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आखिरी साबित हो सकता है यह वेतन आयोग!

नरेंद्र मिश्र, नई दिल्ली केंद्रीय कर्मचारियों के लिए हर 10 साल पर नया वेतनमान देने की परंपरा सातवां वेतन आयोग लागू होने के साथ समाप्त हो सकती है।
वेतन आयोग ने अपनी जो रिपोर्ट सरकार को सौंपी है, इसमें ऐसा आग्रह किया था कि आयोग के अनुसार हर 10 साल पर कर्मचारियों के वेतनमान को नए सिरे से बनाने की परंपरा की जगह इसे नियमित अंतराल पर किया जाना चाहिए।
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वेतन महंगाई से जोड़ा जाए
कर्मचारियों के वेतन को खाद्य और दूसरी जरूरी चीजों की महंगाई के साथ जोड़ा जाना चाहिए। नियमित अंतराल पर आए बदलाव से कर्मचारियों के पे मैट्रिक्स को ठीक कर दिया जाए। इससे हर 10 साल पर वेतन आयोग बनाने की उलझी प्रक्रिया समाप्त हो जाएगी। अभी हर 10 साल पर कर्मचारियों को नया वेतनमान मिलता है और इस दौरान इन्हें महंगाई भत्ते बढ़ने का फायदा मिलता है। सूत्रों के अनुसार सरकार इस पर सैद्धांतिक रूप से सहमत हो गई है और कमिटी इस बारे में तमाम पक्षों से विचार कर इस बहस को आगे बढ़ा सकती है।
प्राइवेट सेक्टर के एंप्लॉयीज से हुआ था मिलान
बुधवार को वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पांचवे या छठे वेतन आयोग के मुकाबले इस बार कम वेतनमान वृद्धि के पक्ष में वेतन आयोग की ओर से कराए गए सर्वे का हवाला दिया। वेतन आयोग ने आईआईएम अहमदाबाद की मदद से सर्वे कराया था, जिसमें एक ही काम के लिए सरकार,पीएसयू और प्राइवेट कंपनियों में काम करने वाले कर्मचारियों के वेतनमान की तुलना की गई थी।
इसमें यह बात सामने आई थी कि प्राइवेट के मुकाबले सरकारी कर्मचारी कहीं अधिक वेतन पा रहे हें। लेकिन पिछले 2 वेतनमान में हालात ठीक उलट थे। तब सरकारी कर्मचारियों को प्राइवेट कर्मचारियों के मुकाबले वेतनमान देने की चुनौती थी, जिस कारण अधिक वृद्धि करनी पड़ी थी। दरअसल इस बार तमाम कर्मचारी संगठन वेतनमान वृद्धि को नाकाफी बता रहे हैं।
ब्याजमुक्त अग्रिम राशि
कर्मचारियों को कोई दिक्कत न हो, यह सुनिश्चित करने के लिए 4 ब्याज मुक्त अग्रिमों योजनाओं को बरकरार रखा गया है, जिनमें चिकित्सा इलाज के लिए अग्रिम, टूर/स्थानांतरण के लिए टीए, मृतक कर्मचारियों के परिवार के लिए टीए और एलटीसी शामिल हैं। अन्य सभी ब्याज मुक्त अग्रिम को समाप्त कर दिया गया है।
मेडिकल लीव में चेंज
बीमार रहने की सूरत में भी कर्मचारियों को पूरा वेतन मिलेगा। इसके लिए मेडिकल लीव सिस्टम में बदलाव किया गया है। अब हॉस्पिटल लीव, स्पेशल डिसेब्लिटी लीव और सिक लीव को मिलकर अब एक नया छुट्टी का ढांचा बना दिया गया है, जिसे वर्क रिटेटिड इलनैस एंड एंजरी लीव का नाम दिया गया है।
पीएम की इच्छा, ग्रुप इंश्योरेंस हो
वेतन आयोग ने सिफारिश की थी कि ग्रुप इंश्योरेंस की व्यवस्था की जाए और सभी कर्मचारियों का कम से कम 1470 रुपये हर महीने वेतन से काट कर प्रीमियम का भुगतान किया जाए। कर्मचारियों के विरोध के कारण इसे लागू नहीं किया जाएगा। अभी भी इस मद में मात्र 30 रुपये कटेंगे। सूत्रों के अनुसार पीएम मोदी चाहते हैं कि सोशल सिक्युरिटी के नाम पर सभी को बेहतर सुरक्षा कवर मिले।
इसके लिए अगले 4 महीने में सेक्रेटरी स्तर पर गठित कमिटी की रिपोर्ट आने के बाद नए सिरे से इसका प्रस्ताव कर्मचारियों को दिया जा सकता है। सूत्रों के अनुसार सरकार की मंशा है कि शुरुआत में इसे ऑप्शनल रखा जाए और धीरे-धीरे सभी कर्मचारियों को स्वत: तरीके से इसमें शामिल किया जाए।

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