बीआर आंबेडकर यूनिवर्सिटी ने हाल ही में बीएड की परीक्षा आयोजित की थी।
छात्रों को तो छोड़िए, यूनिवर्सिटी के अधिकारी खुद इस परीक्षा के नतीजे
देखकर चौंक गए। एक तरफ जहां 12,800 नियमित छात्रों ने इस परीक्षा के लिए
पंजीकरण कराया था, वहीं परीक्षा के नतीजे में 20,000 छात्रों को पास बताया
गया।
अधिकारियों ने यह गड़बड़ देखकर आखिरी समय में नतीजे सार्वजनिक ना करने का फैसला किया। इस गड़बड़ का पता लगाने के लिए उपकुलपति ने एक जांच का आदेश दिया। यह जांच फिलहाल जारी है। संभावना जताई जा रही है कि जांच की रिपोर्ट आने के बाद कई निजी कॉलेजों के अधिकारी भारी अनियमितता व गड़बड़ी के आरोप में जेल जा सकते हैं।
विश्वविद्यालय के प्रवक्ता प्रफेसर मनोज श्रीवास्तव ने शनिवार को हमें बताया कि उपकुलपति मुहम्मद मुजम्मिल ने एक जांच समिति का गठन कर यह पता लगाने का आदेश दिया है कि जब सभी संबंधित कॉलेजों के द्वारा केवल 12,800 छात्र पंजीकृत किए गए, तो परीक्षा के नतीजे में 20,089 छात्र किस तरह से सफल हुए। विश्वविद्यालय ने सभी संबंधित निजी कॉलेजों को पत्र जारी कर यह साफ करने का निर्देश दिया है कि अतिरिक्त आभासी छात्रों ने कहां पढ़ाई की?
श्रीवास्तव ने बताया, 'हमने परीक्षा के नतीजे घोषित करने का काम एक निजी एजेंसी को सौंपा था। जब उसने बीएड के नतीजे तैयार करते समय यह कहते हुए आपत्ति जताई कि उनके पास केवल 12,800 पंजीकृत छात्रों का डेटा मौजूद है, जबकि परीक्षा के लिए 20,000 से भी ज्यादा छात्रों की कॉपियां जांची गई हैं। इसके बाद ही हमें इन 7,000 अतिरिक्त छात्रों की संदेहजनक संख्या के बारे में जानकारी मिली। एजेंसी ने इसी आधार पर नतीजे सार्वजनिक करने में असमर्थता जताई। उपकुलपति ने सभी संबंधित निजी कॉलेजों को पत्र लिखकर उन्हें अपने यहां पंजीकृत छात्रों की सूची विश्वविद्यालय प्रशासन को सौंपने का आदेश दिया। इसके बाद निजी कॉलेजों ने दावा किया कि उन्होंने खाली पड़ी सीटों पर अतिरिक्त छात्रों का पंजीकरण कर लिया और इन अतिरिक्त छात्रों ने भी परीक्षा दी है।'
सूत्रों के मुताबिक, 2013-14 के शैक्षणिक सत्र (इसकी परीक्षा 2014-15 में हुई) में, डॉक्टर बीआर आंबेडकर विश्वविद्यालय से संबद्ध लगभग 191 कॉलेजों ने दावा किया है कि उनके यहां 40 फीसद से भी ज्यादा सीटें खाली पड़ी थीं और इसके कारण उन्हें काफी नुकसान उठाना पड़ा।
विश्वविद्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, 'ज्यादा चौंकाने वाली बात यह है कि निजी कॉलेजों ने 2014-15 में दिए गए उच्च न्यायालय के एक फैसले को आधार बनाकर अपनी गड़बड़ी को सही ठहराने की कोशिश की। इन सभी छात्रों को कॉलेजों ने अपने यहां परीक्षा से एक दिन या फिर शायद एक रात पहले ही दाखिला दिया होगा। इन छात्रों ने कॉलेजों में कभी पढ़ाई नहीं की और शायद उन्होंने कभी कॉलेजों में दाखिले की परीक्षा भी नहीं पास की।'
विश्वविद्यालय ने अब सभी सफल छात्रों के व्यक्तिगत ब्योरे को जमा करने का निर्देश दिया है। विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने काउंसलिंग सत्र की सीडी भी जमा करने को निर्देश दिया है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि असल में बीएड प्रवेश परीक्षा में कौन से छात्र शामिल हुए थे।
