जागरण संवाददाता, आगरा: सहायक अध्यापक बने शिक्षामित्रों को वेतन के लिए एक साल तक संघर्ष करना पड़ा। लंबी लड़ाई के बाद भी उन्हें मात्र एक माह का वेतन मिला। अब उन्हें एरियर के लिए विभाग के चक्कर काटने होंगे।
पिछले साल सहायक अध्यापक बने शिक्षामित्रों में से 90 शिक्षामित्र ऐसे थे, जिन्होंने मध्यप्रदेश या किसी और बोर्ड से शिक्षा ग्रहण की थी। इन सबके प्रमाण पत्रों की सत्यापन रिपोर्ट आने के बाद भी वेतन नहीं मिल रहा था। छह महीने से शिक्षामित्र विभाग के चक्कर काट रहे थे।
लंबी लड़ाई के बाद जुलाई में इनके खाते में वेतन तो आ गया, लेकिन वो केवल एक माह का है। ऐसे में शिक्षामित्रों को अब बाकी महीनों के एरियर की चिंता सताने लगी है। प्राथमिक शिक्षामित्र संघ के जिलाध्यक्ष वीरेंद्र छौंकर का कहना है कि छह महीने बीएसए और लेखा कार्यालय के चक्कर लगाने के बाद वेतन मिला है। अब एरियर के लिए फिर से अधिकारियों के चक्कर काटने पडे़ंगे। बेहतर होता कि एक साथ सारा भुगतान किया जाता।
एरियर बिल के लिए कमीशन
वेतन के लिए तो केवल शिक्षामित्रों को चक्कर काटने पडे़, लेकिन एरियर के लिए उन्हें चक्कर के साथ कमीशन भी देना पडे़गा।
सूत्रों ने बताया कि पहले जिन शिक्षामित्रों का एरियर भुगतान हुआ है, उन्हें ब्लॉक पर कमीशन देना पड़ा। इसके बाद लेखा विभाग में भी मुट्ठी गर्म करनी पड़ती है, तब भुगतान हो पाता है।
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