आरटीई एक्ट शिक्षामित्रों का सुरक्षा कवच : आरटीई एक्ट शिक्षामित्रों को सेवाओं में बने रहने के लिए सुरक्षा कवच करेगा काम

बीएड और बीटीसी अभ्यर्थी इस तर्क से सहमत नहीं हों तो कोई बात नहीं क्योंकि उनके निजी स्वार्थ हैं। अचरज की बात ये कि बहुत से शिक्षामित्र भी इससे सहमत नहीं हैं। क्योंकि वे अधिकांश तथ्यों से वाकिफ नहीं हैं।
✍शायद यही कारण है कि अब तक डाली गई सभी एसएलपी में आरटीई एक्ट के सिर्फ एक ही बिंदु को उठाया गया है।
तो आइये विश्लेषण करते हैं:-
✍क्या आरटीई एक्ट फरवरी 2010 को लागु हुआ?
नहीं। ये एक अप्रैल 2010 को लागू हुआ। फिर क्या कारण है कि एनसीटीई के तत्कालीन चेयरमैन मुहम्मद अख्तर सिद्दीकी फरवरी 2010 में ये विश्वबैंक और यूनिसेफ के प्रतिनिधियों के सामने ये कहते है
The already appointed, untrained teachers also need to be trained without taking them out of school. One model for tackling this
problem involves converting the Block and Cluster Resource Centres established under DPEP and SSA
programme into Block Institutes of Teacher Education (BITEs).
अब कोई बताये ये जो तैयारी की जा रही थी आरटीई लागू होने से पहले वो किस के लिए थी। साफ़ अप्रशिक्षित शिक्षकों अर्थात शिक्षामित्रों के लिये थी।
●अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर आने वाले समय की योजना को पेश कर के एमएचआरडी और एनसीटीई ने हमें अप्रशिक्षित अध्यापक घोषित किया।
इस घोषणा के कुछ ही माह बाद 2010 में ही एनसीटीई चेयरमैन सिद्दीकी साहब और एमएचआरडी के डायरेक्टर विक्रम सहाय यूरोपियन संघ यूनेस्को और विश्वबैंक प्रतिनिधियों के समक्ष रिपोर्ट पेश कर के बताते हैं
In this context of the need to train a large number of untrained teachers in a limited time period. These   
Untrained teachers recruited    at    different levels from   
a variety    of backgrounds,    working under diverse conditions.
✍कहने की ज़रूरत नहीं कि आरटीई एक्ट लागु होने से पहले और लागू होने के बाद देश भर के संविदा शिक्षकों को अप्रशिक्षित अध्यापक ही बताया गया। और आरटीई एक्ट में इन् के लिए 6 माह के अंदर शिक्षक प्रशिक्षण की व्यवस्था करने का प्राविधान किया गया। और यहाँ से आरटीई एक्ट ने सुरक्षा घेरा बनाना शुरू किया।

