले को ना मानने का नही बल्कि उस फैसले को अभी यथावत बने रहने का है कि 24 फ़रवरी तक हाई कोर्ट का फैसला यथावत रहेगा । बाकी आप भी समझदार है । कुछ विश्लेषण में बदलाव हो तो जरूर अवगत कराएं । धन्यवाद
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फैसले में कही नही लिखा है कि शिक्षामित्रो पर हाइकोर्ट का फैसला सही नही था। नही यह लिखा है कि ये सब पुन: बहाल हो गए है । और ना ही यह भाव व्यक्त है कि किसी भी प्रकार से इनका वेतन जारी हो सकता है। वैसे तो अभी कानूनी राय ली जा रही है लेकिन उसमे इतनी भी मुश्किल भाषा का प्रयोग नही हुआ जो कोई ना समझ सके । साफ़ साफ़ लिखा है कि सभी याचियों को उचित माध्यम से सूचित कर उनकी याचिकाये भी मंगा ली जाय क्योंकि उसके बाद कोई भी याचिका स्वीकार नही होगी और 24 फरवरी को इस केस (शिक्षामित्र केस) को भी मुख्य केस( पाठक केस) के साथ ही सुना जायेगा । तब तक इस सम्बन्ध में हाई कोर्ट का फैसला यथावत रहेगा उस पर कोई भी स्थगन नही दिया जा रहा है ।। बस शिक्षामित्र बन्धु अंतिम कुछ लाइन में लिखे भाव को गलत समझ कर हाई कोर्ट की वृहद पीठ को मुर्ख साबित करने में सफल हो रहे है । स्थगन आदेश ( stay ) समायोजन रद्द के फैसले को ना मानने का नही बल्कि उस फैसले को अभी यथावत बने रहने का है कि 24 फ़रवरी तक हाई कोर्ट का फैसला यथावत रहेगा । बाकी आप भी समझदार है । कुछ विश्लेषण में बदलाव हो तो जरूर अवगत कराएं । धन्यवाद
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