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अधिकारियों ने यह गड़बड़ देखकर आखिरी समय में नतीजे सार्वजनिक ना करने का फैसला किया। इस गड़बड़ का पता लगाने के लिए उपकुलपति ने एक जांच का आदेश दिया। यह जांच फिलहाल जारी है। संभावना जताई जा रही है कि जांच की रिपोर्ट आने के बाद कई निजी कॉलेजों के अधिकारी भारी अनियमितता व गड़बड़ी के आरोप में जेल जा सकते हैं।
विश्वविद्यालय के प्रवक्ता प्रफेसर मनोज श्रीवास्तव ने शनिवार को हमें बताया कि उपकुलपति मुहम्मद मुजम्मिल ने एक जांच समिति का गठन कर यह पता लगाने का आदेश दिया है कि जब सभी संबंधित कॉलेजों के द्वारा केवल 12,800 छात्र पंजीकृत किए गए, तो परीक्षा के नतीजे में 20,089 छात्र किस तरह से सफल हुए। विश्वविद्यालय ने सभी संबंधित निजी कॉलेजों को पत्र जारी कर यह साफ करने का निर्देश दिया है कि अतिरिक्त आभासी छात्रों ने कहां पढ़ाई की?
श्रीवास्तव ने बताया, 'हमने परीक्षा के नतीजे घोषित करने का काम एक निजी एजेंसी को सौंपा था। जब उसने बीएड के नतीजे तैयार करते समय यह कहते हुए आपत्ति जताई कि उनके पास केवल 12,800 पंजीकृत छात्रों का डेटा मौजूद है, जबकि परीक्षा के लिए 20,000 से भी ज्यादा छात्रों की कॉपियां जांची गई हैं। इसके बाद ही हमें इन 7,000 अतिरिक्त छात्रों की संदेहजनक संख्या के बारे में जानकारी मिली। एजेंसी ने इसी आधार पर नतीजे सार्वजनिक करने में असमर्थता जताई। उपकुलपति ने सभी संबंधित निजी कॉलेजों को पत्र लिखकर उन्हें अपने यहां पंजीकृत छात्रों की सूची विश्वविद्यालय प्रशासन को सौंपने का आदेश दिया। इसके बाद निजी कॉलेजों ने दावा किया कि उन्होंने खाली पड़ी सीटों पर अतिरिक्त छात्रों का पंजीकरण कर लिया और इन अतिरिक्त छात्रों ने भी परीक्षा दी है।'
सूत्रों के मुताबिक, 2013-14 के शैक्षणिक सत्र (इसकी परीक्षा 2014-15 में हुई) में, डॉक्टर बीआर आंबेडकर विश्वविद्यालय से संबद्ध लगभग 191 कॉलेजों ने दावा किया है कि उनके यहां 40 फीसद से भी ज्यादा सीटें खाली पड़ी थीं और इसके कारण उन्हें काफी नुकसान उठाना पड़ा।
विश्वविद्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, 'ज्यादा चौंकाने वाली बात यह है कि निजी कॉलेजों ने 2014-15 में दिए गए उच्च न्यायालय के एक फैसले को आधार बनाकर अपनी गड़बड़ी को सही ठहराने की कोशिश की। इन सभी छात्रों को कॉलेजों ने अपने यहां परीक्षा से एक दिन या फिर शायद एक रात पहले ही दाखिला दिया होगा। इन छात्रों ने कॉलेजों में कभी पढ़ाई नहीं की और शायद उन्होंने कभी कॉलेजों में दाखिले की परीक्षा भी नहीं पास की।'
विश्वविद्यालय ने अब सभी सफल छात्रों के व्यक्तिगत ब्योरे को जमा करने का निर्देश दिया है। विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने काउंसलिंग सत्र की सीडी भी जमा करने को निर्देश दिया है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि असल में बीएड प्रवेश परीक्षा में कौन से छात्र शामिल हुए थे।
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