आरटीई एक्ट शिक्षामित्रों को सेवाओं में बने रहने के लिए सुरक्षा कवच है।✍●कहने की ज़रूरत नहीं कि आरटीई एक्ट लागु होने से पहले और लागू होने के बाद देश भर के संविदा शिक्षकों को अप्रशिक्षित अध्यापक ही बताया गया। और आरटीई एक्ट में इन् के लिए 6 माह के अंदर शिक्षक प्रशिक्षण की व्यवस्था करने का प्राविधान किया गया। और यहाँ से आरटीई एक्ट ने सुरक्षा घेरा बनाना शुरू किया।
●कल हमने विदेशों और अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं के समक्ष पेश की गई रिपोर्ट्स को आधार बना कर विश्लेषण किया। इस पर कोई ये भी कह सकता है कि विदेशों से फंडिंग करवाने के लिए ये बातें कही होंगी‼
तो ठीक है हम एमएचआरडी में आयोजित राज्यों की बैठक में लिए गए निर्णय की बात करते हैं।
वर्ष 2010 में आरटीई एक्ट लागू होने से पहले एमएचआरडी की तत्कालीन अतिरिक्त सचिव और वर्तमान एनसीटीई की चेयरमैन रीना रॉय ने प्रस्ताव पास करते हुए कहा कि
●अब आरटीई एक्ट लागू किया जाना है और इस में 6 माह में अप्रशिक्षित शिक्षकों को प्रशिक्षण शुरू कराने का प्रावधान है।
इस स्थिति में
"हमें आरटीई एक्ट में निर्धारित किये गए समय अनुसार हमें शिक्षक  प्रशिक्षण की रूप रेखा तैयार करना है ये फेस टू फेस न होकर अनुभव आधारित होगा। इसे दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से कराया जाना प्रस्तावित है।"
✍यहाँ राज्य के प्रतिनिधियों ने जानकारी देते हुए दिशा निर्देश मांगे और कहा:-
" देश के एडिड और सरकारी स्कूलों में कुल 9.62 लाख टीचर हैं जिनमे  16% नियमित शिक्षक 69% पैरा टीचर हैं।"
रीना जी ने इनका समाधान ये किया कि इनको आरटीई एक्ट अनुसार दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से शिक्षक प्रशिक्षण दिलाया जायेगा और "इस कोर्स को मान्यता और अनुमति देने की ज़िम्मेदारी एनसीटीई को दी जा चुकी है, कुछ राज्य ने इस बारे में अप्लाय भी करना शुरू कर दिया है।।"
✍हमें उम्मीद है इन तथ्यों की रौशनी में आरटीई एक्ट का सुरक्षा घेरा और मज़बूत होने का अहसास आप को हो गया होगा।
चर्चा जारी है कि किस तरह आरटीई एक्ट शिक्षामित्रों को सेवाओं में बने रहने के लिए सुरक्षा कवच है।
अब बात करते हैं आरटीई एक्ट के प्रावधानों को लागू करवाने के लिए केंद्र सरकार ने एनसीटीई एक्ट में 2011 में संशोधन कर दिया। ये बात अलग कि "लोग" संशोधन पत्र जारी करवाने के लिए अभी भी एमएचआरडी और एनसीटीई कार्यालय के चक्कर लगा रहे हैं।
और वो संशोधन इस प्रकार है:-
the Bench of three learned Judges of the Supreme Court, Parliament enacted Amending Act 18 of 2011 to provide for the insertion of Section 12-A into the NCTE Act of 1993.
इस में कहा गया कि that nothing in the Section shall affect adversely the continuance of any person recruited under a rule, regulation or order of the Central or State Government or local or other authority,
जो पहले से नियुक्त शिक्षक के रूप में कार्य करने वाले लोग अगर 23.8.2010 के एनसीटीई रेगुलेशन में निर्धारित योग्यता जैसे टेट आदि पूरी न कर रहे हो तो इस का बुरा प्रभाव उन पर न पड़े। उनको नौकरी से न हटाया जाय।
✍ये बात अलग कि इस पर हाई कोर्ट की फुल बैंच में बहस हो चुकी है और कोर्ट मे शिक्षामित्रों अपने आप को सिद्ध न कर सके और कोर्ट ने इस दलील को ख़ारिज कर दिया।
लेकिन ये तथ्य अपनी जगह अटल है कि ये प्राविधान और संशोधन सिर्फ शिक्षामित्रों के लिए किया गया था। जिस के प्रमाण हमारे पास उपलब्ध हैं। और सुप्रीम कोर्ट में हम इन्हें दाखिल कर रहे हैं। जीत ही हमारा एक मात्र लक्ष्य है
✍हमें उम्मीद है इन तथ्यों की रौशनी में आरटीई एक्ट का सुरक्षा घेरा और मज़बूत होने का अहसास आप को हो गया होगा।

जन साधारण के सूचनार्थ‼
       सुप्रीम कोर्ट के निर्देशन अनुसार एनसीटीई द्वारा स्नातक शिक्षामित्रों के लिए दूरस्थ माध्यम से शिक्षक प्रशिक्षण की अनुमति दी जा चुकी है। ये अनुमति आरटीई एक्ट में दी गई समय सीमा में प्रशिक्षित अध्यापक उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से दी गई है।
क्योंकि इन अप्रशिक्षित अध्यापकों को किसी भी प्रशिक्षण प्रमाण पत्र के बिना नियुक्त किया गया था, ये दूरस्थ प्रशिक्षण इनका पहला पेशेवर डिग्री प्रोग्राम के रूप में है। हालांकि, एनसीटीई / मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ये पहल एक अपवाद है।
ताकि इन अप्रशिक्षित शिक्षकों को सेवा में बनाये रखा जा सके। चूँकि देश में 31 मार्च 2015 तक प्रशिक्षित अध्यापक पूर्ण करना हैं इस कारण ही दूरस्थ शिक्षक प्रशिक्षण की अनुमति दी गई।
          S.C. Panda,
    Chairperson NCTE

ऊपर दी गई विज्ञप्ति मन घडन्त नहीं बल्कि एक ऐसा डॉक्यूमेंट है जिसे सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुपालन में जारी किया गया।

✍●चर्चा जारी है कि किस तरह आरटीई एक्ट शिक्षामित्रों को सेवाओं में बने रहने के लिए सुरक्षा कवच है...

●आरटीई एक्ट के लागू होने के बाद जो सब से पहला निर्देश जारी हुआ वो छात्र-शिक्षक अनुपात के अनुपालन का था। वर्ष 2010 में सभी राज्यों को 6 माह में इस की व्यवस्था करने का निर्देश केंद्र सरकार द्वारा दिया गया। जिस के बाद प्रशिक्षण के लिए राज्यों के प्रस्ताव जाने लगे।
●कल हम इस तथ्य का विश्लेषण करेंगे की राज्य ने अपनी आरटीई नियमावली और शिक्षक नियुक्ति नियमावली में कैसे हमें धोखा दे कर संशोधन किये और हमें मोहरा बनाया।

राज्य ने अपनी आरटीई नियमावली और शिक्षक नियुक्ति नियमावली में कैसे हमें धोखा दे कर संशोधन किये और हमें मोहरा बनाया ये उल्लेखनीय है।
12 सितम्बर 2015 का हाई कोर्ट का आदेश कहता है कि राज्य ने नियुक्ति नियमावली में अवैध संशोधन किया।
आरटीई नियमावली का 16 क भी अवैध करार दिया।
✍जबकि वर्ष 2011 में जब राज्य सरकार ने नियमावली बनाई तो उसमे अन्य राज्य की तरह शिक्षामित्रों के नियमितीकरण का बिंदु शामिल नहीं किया और न ही 2011 की नियुक्ति नियमावली 12 वें संशोधन में इसे जोड़ा। इस के बाद 12 से 19वें संशोधन तक हम कहीं भी शामिल नहीं किये गए। जब 2014 में 19वें में जोड़ा तो वो भी बीएड के भाग में क जोड़ दिया।
●27 अगस्त 2009 को जब आरटीई अधिनियम का गज़ट किया गया और 1 अप्रैल 2010 को इसे अधिसूचित कर दिया गया तब तक इस में शिक्षामित्रों के सम्बन्ध में कोई विशेष प्रावधान नहीं था लेकिन जब इस का पहला संशोधन आरटीई एक्ट की धारा 35 का प्रयोग करते हुए किया गया।
इस में राज्य सरकार को स्पष्ट ज़िम्मेदारी दी गई कि वो इन की शैक्षिक योग्यता के साथ इनके प्रशिक्षण की व्यवस्था करे।
अर्थात इनको नियमित अध्यापक की योग्यता के दायरे में लाये।
✍लेकिन अफ़सोस सरकार तो सरकार हमारे कोर्ट के पैरवीकारों ने भी आरटीई एक्ट के इन प्रावधानों को अपनी किसी भी एसएलपी में शामिल नहीं किया। और तो और नए साक्ष्य लगाने की बात तो तब की जाती जब आप उसके लिए ग्राउंड तैयार कर लेते।

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